अयोध्या के राम मंदिर में भगवान राम की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का समारोह ऐतिहासिक बनाने की तैयारियां जोरों पर हैं। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को बैठक कर तैयारियों की समीक्षा की। इस बीच, गर्भगृह में प्रतिष्ठित होने वाली मूर्ति को लेकर चर्चाओं का बाजार उस समय और गर्म हो गया जब केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने सोशल मीडिया पर कहा कि कर्नाटक के शिल्पकार अरुण योगीराज की प्रतिमा को इसके लिए चुन लिया गया है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा, इस बारे में 17 जनवरी की ही आधिकारिक घोषणा होगी। बताया जा रहा है कि श्रीराम मंदिर में प्रतिष्ठित होने वाली भगवान राम की मूर्ति में धनुष-बाण पकड़े पांच साल के रामलला का रूप होगा। यह मू्र्ति एच.डी. कोटे के सफेद भूरे अर्ध-ग्रेनाइट चट्टान से बनाई गई है। इसके बाद मैसूरु के योगीराज चर्चा में हैं। मंत्री से लेकर संतरी तक उन्हें बधाई दे रहे हैं। हालांकि, योगीराज का कहना है कि उन्हें अभी तक ट्रस्ट से मूर्ति के चयन को लेकर कोई सूचना नहीं मिली है।
तीनों मूर्ति 51 इंच लंबी
ट्रस्ट ने तीन अलग-अलग मूर्तिकारों ने रामलला की मूर्ति बनवाई है, जिनमें से एक का चयन किया जाना है। बताया जाता है कि तीनों मूर्तियां बहुत ही सुंदर बनीं है और ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने इनमें से एक मूर्ति का चयन कर लिया है। तीनों मूर्तिकारों की मूर्ति पैर से माथे तक 51 इंच लंबी हैं। प्रभावली सहित पूरी मूर्ति आठ फीट से अधिक लंबी और साढ़े तीन फीट चौड़ी है। ट्रस्टी कामेश्वर चौपाल ने कहा कि राम मंदिर में तीनों मूर्तियों का इस्तेमाल होगा।
तीनों मूर्तियों की अलग-अलग चट्टानें
मूर्ति बनाने वाले तीन शिल्पकारों में से दो अरुण योगीराज (मैसूरु) और गणेश एल. भट (बेंगलूरु) कर्नाटक और तीसरे सत्यनारायण पांडेय राजस्थान के हैं। बताया जाता है कि मूर्ति बनाने के लिए भट कर्नाटक के कारकला की काली-भूरी नेल्लिकरी चट्टान (श्याम शिला), योगीराज एच.डी. कोटे के सफेद भूरे अर्ध-ग्रेनाइट चट्टान और पांडेय ने प्रसिद्ध सफेद मकराना संगमरमर के पत्थर पर काम कर रहे थे।
16 से शुरू होंगे अनुष्ठान
प्राण प्रतिष्ठा (प्रतिष्ठा समारोह) के लिए वैदिक अनुष्ठान मंदिर के उद्घाटन से एक सप्ताह पहले 16 जनवरी को शुरू होंगे। ट्रस्ट ने बताया कि मुख्य अनुष्ठान गणेश्वर शास्त्री और लक्ष्मी कांत दीक्षित द्वारा किया जाएगा।
जहां राम हैं, वहां हनुमानः जोशी
प्रल्हाद जोशी ने कर्नाटक के साथ राम और हनुमान के संबंधों का जिक्र करते हुए कहा कि कर्नाटक हनुमान की धरती है। कर्नाटक के हम्पी के अंजनाद्रि पहाड़ी को बजरंगबली (आंजनेय) का जन्मस्थान माना जाता है। जहां राम हैं, वहां हनुमान हैं। अरुण योगीराज की बनाई भगवान राम की मूर्ति अयोध्या में स्थापित होना राम और हनुमान के अटूट रिश्ते का एक और उदाहरण है। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येडियूरप्पा, प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बी. वाई. विजयेंद्र, बेंगलूरु मध्य से भाजपा सांसद पी सी मोहन ने भी अरुण योगीराज को भगवान राम की मूर्ति के चयन को लेकर बधाई दी।
बालसुलभ मूर्ति बनाना चुनौतीपूर्णः योगीराज
मूर्तिकार अरुण कहते हैं कि उन्हें मूर्ति के चयन को लेकर अभी ट्रस्ट से सूचना का इंतजार है मगर केंद्रीय मंत्री जोशी और अन्य भाजपा नेताओं के सोशल मीडिया पोस्ट ने उन्हें विश्वास दिलाया कि उनका काम स्वीकार कर लिया गया है। भगवान राम की बालसुलभ मूर्ति बनाने काम काफी चुनौतीपूर्ण था। बाल स्वरुप की मूर्ति दिव्य होनी चाहिए थी क्योंकि यह भगवान के अवतार की मूर्ति है। जो लोग मूर्ति को देखेंगे उन्हें दिव्यता का एहसास होना चाहिए।
हजार से ज्यादा मूर्तियां बना चुके हैं योगीराज
योगीराज केदारनाथ में आदि शंकराचार्य और दिल्ली में कर्त्तव्य पथ पर सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमाएं बना चुके हैं। रामलला की मूर्ति का निर्माण जून में शुरू हुआ और दिसंबर में समाप्त हुआ।
एमबीए डिग्रीधारी
योगीराज पांचवीं पीढ़ी के मूर्तिकार हैं। उन्होंने 2008 में मूर्तियां गढ़ने की परंपरा को जारी रखने के लिए कॉर्पोरेट नौकरी छोड़ दी थी। अपने दिवंगत पिता बीएस योगीराज शिल्पी से मूर्तिकला की कला विरासत में पाकर अरुण अब तक एक हजार से अधिक मूर्तियां बना चुके हैं। वर्तमान में, योगीराज न्याय विभाग द्वारा नियुक्त डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर काम कर रहे हैं, जिसे दिल्ली के जैसलमेर हाउस में स्थापित किया जाएगा जो विविध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक हस्तियों को चित्रित करने में उनकी बहुमुखी प्रतिभा का प्रमाण है।
दीपाराम की अनोखी प्रतिज्ञा
भीनमाल (राजस्थान)। राममंंदिर आंदोलन में शामिल होने 1990 में अयोध्या गए भीनमाल के दीपाराम माली ने प्रतिज्ञा की थी कि जब तक रामलला का मंदिर नहीं बनेगा तब तक वह खुद भी नया घर नहींं बनाएंगे। उनकी प्रतिज्ञा भी 22 जनवरी को पूरी होगी। अयोध्या के राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद दीपाराम भी अपने नए घर में प्रवेश करेंगे। पिछले 33 साल से परिवार के साथ वह कच्चे मकान में रह रहे हैं। दीपाराम ने बताया कि आगरा की जेल में आठ दिन तक सजा काटने के दौरान उन्होंने यह प्रण लिया था।