जौरामाजरा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछली सरकारों ने इस बहुमूल्य संसाधन की अनदेखी की है। उन्होंने सितंबर से रेशम बीज अनाज तैयार करने के लिए ₹14 लाख की शुरुआती किस्त की घोषणा की। ये बीज किसानों को सस्ती कीमतों पर उपलब्ध कराए जाएंगे।
किसानों को हाेगा लाभ
मंत्री ने बताया कि डलहौजी का वातावरण रेशम बीज उत्पादन के लिए आदर्श है। इस पहल से पंजाब के कंडी क्षेत्र के लगभग 1,500 किसानों को सीधा लाभ मिलेगा। गुरदासपुर, पठानकोट, होशियारपुर और रोपड़ जिलों के किसान भी इस पहल से लाभान्वित होंगे। इससे पहले विभाग रेशम के बीज केंद्रीय रेशम बोर्ड केंद्रों से मंगवाता था। इस केंद्र के फिर से खुलने से पंजाब अब अपने खुद के रेशम के बीज तैयार कर सकेगा, जिससे परिवहन लागत कम होगी और स्थानीय रेशम उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।
अधिकारिक यात्रा
जौरामाजरा के साथ बागवानी उपनिदेशक हरदीप सिंह, विकास अधिकारी जतिंदर कुमार, प्रबंधक अवतार सिंह, रेशम उत्पादन संवर्धन अधिकारी सुखवीर सिंह और अन्य अधिकारी मौजूद थे। उन्होंने केंद्र की तैयारियों का आकलन किया और भविष्य की योजनाओं पर चर्चा की।
मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि स्थानीय स्तर पर उत्पादित रेशम के बीज कम लागत पर उपलब्ध कराने से राज्य के रेशम उद्योग को काफी बढ़ावा मिलेगा। इस कदम का उद्देश्य स्थानीय किसानों को समर्थन देना और क्षेत्र में टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देना है। स्वीकृत धनराशि से यह सुनिश्चित होगा कि सितंबर तक केंद्र पूरी तरह से चालू हो जाएगा। यह पहल पंजाब के रेशम उत्पादन क्षेत्र को पुनर्जीवित करने और इसके किसानों को सहायता प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।