इंदौर, 01 जुलाई : जब मैंने अपनी पहली फिल्म द लास्ट मांक बनाई तब मुझे कोई नहीं जानता था, पर कान फिल्म फेस्टिवल में इसके सम्मिलित होने के बाद मुझे लगा कि भारत के 140 करोड़ में से प्रत्येक का सामर्थ्य है कि वो भी असंभव को संभव कर सकता है।
केरला स्टोरी के बाद मुझे समझ में आया कि फिल्में वास्तव में समाज परिवर्तन का प्रभावी माध्यम हैं।
उक्त उद्गार इंदौर के डेली कॉलेज सभागृह में फिल्म केरला स्टोरी के निर्देशक सुदीप्तो सेन ने शनिवार देर शाम आयोजित व्याख्यानमाला में सिने जगत की समाज परिवर्तन में भूमिका पर बोलते हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि केरल स्टोरी बनाने के बाद से ही जब अनेक कानूनी व आर्थिक समस्याएं सामने आईं तो भय था कि फिल्म रिलीज भी हो पाएगी कि नहीं, पर इसके रिलीज होने के दो माह में ही जैसा प्रतिसाद समाज की ओर से आया तो विश्वास हो गया कि देश में एक बड़ा परिवर्तन आ रहा है। देश में फिल्म निर्माण के क्षेत्र में सुनियोजित तरीके से एक वामपंथी विचारधारा कार्य करती है, जो यह समझती है कि आम जनता को वो जैसा बताएंगे, वही मान्य हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि भारतीय सिनेमा को संभवतः इसीलिए बॉलीवुड के नाम से चलाया भी जाता है, परंतु अब जैसे-जैसे आम व्यक्ति जागरूक हो रहा है, वैसे-वैसे ही यथार्थ का यथोचित चित्रण करने वाली फिल्में बन रही हैं। अगर राजनीति के बड़े लोग कश्मीर फाइल्स व केरल स्टोरी जैसी फिल्मों से विचलित हो रहे हैं तो इसका मतलब है कि हमारी इन फिल्मों का समाज पर सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि मैंने इस फिल्म से 300 करोड़ अवश्य कमाए हैं, पर आज भी मैं 300 रुपये की शर्ट पहनता हूं, क्योंकि मेरा उद्देश्य देश के लोगों को सच बताकर जगाना है। इस फिल्म को जहां कुछ लोगों ने प्रोपोगेण्डा कहकर दुष्प्रचारित किया, वहीं असल में यह फिल्म केरल में हाऊस फुल चल रही है। हैदराबाद में इसने 23 करोड़ की कमाई की है। बिहार में लोगों ने इसे बेहद पसंद किया है।
सुदीप्तो सेन ने कहा कि आज इस विषय पर समाज में खुलकर चर्चा होने लगी है। जिन 3.5 करोड़ लोगों ने यह फिल्म देखी है, वे ही इस विमर्श को बाकी समाज तक लेकर जा रहे हैं। अब एक वर्ग विशेष कन्टेन्ट पर कन्ट्रोल नहीं रखेगा, समाज अपना एजेंडा खुद निर्णीत करेगा। भारत में आगे जो फिल्म बनेगी उन पर समाज की सोच दृष्टिगत होगी, कोई भी एक विशेष विचारधारा अब काम नहीं करेगी।
व्याख्यान माला में विषय प्रस्तावना रखते हुए विनय पिंगले ने कहा कि आज समाज के महत्वपूर्ण मुद्दे नई फिल्मों के माध्यम से सार्थक हो रहे हैं और समाज को सही दिशा दिखा रहे है।
अध्यक्षीय वक्तव्य में शहर के प्रख्यात फिल्म निर्माता देवेन्द्र मालवीय ने कहा कि मैं सुदीप्तो सेन को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने अफगानिस्तान और सीरिया के मरुस्थल में दफन भारत की बेटियों की व्यथा समाज के सम्मुख प्रस्तुत की।
कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रूप में डेली कालेज प्रबंधन बोर्ड के अध्यक्ष विक्रम सिंह पंवार की उपस्थिति रही। कार्यक्रम का संचालन अभिराम भिसे ने किया तथा आभार सुजीत सिंहल ने व्यक्त किया। कार्यक्रम का समापन शालिनि गुप्ता के द्वारा वन्दे मातरम् से हुआ।
उल्लेखनीय है कि विगत कई वर्षों से डाॅ हेडगेवार स्मारक समिति के तत्वावधान में चिन्तन-यज्ञ के अंतर्गत व्याख्यान माला का आयोजन किया जा रहा है। प्रत्येक वर्ष समसामयिक विषयों पर देश के मूर्धन्य विद्वान वक्ता समाजोन्मुकी-समसामयिक विषयों पर अपना उद्बोधन देते हैं, जिससे समाज को सही दिशा प्राप्त होती है।