भारतीय जनता पार्टी ने लंबे समय तक जिन सीटों पर अपने उम्मीदवार की घोषणा नहीं की थी, उनमें से एक थी उत्तर प्रदेश की कैसरगंज सीट.
इस सीट पर मौजूदा सांसद हैं बृजभूषण शरण सिंह. कुछ महिला पहलवानों ने बृजभूषण शरण सिंह पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था.
भारत के शीर्ष पहलवानों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर लंबे समय तक धरना भी दिया.
ये मामला अब अदालत में है और इस पर सुनवाई चल रही है.
माना जा रहा था कि बीजेपी इस सीट पर बृजभूषण शरण सिंह को टिकट देने को लेकर दुविधा में है.
पार्टी ने इस दुविधा का अंत बृजभूषण शरण सिंह के बेटे करण भूषण सिंह को टिकट देकर किया.
बीजेपी के इस फ़ैसले के बाद कई पहलवानों ने इस पर अपनी नाराज़गी जताई है.
आंदोलन का नेतृत्व करने वाली साक्षी मलिक ने तो यहाँ तक कि देश की बेटियाँ हार गईं और बृजभूषण जीत गए.
जानकार ये भी बता रहे हैं कि पूरे इलाक़े में बृजभूषण शरण सिंह का इतना प्रभाव है कि बीजेपी उन्हें पूरी तरह दरकिनार नहीं कर सकती, इसलिए बीजेपी ने उनकी जगह उनके बेटे को टिकट दिया है.
मई 2023 में बीबीसी संवाददाता अनंत झणाणें ने बृजभूषण सिंह और उनके प्रभाव पर विस्तार से एक रिपोर्ट की थी. इस रिपोर्ट को हम दोबारा प्रकाशित कर रहे हैं. पढ़िए वो रिपोर्ट.
शिक्षा के क्षेत्र में प्रभाव
बृजभूषण शरण सिंह उत्तर प्रदेश के देवीपाटन मंडल के चार ज़िलों- गोंडा, बहराइच, बलरामपुर और श्रावस्ती में पाँच दर्जन से अधिक डिग्री कॉलेजों और इंटर कॉलेजों के मालिक हैं.
उनके क़रीबी माने जाने वाले बलरामपुर से बीजेपी के विधायक पल्टूराम की मानें तो लगभग 60 शैक्षणिक संस्थान बृजभूषण ने ख़ुद खड़े किए हैं.
पल्टूराम ने बीबीसी से कहा था, “शिक्षा का केंद्र होने के कारण, बिहार और पूरे पूर्वांचल से यहाँ बच्चे पढ़ने आते हैं. इस प्रकार से उनका पूर्वांचल से हमेशा लगाव रहा है.”
उनके बनाए सबसे पहले कॉलेज नंदिनी नगर महाविद्यालय की वेबसाइट पर आपको दो दर्जन से भी अधिक कॉलेजों की सूची देखने को मिलेगी.
गोंडा के वरिष्ठ पत्रकार जानकी शरण द्विवेदी ने बताया था कि केवल नंदिनी महाविद्यालय में लगभग 20 हज़ार बच्चे पढ़ते हैं और वहाँ कई सौ लोग काम करते हैं.
द्विवेदी ने बताया था, “इसी तरह इनके सभी कॉलेजों को गिना जाए तो वहाँ पर इनके ढेर सारे स्टाफ़ और टीचर हैं, जब भी कोई चुनाव होता है तो सभी लोगों को चुनाव में लगा दिया जाता है. इसकी वजह से उनका बूथ प्रबंधन बहुत मज़बूत हो जाता है. यही वजह है कि ये चुनाव जहाँ से भी लड़ते हैं, कामयाबी उनके हाथ ही आती है.”
उन्होंने कहा था, “इन कॉलेजों का स्वामित्व अलग-अलग लोगों के नाम पर है. कहीं बेटों के नाम हैं, तो कहीं भतीजे हैं, पत्नी हैं, बहुएँ हैं, लेकिन जैसे एक छतरी में कई सारी तीलियाँ होती हैं, तो इसी प्रकार से वो बृजभूषण शरण सिंह की छत्रछाया में हैं. इन कॉलेजों के संस्थापक बृजभूषण ही हैं.”
– लोकसभा चुनाव 2024 पर बीबीसी की ख़ास रिपोर्ट्स यहां पढ़िए.
बीजेपी विधायक पल्टूराम ने बताया था, “गोंडा के नंदिनी नगर महाविद्यालय की स्थापना के बाद, सिर्फ़ देवीपाटन मंडल ही नहीं, अयोध्या मंडल और बस्ती मंडल में भी शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने काफ़ी काम किया है.”
बलरामपुर के छात्र सोनू तिवारी ने कहा था, “वो हमारे गार्जियन हैं. वो एक तरह से ग़रीबों के मसीहा भी हैं. हम लोग उनसे ज़िंदगी भर जुड़े रहेंगे.”
प्रवेश यादव बिहार से हैं और वो बोले थे कि बृजभूषण के संस्थानों में पढ़ने वाले छात्र, “उनसे व्यक्तिगत जुड़ाव महसूस करते हैं.”
बलरामपुर से सोनू तिवारी चुनावों में छात्रों के इस्तेमाल की बात को गलत बताते हुए बोले थे, “उन्होंने लड़कों को कभी प्रचार के लिए नहीं बुलाया, लेकिन अगर आपका कोई व्यक्तिगत जुड़ाव है तो आप प्रचार करेंगे ही.”
बिहार के आरा ज़िले से ओंकार सिंह ने बीबीसी से कहा था, “नेताजी हमारे दिल में बसते हैं. अगर यह आरोप झूठे लगे हैं तो फिर इन पहलवानों के खेल पर जीवन भर के लिए पाबंदी लगाई जाए और उनके मेडल वापस लिए जाएँ. नेताजी सिर्फ यहाँ के ही नेता नहीं हैं. पूरे बिहार के नेता भी हैं.”
आरा से आकर बृजभूषण शरण सिंह के कॉलेज में पढ़ रहे विश्वजीत कुमार सिंह बोले थे, “नेताजी हमारे भगवान हैं. मेरे दिल में बसते हैं. अगर बिहार से भी चुनाव लड़ेंगे तो वहाँ से भी जीतेंगे.”
‘नक़ल माफिया’ होने का आरोप
उत्तर प्रदेश के 2017 विधानसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोंडा में एक रैली के मंच से नक़ल का मुद्दा उठाया था.
प्रधानमंत्री मोदी ने अखिलेश यादव सरकार पर निशाना साधते हुए कहा था, “गोंडा में तो जत्थाबंद नकल का बिज़नेस चलता है, व्यापार चलता है. यहाँ चोरी करने की नीलामी होती है. जो सेंटर मिलता है, वो हर विद्यार्थी के माँ-बाप को कहता है कि देखिए, तीन हज़ार डेली का, दो हज़ार डेली का, पांच हज़ार डेली का. अगर गणित का पेपर है तो इतना, अगर विज्ञान का पेपर है तो इतना. होता है कि नहीं होता है, भाइयों?”
रैली में आई जनता ने जवाब दिया, “होता है!”
मोदी ने पूछा, “यह ठेकेदारी बंद होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए?” जनता कहती है, “होनी चाहिए!” मोदी पूछते हैं, “यह बेईमानी बंद होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए?” जनता कहती है, “होनी चाहिए!”
मोदी मंच से बोले थे, “यह मेरे देश की भावी पीढ़ी को यह तबाह करने वाला कारोबार है. यह कारोबार बंद होना चाहिए. शिक्षा के साथ यह जो अपराध जुड़ गया है, वो समाज को, आने वाली पीढ़ियों तक तबाह करके रख देता है.”
मोदी तब नक़ल के मुद्दे पर लगातार पाँच मिनट तक बोले थे.
गोंडा के वकील और बृजभूषण के खिलाफ दिल्ली में प्रदर्शन करने वाले रवि प्रकाश पांडेय पुराने भाजपाई थे. मई 2023 में रवि प्रकाश का निधन हो गया था.
लेकिन उससे पहले उन्होंने बीबीसी को बताया था कि वे 2017 की मोदी की इस रैली में वो भी मौजूद थे. उन्हें गोंडा में नक़ल पर नरेंद्र मोदी का वह चुनावी भाषण अच्छी तरह याद है.
उन्होंने कहा था, “भरी चुनावी सभा में इनको (बृजभूषण) शिक्षा माफिया इंगित किया था.”
शिक्षा माफिया कोई और भी तो हो सकता है, इस सवाल के जवाब में रवि प्रकाश पांडेय ने कहा था, “58 कॉलेज इन्हीं के पास तो हैं, तो इनका अपना उद्योग है. इनके (बृजभूषण के) तमाम स्कूलों में एडमिशन करा लीजिए और सर्टिफिकेट ले लीजिए.”
लेकिन इन आरोपों पर बृजभूषण शरण सिंह ने कहा था, “नकल माफ़िया हम नहीं हैं. नकल माफ़िया थे मुलायम सिंह. आज मैं पूछना चाहता हूँ कि अगर नकल के कारण मेरे विद्यालय चलते हैं, तो आज भी सबसे अधिक संख्या में मेरे विद्यालय क्यों हैं? क्योंकि प्राइवेट सेक्टर में हम ही एक ऐसे आदमी हैं कि जिसके पास पूरे के पूरे टीचर हैं और क्वालिफाइड टीचर हैं. मेरे पचासों स्कूल-कॉलेज हैं.”
नक़ल माफिया के आरोप के बारे में हमने नंदिनी कॉलेज के छात्र प्रवेश यादव से पूछी तो उन्होंने कहा, “नहीं, ऐसा नहीं है. वो गोंडा में सुविधा दे रहे हैं. ज़ाहिर बात है कि उनके इतने कॉलेज हैं, लेकिन पता नहीं लोगों को क्यों लग रहा है कि वो नक़ल माफिया हैं.”