चीन से महज 40 से 50 किलोमीटर दूर वायुसेना का एयरफील्ड बन रहा है. न्योमा में बन रही दुनिया की इस सबसे ऊंची हवाईपट्टी का उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा किया गया. राजनाथ सिंह मंगलवार को 2941 करोड़ रुपये की लागत से बीआरओ द्वारा निर्मित 90 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन और राष्ट्र को समर्पित किया.
इन परियोजनाओं का निर्माण उत्तरी/उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के दस सीमावर्ती राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में किया गया है.
पूर्वी लद्दाख में न्योमा एयरफील्ड को व्यापक रणनीतिक हवाई संपत्तियों के लिए 218 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जाएगा. इस हवाई क्षेत्र के निर्माण से लद्दाख में हवाई बुनियादी ढांचे को काफी बढ़ावा मिलेगा और हमारी उत्तरी सीमाओं पर भारतीय वायुसेना की क्षमता में वृद्धि होगी. पिछले तीन वर्षों में सड़क और पुल निर्माण में बीआरओ की वृद्धि से कई महत्वपूर्ण और रणनीतिक परियोजनाएं पूरी हुई हैं, जिससे हमारे विरोधियों के मुकाबले हमारी रक्षा तैयारी मजबूत हुई है.
BRO पूर्वी लद्दाख के रणनीतिक न्योमा बेल्ट में इस एयर फील्ड का निर्माण करेगी. यह दुनिया का सबसे ऊंचा एयरफील्ड होगा. यह रणनीतिक तौर पर काफी अहम माना जा रहा है. क्योंकि इसके बनने से LAC के करीब तक फाइटर ऑपरेशन हो सकेंगे. अभी तक न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड का इस्तेमाल 2020 से चीन के साथ चल रहे गतिरोध के दौरान जवानों और अन्य सामान को पहुंचाने के लिए किया जाता रहा है.
यहां से चिनूक हेवी-लिफ्ट हेलिकॉप्टर और सी-130जे विमान भी उड़ान भरते और उतरते रहे हैं. अब यहां ऐसे एयरफील्ड का निर्माण किया जा रहा है, जहां लड़ाकू विमान भी उतर सकेंगे. इस एयरफील्ड के बनने के बाद लद्दाख में हवाई बुनियादी ढांचे को काफी बढ़ावा मिलेगा और हमारी उत्तरी सीमाओं पर वायुसेना की क्षमता में वृद्धि होगी.
दो साल में BRO ने किए ये काम
पिछले दो वर्षों में बीआरओ ने 5100 करोड़ रुपये की लागत से रिकॉर्ड 205 बुनियादी ढांचा परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित की हैं. पिछले साल, 2897 करोड़ रुपये की लागत से 103 बीआरओ बुनियादी ढांचा परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित की गईं. 2021 में, 2229 करोड़ रुपये की लागत से 102 बीआरओ बुनियादी ढांचा परियोजनाएं राष्ट्र को समर्पित की गईं.
विशेष रूप से बीआरओ ने इन महत्वपूर्ण रणनीतिक परियोजनाओं का निर्माण रिकॉर्ड समय सीमा में पूरा किया और इनमें से कई परियोजनाओं का निर्माण अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके एक ही कार्य सत्र में किया गया है. बीआरओ ने अरुणाचल प्रदेश के हुरी गांव जैसे देश के सबसे दूर-दराज के गांवों को भी मुख्य भूमि से जोड़ दिया है. इस कनेक्टिविटी ने हमारे सीमावर्ती गांवों में रिवर्स माइग्रेशन को गति दी है. स्कूली शिक्षा सुविधाओं और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल केंद्रों, बिजली आपूर्ति और रोजगार के अवसरों जैसी बुनियादी सुविधाओं के शुरू होने से इन क्षेत्रों में जनसंख्या वृद्धि देखी जा रही है.