China Nuclear Leak: साल 2024 में जियो-पॉलिटिक्स में बहुत बड़ा भूकंप आने वाला है, जिससे क्षेत्रीय सुरक्षा पर गहरा प्रभाव पड़न वाला है। सैटेलाइट तस्वीरों के आधार पर आशंका जताई गई है, कि चीन जल्द ही परमाणु बम का परीक्षण करने वाला है।
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन, उइगर मुस्लिमों के बहुल्य क्षेत्र शिनजियांग में अपने लोप नुर बेस पर परमाणु बम का टेस्ट कर सकता है और इसके लिए वो सीक्रेट न्यूक्लियर बेस का पुननिर्माण कर रहा है।
न्यूयॉर्क टाइम्स द्वारा पहली बार प्रकाशित सैटेलाइट तस्वीरों से संकेत मिलता है, कि भारत का पड़ोसी, उस न्यूक्लियर फैसिलिटी को फिर से सक्रिय कर रहा है, जहां वह एक बार फिर से अपने किसी परमाणु हथियार, या परमाणु बम का परीक्षण कर सकता है। अमेरिकी अखबार ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है, कि चीन ने शिनजियांग प्रांत में अपने न्यूक्लियर फैसिलिटी केन्द्र में करीब 500 मीटर से ज्यादा का गड्ढ़ा किया है, जिससे इस बात की चिंता काफी ज्यादा बढ़ गई है, कि चीन यहां पर परमाणु बम का टेस्ट कर सकता है। अगर चीन परमाणु बम का परीक्षण करता है, तो निश्चित तौर पर क्षेत्र में परमाणु बम बनाने की होड़ काफी तेजी के साथ शुरू हो जाएगी और कई देश, परमाणु बम बनाने की रेस में शामिल हो सकते हैं।
चीन को लेकर आई इस रिपोर्ट ने अमेरिका की सांसे फुला दी हैं, क्योंकि अगर चीन परमाणु बम का टेस्ट करता है, तो फिर ईरान को न्यूक्लियर टेस्ट से रोकने के लिए कोई नैतिक आधार नहीं बचेगा। न्यूयॉर्क टाइम्स की ये रिपोर्ट भू-स्थानिक इंटेलिजेंस पर एक प्रमुख इंटरनेशनल एक्सपर्ट डॉ. रेनी बेबियार्ज़ द्वारा उपलब्ध कराए गए सबूतों पर आधारित है। पेंटागन के पूर्व विश्लेषक रह चुके डॉ.रेनी बेबियार्ज़ ने चीन की लोप नूर फैसिलिटी की सैटेलाइट इमेजरी का अध्ययन करने में वर्षों बिताए हैं, जहां चीन ने 16 अक्टूबर 1964 को अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था।
फिर से न्यूक्लियर टेस्ट का दौर होगा शुरू?
यह पहली बार नहीं है, जब ऐसी खबरें सामने आई हों, कि चीन न्यूक्लियर टेस्ट कर सकता है। अप्रैल 2020 में भी अमेरिकी विदेश विभाग की एक रिपोर्ट में कहा गया था, कि चीन ने गुप्त निम्न-स्तरीय भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट किए होंगे। हालांकि, चीन ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। चीन का कहना है, कि वह परमाणु परीक्षणों पर रोक लगाने और हथियार नियंत्रण पर संधियों की प्रतिबद्धताओं को सक्रिय रूप से पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है। चीनी विदेश मंत्रालय ने उस वक्त कहा था, कि अमेरिका के झूठे आरोप खंडन करने लायक भी नहीं हैं। अपनी रिपोर्ट में, अमेरिकी विदेश विभाग ने कहा था, कि चीन ने ऐसे विस्फोटों पर प्रतिबंध लगाने वाले अंतरराष्ट्रीय समझौते का पालन करने का दावा करने के बावजूद, गुप्त रूप से निम्न-स्तरीय भूमिगत परमाणु परीक्षण विस्फोट किए होंगे। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया है, कि चीन के सैन्य परिसर से जो तस्वीरें आ रही हैं, उससे पता चलता है, कि जो बोरहोल खोदा गया है, वो आधा किलोमीटर गहरा है और वो उसमें न्यूक्लियर टेस्ट करेगा, ताकि परमाणु बम विस्फोट के बाद उसके रेडिएशन को फैलने से रोका जाए। चीन ने इसके लिए अपने सैन्य परिसर में कई तरह के बदलाव किए हैं। वहीं, मैक्सर टेक्नोलॉजीज ने भी चीन के लोप नूर सैन्य केन्द्र की कई सैटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं और इन तस्वीरों से पता चलता है, कि चीन अपने परमाणु सुविधा केन्द्र को अपग्रेड कर रहा है। एनवाईटी रिपोर्ट में कहा गया है, कि “2017 तक, मुट्ठी भर इमारतों वाली एक पुरानी साइट सुरक्षा बाड़ से घिरा सैन्य परिसर अब एक आकर्षक, अत्याधुनिक परिसर में बदल गई है। इसकी नई संरचनाओं में मिट्टी के ढेर और बिजली रोकने वाले बंकर बनाए गये हैं, जो इसे उच्च विस्फोटकों से निपटने के लिए आदर्श बनाता है।” मॉन्टेरी में मिडिलबरी इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एक दशक से भी ज्यादा समय पहले, चीन के पास कम से कम 50 इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें थीं।
इसमें कहा गया है, “पीपुल्स लिबरेशन आर्मी रॉकेट फोर्स अब 2028 तक 1,000 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्चर तैनात करने की राह पर है, जिसमें कम से कम 507 परमाणु-सक्षम लॉन्चर शामिल हैं।” भारत के लिए चीनी न्यूक्लियर टेस्ट के मायने? यह रिपोर्ट भारत के लिए और भी महत्वपूर्ण है, जो चीन से बढ़ते खतरे के बीच हिंद महासागर क्षेत्र में रणनीतिक बढ़त बनाए रखने की कोशिश कर रहा है। अपने पड़ोसी देश की तुलना में भारत के पास मामूली परमाणु शस्त्रागार है। भारत ने 1998 में पोखरण के बाद परमाणु परीक्षण पर एकतरफा रोक की घोषणा की थी, जो पांच परमाणु विस्फोटों की एक श्रृंखला थी। भारत ने अपना पहला परमाणु परीक्षण 1974 में किया था। न्यूयर्क टाइम्स की रिपोर्ट का मतलब यह होगा, कि चीन परमाणु परीक्षण बढ़ाने का प्रयास कर रहा है और नई पीढ़ी की बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों पर फिट किए गए अपने नवीनतम परमाणु हथियार डिजाइनों का परीक्षण और ताकत हासिल करने की दिशा में बढ़ रहा है। जो क्षेत्र में परमाणु हथियारों की रेस को आगे बढ़ा सकता है और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को चाहिए, कि वो चीन को रोके।