जापान में इशिकावा प्रांत के नोटो द्वीप पर नई साल के पहले दिन आए भूकंप से हुई तबाही सामने आ रही है। सोमवार शाम को 7.6 तीव्रता के भूकंप से सैकड़ों मकान धराशायी हो गए और सडक़ों को भारी नुकसान हुआ है। कई जगह मीलों लंबी दरारें आ गई। मध्य जापानी शहर वाजिमा में 100 से ज्यादा घर और दुकानें जलकर खाक हो गई। हादसे में अब तक 62 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि सैकड़ों लोगों के फंसे होने की आशंका है।
नोटो एयरपोर्ट को बंद कर दिया गया है। यहां पार्किंग में ही 500 लोग गाडिय़ों में फंसे हुए थे। सोमवार को दिनभर में 155 भूकंप के झटके महसूस किए गए। तटीय इलाकों से लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजा गया, जो अभी तक घरों को नहीं लौटे। इशिकावा और आसपास के तटों पर समुद्र में 1.2 मीटर ऊंची लहरें उठीं। हालांकि मंगल
पीएम किशिदा ने कहा, नुकसान बड़ा है
मंगलवार को एक हवाई सर्वे के बाद एक आपात बैठक में प्रधान मंत्री फुमिओ किशिदा ने कहा, अब भी कई जगह आग लगी हुई है, इमारतों को भारी नुकसान हुआ है। भूकंप से प्रभावित लोगों की तलाश और बचाव का काम समय के खिलाफ एक जंग है। उन्होंने बताया कि सडक़ों के टूट जाने की वजह से राहतकर्मियों को नोटो प्रायद्वीप के उत्तरी छोर पर पहुंचने में बहुत मुश्किल हो रही है।
मजबूत मॉनिटरिंग सिस्टम
चूंकि जापान सिसमिक जोन में है और यहां अक्सर भूकंप आते रहते हैं। इसलिए भूकंप की मॉनिटरिंग प्रणाली काफी मजबूत और अपडेट है। जापान की मेट्रोलॉजिकल एजेंसी छह स्तरों पर हर पल मॉनिटर करती रहती है। सुनामी वार्निंग प्रणाली भी इसी एजेंसी के तहत काम करती है। यह एक से तीन मिनट में पूरे देश में चेतावनी जारी कर देती है। नेशनल टीवी, लाउडस्पीकर और अब ऐप भी इसमें मददगार होते हैं। सोमवार को आए 7.6 तीव्रता के भूकंप से भी अपेक्षाकृत कम नुकसान की वजह भी यही प्रणाली है।
नहीं देखा ऐसा भूकंप
इशिकावा के नानाओ शहर में रहने वाली 74 वर्षीय नोबुको सुगीमोरि ने बताया कि उन्होंने इससे पहले कभी ऐसा भूकंप नहीं देखा। उन्होंने कहा, मैंने टीवी सेट को पकड़े रहने की कोशिश की ताकि वो कहीं गिर ना जाए, लेकिन मैं खुद को भी गिरने से नहीं रोक सकी।
भूकंप से अब तक 62 लोगों की मौत
वहीं, भंकप के बाद चल रहे बचाव अभियान की जानकारी देते हुए इशिकावा सरकार ने बुधवार को बताया कि भूंकप के कारण अब तक 62 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, 300 से अधिक लोग घायल हो गए हैं, जिनमें से 20 गंभीर रूप से घायल हैं। सरकार का मानना है कि इस हादसे में घायलों और मरने वालों की संख्या बढ़ सकती है क्योंकि बचावकर्मी मलबे हटाने के लिए झटकों और खराब मौसम से जूझ रहे हैं। वहीं, सरकार ने बताया कि अब तक 31,800 से अधिक लोगों को आश्रय स्थलों में शिफ्ट कर दिया गया हैं।