हरियाणा विधानसभा में पेश हुआ #HaryanaBudget17, पहली बार व्यय के योजना एवं गैर-योजनागत वर्गीकरण को समाप्त करके बजट को राजस्व एवं पूंजीगत वर्गीकरण के रूप में प्रस्तुत किया गया।
सकल राज्य घरेलू उत्पाद ने स्थिर मूल्यों (2011-12) पर वर्ष 14-15 के 5.7 प्रतिशत की तुलना में 2015-16 में 9.0 प्रतिशत की उच्च वृद्धि दर्ज की।
वर्ष 2016-17 में भी सकल राज्य घरेलू उत्पाद 8.7 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है और वर्ष 2017-18 में यह 9.0 प्रतिशत से अधिक रहने की संभावना है।
पिछली सरकार के गत पांच वर्ष के कार्यकाल के दौरान जीएसडीपी विकास दर कभी भी 9.0 प्रतिशत तक नहीं पहुंच पाई। यह वर्ष 2010-11 में 7.4 प्रतिशत, 2011-12 में 8.0 प्रतिशत, 2012-13 में 7.7 प्रतिशत, 2013-14 में 8.2 प्रतिशत और 2014-15 में 5.7 प्रतिशत तक कम हो गई थी।
वर्ष 2014-15 में प्रति व्यक्ति आय की विकास दर 5.8 प्रतिशत के अखिल भारतीय आंकड़े की तुलना में 4.0 प्रतिशत थी। प्रति व्यक्ति आय की विकास दर वर्ष 2015-16 में 6.6 प्रतिशत के अखिल भारतीय आंकड़े की तुलना में 7.5 प्रतिशत हो गई। वर्ष 2016-17 में प्रति व्यक्ति आय की विकास दर 7.2 प्रतिशत रहने की संभावना है, जबकि अखिल भारतीय प्रति व्यक्ति आय 5.9 प्रतिशत की दर से बढऩे की उम्मीद है।
प्राथमिक क्षेत्र (कृषि और सम्बद्ध क्षेत्र) ने वर्ष 2014-15 में 2 प्रतिशत की नकारात्मक वृद्धि की तुलना में वर्ष 2015-16 में 3.2 प्रतिशत की विकास दर दर्ज की है। इसके 7.0 प्रतिशत की दर से बढऩे का अनुमान है।
द्वितीयक क्षेत्र (उद्योग) ने वर्ष 2015-16 में 7.7 प्रतिशत की ठोस वृद्धि दर्ज की है, जबकि वर्ष 2014-15 में यह मात्र 2.3 प्रतिशत थी। वर्ष 2016-17 में इस क्षेत्र की विकास दर 6.1 प्रतिशत अनुमानित है।
तृतीयक (सेवा) क्षेत्र ने वर्ष 2015-16 में 10.9 प्रतिशत की आकर्षक विकास दर दर्शायी है, जबकि वर्ष 2014-15 में यह 10.3 प्रतिशत थी। वर्ष 2016-17 में इस क्षेत्र की विकास दर 10.8 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।
सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी वर्ष 2014-15 में 49.6 प्रतिशत से बढक़र वर्ष 2015-16 में 50.7 प्रतिशत और वर्ष 2016-17 में 51.7 प्रतिशत हुई है।
द्वितीयक क्षेत्र की हिस्सेदारी गत तीन वर्षों के दौरान लगातार कमोबेश 30 से 31 प्रतिशत के बीच रही।
प्राथमिक क्षेत्र की हिस्सेदारी में गिरावट का रुख रहा, जो वर्ष 2014-15 में 19.3 प्रतिशत के मुकाबले वर्ष 2015-16 में 18.3 प्रतिशत और 2016-17 में 18.1 प्रतिशत रही।
राजकोषीय मापदंड
वर्ष 2014-15 में राजस्व घाटा, जोकि सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 1.90 प्रतिशत था, वर्ष 2015-16 में कम होकर 1.60 प्रतिशत हो गया और वर्ष 2016-17 में इसके 1.33 प्रतिशत रहने की संभावना है। वित्त वर्ष 2017-18 के लिए, इसे एक प्रतिशत से भी कम करने का लक्ष्य रखा है और वर्ष 2019-20 के अंत तक इसे शून्य पर लाने का लक्ष्य है।
राजकोषीय घाटा 14वें वित्त आयोग द्वारा राज्यों के लिए निर्धारित की गई सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 3 प्रतिशत की निर्धारित सीमा के अंदर रहा। वर्ष 2015-16 में, राज्य का राजकोषीय घाटा सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 2.92 प्रतिशत था, जबकि वर्ष 2016-17 में इसके सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 2.49 प्रतिशत तक रहने की संभावना है। आगामी वर्ष के दौरान, इसके सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 2.61 (उदय के बिना) से 2.84 प्रतिशत (उदय के साथ) के बीच रहने की संभावना है।
सकल राज्य घरेलू उत्पाद अनुपात पर ऋण 25 प्रतिशत की निर्धारित सीमा के अंदर रहा। यह ‘उदय’ के बिना वर्ष 2014-15 में 16.21 प्रतिशत, वर्ष 2015-16 में 17.40 प्रतिशत और वर्ष 2016-17 (संशोधित अनुमान) में 18.08 प्रतिशत तथा ‘उदय’ के साथ वर्ष 2015-16 में 20.96 प्रतिशत और वर्ष 2016-17 (संशोधित अनुमान) में 22.82 प्रतिशत रहा। वर्ष 2017-18 में ‘उदय’ के बिना 18.74 प्रतिशत और ‘उदय’ के साथ 22.93 प्रतिशत रहने की संभावना है।
सकल राज्य घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में कुल राजस्व प्राप्तियां वर्ष 2016-17 में 11.02 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि वर्ष 2015-16 में ये 9.80 प्रतिशत और वर्ष 2014-15 में 9.33 प्रतिशत थी। यह एक अति महत्वपूर्ण उपलब्धि है जिसका राज्य संसाधनों पर प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है।
वर्ष 2017-18 के बजट अनुमानों में 68810.88 करोड़ रुपये की कुल राजस्व प्राप्तियां प्रस्तावित की गई हैं, जिनमें 51711.52 करोड़ रुपये की कर प्राप्तियां और 17099.36 करोड़ रुपये का गैर-कर प्राप्तियां शामिल हैं।
यह वर्ष 2016-17 की तुलना में वर्ष 2017-18 में कुल राजस्व प्राप्तियों में 14.06 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। वर्ष 2017-18 में, कुल राजस्व प्राप्तियां, सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 11.12 प्रतिशत रहने की संभावना है।
कुल राजस्व प्राप्ति अनुपात पर ब्याज भुगतान वर्ष 2014-15 में 16.98 प्रतिशत था, जो वर्ष 2015-16 में बढक़र 17.42 प्रतिशत हो गया। हालांकि, वर्ष 2016-17 में यह घटकर 15.94 प्रतिशत रह गया है। वर्ष 2017-18 में इसके लगभग 16.36 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
वर्ष 2015-16 के 6780.12 करोड़ रुपये के कुल पूंजीगत खर्च के समक्ष, संशोधित अनुमान 2016-17 में 9.6 प्रतिशत बढक़र यह 7432 करोड़ रुपये हो गया। आगामी वित्त वर्ष 2017-18 के लिए, इसे संशोधित अनुमान 2016-17 पर दोगुना करके 14932 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव किया गया है।
हरियाणा विधानसभा में पेश हुआ #HaryanaBudget17, पहली बार व्यय के योजना एवं गैर-योजनागत वर्गीकरण को समाप्त करके बजट को राजस्व एवं पूंजीगत वर्गीकरण के रूप में प्रस्तुत किया गया
इसके अतिरिक्त, वर्ष 2017-18 में सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों द्वारा 4725 करोड़ रुपये खर्च करने की सम्भावना है। इसलिए, वर्ष 2017-18 में कुल पूंजीगत खर्च 19657 करोड़ रुपये अनुमानित है।
कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत पंजीकृत सार्वजनिक क्षेत्र के 22 उपक्रमों में से 15 उपक्रमों ने वर्ष 2013-14 में 13 उपक्रमों की तुलना में वर्ष 2015-16 में 299.85 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया।
इन 13 उपक्रमों द्वारा 803.92 करोड़ रुपये का लाभ अर्जित किया गया।
:घाटे में चल रहे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की संख्या वर्ष 2013-14 में नौ से कम होकर 2015-16 में छ: रह गई।
इनका घाटा वर्ष 2013-14 में 3806.38 करोड़ रुपये से 78.67 प्रतिशत कम होकर वर्ष 2015-16 में 811.63 करोड़ रुपये रह गया।
सहकारी समितियां अधिनियम के तहत पंजीकृत सार्वजनिक क्षेत्र के 19 उपक्रम भी अपने घाटे को कम करने में सफल रहे हैं, जिससे सुधार के संकेत मिले हैं।
घाटे में चल रहे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की संख्या वर्ष 2013-14 में 13 से कम होकर 2015-16 में 11 रह गई तथा इनका घाटा वर्ष 2013-14 में 435.39 करोड़ रुपये से कम होकर 2015-16 में 407.70 करोड़ रुपये रह गया।
लाभ कमाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की संख्या पांच से बढक़र छ: हुई है। कुल संचित लाभ वर्ष 2015-16 में बढक़र 468.02 करोड़ रुपये हो गया, जबकि 2013-14 में यह 451.07 करोड़ रुपये था।
विशेष कानूनों के तहत पंजीकृत पांच सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के प्रदर्शन में भी काफी सुधार हुआ है, क्योंकि ये उपक्रम अपने घाटे को वर्ष 2013-14 में 398.79 करोड़ रुपये से कम करके 2015-16 में 39.43 करोड़ रुपये करने में सक्षम रहे हैं।
वित्त वर्ष 2017-18 के लिए 102329.35 करोड़ रुपये के बजट का प्रस्ताव किया गया, जोकि संशोधित अनुमान 2016-17 के 90412.59 करोड़ रुपये पर 13.18 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
[3/6, 12:25 PM] Press Aditya Focus News: बडी खबर: ऐसा पहली बार हुआ है, जब खाद्यान्न खरीद कार्यों को छोडक़र, बजट ने एक लाख करोड़ रुपये का आंकड़ा पार कर लिया है।
[3/6, 12:27 PM] Press Aditya Focus News: 102329.35 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय में 22393.51 करोड़ रुपये का पूंजीगत खर्च और 79935.84 करोड़ रुपये का राजस्व व्यय शामिल है जोकि क्रमश: 21.88 प्रतिशत और 78.12 प्रतिशत है।
नई योजनाएं
शहरी क्षेत्रों की तर्ज पर तीन वर्ष के अंदर चरणबद्ध ढंग से आवश्यक भौतिक, सामाजिक और आर्थिक अवसंरचना सुविधाएं उपलब्ध करवा कर 3000 से 10,000 तक की आबादी वाले लगभग 1500 गांवों के विकास के लिए 5000 करोड़ रुपये के परिव्यय से हरियाणा के महान नेता रहबरे आज़म स्वर्गीय चौधरी छोटू राम जी के नाम पर ‘‘दीनबंधु हरियाणा ग्राम उदय योजना’ के नामक एक नई योजना शुरू करने का प्रस्ताव। वर्ष
2017-18 के लिए, इस योजना हेतु 1200 करोड़ रुपये आवंटित किये गए।
शहरी क्षेत्रों में आधुनिक अवसंरचना के सृजन और मौजूदा अवसंरचना के रख-रखाव के लिए, हरियाणा के महान नेता पूर्व उप मुख्यमंत्री स्वर्गीय डॉ. मंगल सेन के नाम से नई योजना ‘‘मंगल नगर विकास योजना’’ शुरू करने का प्रस्ताव। वर्ष 2017-18 में इस योजना के लिए आरंभ में 1000 करोड़ रुपये का परिव्यय आवंटित किया गया।
कृषि क्षेत्र : वर्ष 2017-18 के दौरान कृषि और सम्बद्ध गतिविधियों के लिए 3206.01 करोड़ रुपये का आवंटन, जोकि संशोधित अनुमान 2016-17 के 2698.80 करोड़ रुपये से 18.79 प्रतिशत अधिक है।
इसमें कृषि के लिए 1516.01 करोड़ रुपये, पशुपालन के लिए 746.88 करोड़ रुपये, बागवानी के लिए 396.93 करोड़ रुपये, वनों के लिए 457.62 करोड़ रुपये और मत्स्य पालन के लिए 88.57 करोड़ रुपये का परिव्यय शामिल है।
वर्ष 2017-18 के लिए, सिंचाई और जल संसाधनों के लिए परिव्यय को संशोधित अनुमान 2016-17 के 2397.68 करोड़ रुपये से 13.62 प्रतिशत बढ़ाकर 2724.26 करोड़ रुपये किया गया।