मंगलवार 19 दिसंबर को दिल्ली में इंडी अलायंस की हुई बैठक में यह सहमति बनी थी कि इस महीने के अंत तक सीट शेयरिंग पर हर हाल में सहमति बना ली जाएगी। बैठक के दौरान पीएम पद का उम्मीदवार कौन होगा, उसके लिए बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे का नाम आगे किया और अरविंद केजरीवाल ने इस नाम पर समर्थन जताया। लेकिन अगले ही दिन आप पार्टी ने पंजाब में सीटों के बंटवारे को लेकर कांग्रेस को झटका दे दिया। आम आदमी पार्टी का कहना है कि केजरीवाल और भगवंत मान के नेतृत्व में यहां की सभी 13 सीटों पर वह अकेले ही लड़ेगी।
बता दें कि कुछ दिन पहले भी अरविंद केजरीवाल यहां की जनता से आप को पंजाब की सभी 13 सीटें जिताने की अपील कर चुके हैं। अब पार्टी के दूसरे नेता भी केजरीवाल के बयान को दोहरा रहे हैं। भले ही अभी सीट शेयरिंग फाइनल नहीं है, लेकिन केजरीवाल की पार्टी के इस रुख को कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
हिंदी पट्टी में कांग्रेस के लिए राह मुश्किल
हाल ही में पांच राज्यों में हुए चुनाव से कांग्रेस को काफी उम्मीद थी। पार्टी को लग रहा था कि राजस्थान, एमपी और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकार बनेगी, जिसके बाद इंडिया गठबंधन में जब सीट शेयरिंग की बात होगी तो उनकी बारगेनिंग कैपेसिटी अन्य दलों के मुकाबले ज्यादा होगी।
लेकिन परिणाम पार्टी के पक्ष में नहीं आए तो उत्तर भारत में कांग्रेस की सत्ता बस हिमाचल तक ही सिमित रह गई। इस वजह से कांग्रेस को उत्तर से ज्यादा दक्षिण भारत से उम्मीद है क्योंकि उसकी सरकार कर्नाटक और तेलंगाना में है। इसके अलावा केरल में उसकी अच्छी स्थिति है। यहां से पार्टी को काफी उम्मीदें हैं।
कांग्रेस में समझौते को नहीं तैयार
आप नेताओं द्वारा दिए गए बयान के बाद कांग्रेस भी यहां समझौते के मूड में नहीं है। कांग्रेस भी यहां की सभी सीटों पर दावेदारी कर रही है। पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर राजा वड़िंग ने आप द्वारा किए गए दावे के बाद कहा कि पार्टी सभी 13 सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारेगी। अमरिंदर राजा ने आगे कहा हमारी तो यही दावेदारी है, लेकिन आखिरी फैसला तो आलाकमान को ही करना है। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि आलाकमान कोई फैसला लेने से पहले हमसे भी सलाह लेगी।