लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से हाथ मिलाने के जनता दल (सेक्युलर) के फैसले से निराश होकर क्षेत्रीय पार्टी से जुड़े दो मुस्लिम नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है। सियासी गलियारे में चर्चा है कि कुछ अन्य भी इसी तरह के कदम पर विचार कर रहे हैं।
जेडीएस कर्नाटक के उपाध्यक्ष सैयद शफीउल्ला साहब ने पार्टी से अपने इस्तीफे पर कहा कि मैं पिछले 30 सालों से पार्टी के साथ था। हमारी पार्टी धर्मनिरपेक्ष साख पर कायम है, और हमने हमेशा मतदाताओं के बीच धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों का प्रचार किया है। अब अगर मेरी पार्टी किसी ऐसी पार्टी से हाथ मिला रही है, जो समुदायों और जाति के बीच दरार पैदा करती है, उपदेश देती है, प्रचार करती है और सांप्रदायिक एजेंडे पर काम करती है, तो हम धर्मनिरपेक्ष नेता इसका विरोध करते हैं।
वहीं, फरजाना ने जेडीएस मीडिया सेल के प्रमुख श्रीकांत गौड़ा को लिखे पत्र में कहा कि वह वैचारिक मतभेदों के कारण पार्टी के प्रवक्ता पद से इस्तीफा दे रही हैं। बाद में एक सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने पार्टी छोड़ने की घोषणा की।
इन दो नेताओं ने दिया इस्तीफा
दरअसल, जनता दल (सेक्युलर) के वरिष्ठ राज्य उपाध्यक्ष सैयद शफीउल्ला साहब और पार्टी प्रवक्ता यूटी फरजाना अशरफ ने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया है। वहीं, जेडीएस राज्य इकाई के अध्यक्ष सीएम इब्राहिम भी कथित तौर पर गठबंधन से नाखुश हैं। शफियाउल्ला ने पार्टी सुप्रीमो एचडी देवेगौड़ा को लिखे अपने पत्र में कहा कि चूंकि पार्टी के वरिष्ठ नेता अब बीजेपी के साथ हाथ मिलाने का फैसला कर रहे हैं, इसलिए मेरे पास अपना इस्तीफा देने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
जल्द ही गिर सकते हैं और इस्तीफे!
शफीउल्ला ने यह भी कहा कि कुछ दीर्घकालिक जेडीएस मुस्लिम नेताओं ने एक बैठक की और गठबंधन के प्रति अपना विरोध व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि बैठक में उपस्थित अन्य लोगों में पूर्व मंत्री और राज्य के कार्यकारी अध्यक्ष एनएम नबीसाहब, दिल्ली में राज्य सरकार के पूर्व प्रतिनिधि और अल्पसंख्यक सेल के पूर्व अध्यक्ष मोहिद अल्ताफ समेत अन्य शामिल थे।