भारत की राजनीति में किसी नेता का अपराधी होना कोई बड़ी बात नहीं है, बल्कि ये मान लिया गया है कि कोई भी सिद्धांतवादी शख्स राजनीति कर ही नहीं सकता. इस देश में कई ऐसे बड़े नेता हैं जिन पर किडनैपिंग से लेकर, मर्डर तक के मामले चल रहे हैं.
दरअसल सुप्रीम कोर्ट की एक शर्त के मुताबिक किसी भी नेता को विधायक बनने से पहले एक स्वघोषित हलफनामा फाइल करना होता है, जिसमें उस पर कितने आपराधिक मामले दर्ज हो चुके हैं इसकी डिटेल जानकारी दी जाती है. इसी हलफनामे के अनुसार भारत के कुल विधायकों में से 44 प्रतिशत विधायकों पर क्रिमिनल केस हैं.
नेताओं पर लगे कुछ आरोप तो मामूली या राजनीतिक हैं, लेकिन ज्यादातर विधायकों के खिलाफ हत्या की कोशिश, सरकारी अधिकारियों पर हमला, और चोरी जैसे गंभीर आरोप थे.
हमारे देश में वर्तमान में कुल 4001 विधायक हैं.
जिसमें से 1,777 यानी 44 फीसदी नेता हत्या, बलात्कार, अपहरण जैसे अपराधों में लिप्त रहे हैं. वहीं वर्तमान लोकसभा में भी 43 फीसदी सांसद आपराधिक मामलों में घिरे हैं.
आज से 23 साल पहले यानी 2004 में यही संख्या 22 फीसदी थी,
जो कि अब दोगुनी हो गई है. ये आंकड़ा बताता हैं कि राजनीति को अपराध मुक्त बनाने की लाखों कोशिशों के बावजूद ऐसे विधायकों, सांसदों की संख्या बढ़ती ही जा रही है जिनके खिलाफ आपराधिक मुकदमे चल रहे हैं.
जांच पूरी लेकिन फैसला नहीं सुनाया गया
यहां ध्यान देने की बात ये है कि क्रिमिनल केस के मामलों का सामना कर रहे इन 1,777 नेताओं पर कोई छोटे-मोटे आरोप नही हैं. ये ऐसे मामले हैं जिनकी जांच पूरी हो चुकी है और पुलिस कोर्ट में चार्जशीट भी दायर कर चुकी है, लेकिन बावजूद इसके इन मामलों पर अब तक कोई फैसला नहीं सुनाया गया है.
क्रिमिनल केस वाले ज्यादातर नेताओं को न्यायालयों के फैसलों की चिंता इसलिए भी नहीं है, क्योंकि जब तक कोर्ट दोषी पाए जाने का फैसला नहीं सुनाता है तब तक इन नेताओं को चुनाव लड़ने से कोई नहीं रोक सकता है, यहां तक की जेल में रहते हुए भी चुनाव लड़ा जा सकता है.
सरकारी रिपोर्ट की मानें तो नेताओं के क्रिमिनल केस निपटाने के मामले में मध्यप्रदेश के साथ तेलंगाना और आंध्र प्रदेश ऐसे तीन राज्य हैं जिनमें पिछले 5 सालों में एक भी मामले का निपटारा नहीं किया गया है.
क्या कहते हैं आंकड़े
अगर हम इन विधायकों के ऊपर लगे गंभीर आपराधिक मामलों को देखें तो कुल आपराधिक मामले वाले विधायकों में से 1,136 या 28% मामले ऐसे हैं जिनमें दोषी पाए जाने पर आरोपी को पांच साल या उससे ज्यादा की जेल की सजा हो सकती है.
एडीआर से मिले आंकड़ों के मुताबिक 47 विधायकों पर हत्या के मामले, 181 पर हत्या के प्रयास के मामले और 114 पर महिलाओं के खिलाफ अपराध से संबंधित मामले दर्ज हैं. 14 विधायकों पर बलात्कार के मामले दर्ज किए गए हैं.
इन राज्यों के विधायकों पर गंभीर अपराध वाले मामले दर्ज
दिल्ली के 53 फीसदी विधायकों पर गंभीर अपराध वाले मामले दर्ज हैं
बिहार के 59 फीसदी विधायकों पर गंभीर अपराध का क्रिमिनल केस दर्ज हैं.
महाराष्ट्र, झारखंड और तेलंगाना में 39 फीसदी पर ऐसे ही मामले दर्ज हैं.
उत्तर प्रदेश में 38 प्रतिशत सिटिंग विधायकों पर गंभीर अपराध वाले मामले दर्ज हैं.
किस पार्टी में हैं कितने ऐसे माननीय
भारतीय जनता पार्टी – भारत के 15 राज्यों में बीजेपी की सरकार है. इनमें बीजेपी बहुमत के साथ 6 राज्यों में और सहयोगी पार्टियों के साथ 9 राज्यों में सरकार चला रही है. इन राज्यों में बीजेपी में कुल 479 विधायक हैं जिनमें से 337 विधायकों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. फिलहाल बीजेपी के सबसे ज्यादा विधायकों पर क्रिमिनल केस दर्ज हैं.
कांग्रेस– आपराधिक मामले वाले विधायकों की लिस्ट में दूसरा स्थान कांग्रेस का है. कांग्रेस के 334 विधायकों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं जिनमें से 194 विधायकों पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं.
अन्य पार्टियां- अन्य पार्टियों में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके), तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, वाईएसआर कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, भारत राष्ट्र समिति (पूर्व में तेलंगाना राष्ट्र समिति), राष्ट्रीय जनता दल, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) और बीजू जनता शामिल हैं. इन दलों में ऐसे तो विधायकों की संख्या कम है, लेकिन अपराध का प्रतिशत ज्यादा है.
साल दर साल बढ़ रहे हैं लंबित मामले
साल 2018 के दिसंबर महीने जारी किए गए डाटा के अनुसार सांसदों और विधायकों के खिलाफ 4122 क्रिमिनल केस पेंडिंग चल रहे थे. जिनमें से 1675 सांसद (पूर्व और वर्तमान) और 2324 विधायक (पूर्व और वर्तमान) हैं.
दिसंबर के साल 2021 में जारी किए गए डाटा के अनुसार इस साल लंबित मामले 4984 थे. इसका मतलब है कि नेताओं के खिलाफ मामले बढ़ते ही जा रहे हैं. दिसंबर 2021 में पिछले पांच साल से पेंडिंग मामलों की कुल संख्या 1899 थी.
नवंबर 2022 के आंकड़ों के अनुसार 5 साल से ज्यादा पेंडिंग मामलों की संख्या 962 थी, हालांकि इस डाटा में देश के 9 उच्च न्यायालयों का आंकड़ा शामिल नहीं किया गया था.
12 नवंबर 2022 को देश के 16 उच्च न्यायालयों से मिले आंकड़ों के अनुसार विधायकों और सांसदों के खिलाफ 3069 केस पेंडिंग चल रहे थे. यानी कि यूपी बिहार सहि देश के अन्य 9 हाईकोर्ट का आंकड़ा इसमें शामिल नहीं है.
अपराधी नेताओं को मिलता है ज्यादा वोट
बीबीसी की एक रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय शांति के लिए कार्नेगी एंडोमेंट में वरिष्ठ फेलो डॉ. वैष्णव ने अपने रिसर्च के बारे में बताया है. उन्होंने तीन आम चुनावों में खड़े सभी उम्मीदवारों का अध्ययन किया. जिसके बाद उन्होंने साफ़-सुथरे रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों और आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवारों को अलग अलग बांटा और पाया कि आपराधिक रिकॉर्ड वाले प्रत्याशियों की अगले चुनाव जीतने की उम्मीद 18 प्रतिशत है. जबकि “साफ-सुथरे इमेज वाले प्रत्याशियों की चुनाव जीतने की उम्मीद सिर्फ 6 फीसदी है.
उन्होंने साल 2003 से लेकर 2009 के बीच होने वाले विधानसभा चुनाव में मैदान में उतरने वाले प्रत्याशियों की भी इसी तरह की एक गणना की थी, जिसके अनुसार “जिन उम्मीदवारों के खिलाफ केस लंबित हैं उन्हें जीत का ज्यादा फायदा मिला”