पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने भारतीय कुश्ती संघ के चुनाव पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। ये चुनाव आज यानी (12 अगस्त) होना था। इससे पहले भी कुश्ती महासंघ के चुनाव पर रोक लग चुकी है। गुवाहाटी हाईकोर्ट ने असम कुश्ती संघ की याचिका पर सुनवाई करते हुए डब्ल्यूएफआई के 11 जुलाई को होने वाले चुनाव पर रोक लगाई थीा। गुवाहाटी हाईकोर्ट ने ये आदेश तब दिया जब असम कुश्ती संघ ने डब्ल्यूएफआई, आईओए, एडहॉक समिति और खेल मंत्रालय के खिलाफ दायर याचिका की थी, जिसमें दावा किया गया कि वो डब्ल्यूएफआई का मान्यता प्राप्त सदस्य होने का हकदार है लेकिन उसे मान्यता नहीं दी गई। वहीं अब हरियाणा कुश्ती संघ के वोट डालने की योग्यता को चुनौती दी गई है।
डब्ल्यूएफआई चुनाव पर पंजाब- हरियाणा हाईकोर्ट ने रोक लगाने का फैसला तब किया जब हरियाणा के दो निकायोंने डब्ल्यूएफआई चुनाव में वोड डालने का हकदार होने का दावा किया। इसमें से एक हरियाणा कुश्ती संघ और दूसरा हरियाणा एमेच्योर कुश्ती संघ है। उच्च न्यायालय में हरियाणा कुश्ती संघ ने कहा कि वो डब्ल्यूएफआई से संबद्ध है और वोट डालने के लिए पात्र है। लेकिन रिटर्निंग ऑफिसर ने कहा कि हरियाणा एमेच्योर रेसलिंग एसोसिएशन को वोट देने का आधिकार है। ऐसे में रिटर्निंग ऑफिसर के इसी आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है।
याचिका लेकर जानकारी देते हुए याचिकाकर्ता वकील रविंदर मलिक ने कहा कि कोर्ट ने भारतीय कुश्ती संघ के चुनाव फर अगली सुनवाई की तारीख यानी 18 अगस्त तक रोक लगा दी है। उन्होंने बताया, “हरियाणा के दो निकायों ने दावा किया कि वे कल होने वाले डब्ल्यूएफआई चुनावों में अपना वोट डालने के हकदार हैं। एक है हरियाणा कुश्ती संघ और दूसरा है।” हरियाणा एमेच्योर कुश्ती संघ है। हमने रिटर्निंग ऑफिसर के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी है।”
दरअसल, भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष का कार्यकाल पूरा हो चुका है। खेल संहिता के अनुसार वे 12 साल डब्ल्यूएफआई चीफ के पद पर रह चुके हैं। ऐसे में अब वे संघ का चुनाव लड़ने के योग्य नहीं है। कुश्ती संघ के लिए कल 12 अगस्त को चुनाव होना था। दरअसल, चार उम्मीदवार अध्यक्ष पद पर, जबकि तीन वरिष्ठ उपाध्यक्ष, 6 उपाध्यक्ष, तीन महासचिव, दो कोषाध्यक्ष, संयुक्त सचिव और 9 उम्मीदवार कार्यकारी सदस्य पद के लिए मैदान में हैं। 15 पदों पर 30 उम्मीदवारों ने नामांकन किया है। अध्यक्ष पद पर एक महिला ने भी आवेदन किया है।