कांग्रेस नेता और वायनाड के सांसद राहुल गांधी यूरोप के तीन देशों के दौरे पर हैं। गुरुवार को वह बेल्जियम पहुंचे। राहुल गांधी शुक्रवार को ब्रसेल्स के प्रेस क्लब में मीडिया को संबोधित किया। इस दौरान राहुल गांधी ने रूस और यूक्रेन संघर्ष में भारत सरकार के स्टैंड को सही बताया है।
इसके साथ ही राहुल गांधी ने डेमोक्रेसी और भारतीय संस्थानों पर कब्जे की बात को फिर से दोहराया। इसके साथ ही उन्होंने जी 20 बैठक में मल्लिकार्जुन खड़गे को ना बुलाए जाने पर सरकार की आलोचना की है।
मीडिया को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने रूस और यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत सरकार के स्टैंड पर कहा कि, मुझे लगता है कि पूरा विपक्ष संघर्ष (रूस और यूक्रेन के बीच) पर भारत की वर्तमान स्थिति से सहमत होगा। हमारा रूस के साथ रिश्ता है। मुझे नहीं लगता कि सरकार वर्तमान में जो प्रस्ताव दे रही है, उससे विपक्ष का कोई अलग रुख होगा।
राहुल गांधी ने आगे कहा कि, भारत में संस्थानों और लोकतंत्र के संबंध में जिस प्रकार की कार्रवाइयां की जा रही हैं, उन्हें लेकर स्थिति गंभीर है। देश की लोकतांत्रिक संरचनाओं पर भारत को चलाने वाले लोगों के एक समूह द्वारा हमला किया जा रहा है।
राहुल गांधी ने कहा कि, दलित, आदिवासी और निचली जाति के समुदायों सहित अल्पसंख्यकों पर हमले हो रहे हैं। हमारे देश के स्वभाव को बदलने का प्रयास किया जा रहा है। बीजेपी चाहती है सत्ता और संपत्ति का केंद्रीकरण हो। जी20 शिखर सम्मेलन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे को आमंत्रित नहीं किए जाने के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि, इसमें विरोधाभास क्या है? उन्होंने विपक्ष के नेता को आमंत्रित नहीं करने का फैसला किया है। राहुल गांधी ने आगे कहा कि, यह आपको कुछ बताता है। यह आपको बताता है कि वे भारत की 60% आबादी के नेता को महत्व नहीं देते हैं। यह कुछ ऐसा है जिसके बारे में लोगों को सोचना चाहिए – उन्हें ऐसा करने की आवश्यकता क्यों महसूस हो रही है और इसके पीछे किस प्रकार की सोच है।
भारत में हो रही जी 20 बैठक को लेकर राहुल गांधी ने कहा कि, G20 एक महत्वपूर्ण बातचीत है और यह अच्छी बात है कि भारत इसकी मेजबानी कर रहा है। वहीं धारा 370 को लेकर राहुल गांधी ने कहा कि, अनुच्छेद 370 पर हमारी स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है। यह सीडब्ल्यूसी में पारित प्रस्ताव है। हम यह सुनिश्चित करने के पक्ष में हैं कि हमारे देश में हर एक व्यक्ति की आवाज़ हो और उसे खुद को अभिव्यक्त करने की अनुमति हो। हम बहुत दृढ़ता से महसूस करते हैं कि कश्मीर का विकास होना चाहिए, कश्मीर की प्रगति होनी चाहिए, और वहां शांति होनी चाहिए।