यहां श्री कृष्ण संग विराजती हैं मीरा! प्रभु श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का पर्व यहां बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है.
हिंदू धर्म में इस खास दिन का बेहद ही खास महत्व है. ऐसे में इस पावन पर्व पर हम आज आपको लेकर चलेंगे एक ऐसे अद्भुत और दुनिया के इकलौता ऐसे मंदिर में, जहां भगवान श्रीकृष्ण के साथ राधा नहीं, बल्कि श्रीकृष्ण भक्त मीरा विराजती है. करीब 478 साल पुराना ये मंदिर जयपुर के आमेर में सागर रोड पर स्थित है, जिसे जगत शिरोमणि के नाम से पहचाना जाता है.
इस मंदिर के इतिहास, महत्व और मान्यता को बारीकी से समझने के लिए हमें आज से करीब 600 साल पहले चलना होगा.
जब राजस्थान के मेवाड़ में भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में दीवानी मीरा बाई, पूरी तन्मयता से कृष्ण भक्ति भी लीन रहा करतीं, फिर इसके करीब 150 साल बाद साल 1576 में हुए हल्दीघाटी के युद्ध के बाद आमेर के राजा मानसिंह प्रथम इस बेहद ही खास प्रतिमा काे चित्तौड़गढ़ से आमेर ले आए.
ये है इतिहास
यहां भगवान विष्णु के मंदिर में इस प्रतिमा की स्थापना की गई. जहां श्रीकृष्ण की उस प्रतिमा के साथ भक्त के रूप में मीराबाई की प्रतिमा भी रखी गई. आगे चलकर इस अपने तरह के इकलौते मंदिर को राजा मानसिंह प्रथम की पत्नी रानी कनकावती ने अपने 14 साल के बेटे कुंवर जगत सिंह की याद में इसे जगत शिरोमणि मंदिर का नाम दिया, जिसका अर्थ था भगवान विष्णु के मस्तक का गहना.
मुगल शिल्पकला नहीं
यह मंदिर राजपूत स्थापत्य कला का अनूठा उदाहरण है. जानकार बताते हैं कि वो दौर मुगल शासनकाल का था, बावजूद इसके तत्कालीन समय के अन्य मंदिरों की भांति इस मंदिर पर मुगल शिल्पकला बिल्कुल प्रभाव नजर नहीं आता. इसे पूर्णत: दक्षिण भारतीय वास्तुशिल्प के आधार पर तैयार किया गया है.
यूं किया गया है तैयार
इसे पूरी तरह संगमरमर से बनाया गया है, जिसे 15 फीट ऊंचे चबूतरे पर मंदिर निर्मित किया गया है. इस मंदिर में पीले पत्थर, सफेद और काले संगमरमर का इस्तेमाल नजर आता है. साथ ही पौराणिक कथाओं की शिल्प दर्शनीय, कलात्मक चित्रांकन, तोरण, द्वार-शाखाओं, स्तंभों पर बारीक कारीगरी सहित अन्य कई बेहतरीन कालाकारी देखने को मिल जाती है. ऐसे में जब कभी आप जयपुर/आमेर जाएं तो, भगवान श्रीकृष्ण और मीराबाई के दर्शन एक साथ करना न भूलें.