पूर्वोत्तर में शांति प्रयास की दिशा में मोदी सरकार की बड़ी कामयाबी मिली है। 40 साल में पहली बार सशस्त्र उग्रवादी संगठन उल्फा ने भारत और असम सरकार के साथ त्रिपक्षीय शांति समाधान समझौते पर साइन किए है। इसके साथ ही असम के इतिहास में एक नए युग की शुरुआत होने जा रही है। शांति समझौते के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा और उल्फा के अरबिंद राजखोवा नीत वार्ता समर्थक गुट के एक दर्जन से ज्यादा शीर्ष नेता मौदूर रहे। इसके साथ ही पूर्वोत्तर के राज्यों में दशकों पुराने उग्रवाद का अंत हो गया है। अमित शाह ने पूर्वोत्तर में शांति और स्थिरता लाने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को श्रेय दिया। पूर्वोत्तर में सशस्त्र उग्रवादी संगठनों से इस साल भारत सरकार का यह चौथा बड़ा समझौता है।
#WATCH | On United Liberation Front of Assam (ULFA) signing a tripartite Memorandum of Settlement with the Centre and the Assam government, Union Home Minister Amit Shah says, " This is a new start of a period of peace for the whole Northeast especially Assam. I want to assure… pic.twitter.com/Pv3rX3lseZ
— ANI (@ANI) December 29, 2023
इन मुद्दों का करना है समाधान
शांति समझौते का उद्देश्य अवैध आप्रवासन, स्वदेशी समुदायों के लिए भूमि अधिकार और असम के विकास के लिए वित्तीय पैकेज जैसे मुद्दों का समाधान करना है। गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि केंद्र यह सुनिश्चित करेगा कि उल्फा की सभी उचित मांगों को समयबद्ध तरीके से पूरा किया जाएगा। शाह ने कहा कि हम उल्फा नेतृत्व को आश्वस्त करना चाहते हैं कि शांति प्रक्रिया की सफलता सुनिश्चित करने के लिए केंद्र में उनके भरोसे का सम्मान किया जाएगा। उन्होंने पूर्वोत्तर में शांति और स्थिरता लाने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को श्रेय दिया। पूर्वोत्तर में सशस्त्र उग्रवादी संगठनों से इस साल भारत सरकार का यह चौथा बड़ा समझौता है।
समझौते के प्रमुख बिंदु
40 साल में पहली बार सशस्त्र उग्रवादी संगठन उल्फा ने भारत और असम सरकार के साथ शांति समाधान समझौते पर हस्ताक्षर हुआ है। दोनों पक्षों के प्रतिनिधित्वों ने उस पर हस्ताक्षर किया है। उल्फा और भारत सरकार के बीच हो रहे समझौते के प्रमुख बिंदु इस प्रकार है।
– असम के लोगों की सांस्कृतिक विरासत बरकरार रखना है।
– असम के लोगों के लिए और भी बेहतर रोजगार के साधन राज्य में मौजूद रहेंगे।
– इनके काडरों को रोजगार के पर्याप्त अवसर मुहैया करना सरकार की जिम्मेदारी होगी।
– उल्फा के सदस्यों को जिन्होंने सशस्त्र आंदोलन का रास्ता छोड़ दिया है उन्हें मुख्य धारा में लाने का भारत सरकार को हर संभव प्रयास करना है।