चंडीगढ़ : अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी की महासचिव एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि पीपीपी भाजपा-जजपा गठबंधन के ताबूत में कील का काम करेगा। पीपीपी के फेर में प्रदेश के लाखों परिवार उलझे हुए हैं। सिंगल आदमी का पीपीपी न बनना अपने आप में बड़ा झमेला है। पीपीपी न होने से किसी को सस्ता राशन मिलना बंद हो गया है तो किसी को मिलने वाली पेंशन काट दी गई है। लाखों लोगों को इसी पीपीपी के कारण सरकारी योजनाओं का पात्र होने के बावजूद इनसे वंचित कर दिया गया है। इसलिए लोगों ने अब पीपीपी को परिवार पहचान पत्र की बजाए परिवार परेशान पत्र कहना शुरू कर दिया है।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि पीपीपी को लेकर प्रदेश में पिछले कुछ अरसे से गांव-देहात से लेकर विधानसभा तक में घमासान मचा हुआ है। पीपीपी की मार से बेहाल लोग लगातार आवाज उठा रहे हैं, जिस पर गठबंधन सरकार ने टोल फ्री नंबर जारी कर दिया, लेकिन यह कभी अटैंड ही नहीं होता। जिन लोगों ने पीपीपी में खामी को दूर करने के आवेदन दिए, उन पर विचार तक नहीं किया जा रहा है। रेवाड़ी में जिला उपायुक्त के पास 70 साल के बुजुर्ग का सेहरा बांध कर पहुंचना बताता है कि लोग पीपीपी से किस कद्र परेशान हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब वह बुजुर्ग परिवार में अकेला रह गया है तो फिर उसका पीपीपी क्यों नही बनाया जा रहा, यह समझ से परे है। इसी तरह कितने ही और लोग भी प्रदेश में ऐसे होंगे, जो अपने परिवार में एकमात्र सदस्य है। उनके पास पीपीपी न होने से उन्हें भी सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। प्रदेश सरकार को चाहिए कि सिंगल व्यक्ति का भी पीपीपी बनाए और नियमों के अनुसार उन्हें भी सरकारी सुविधाएं प्रदान करे।
कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार की गलत नीतियों के कारण ही आज प्रदेश पर 4 लाख करोड़ से अधिक का कर्जा हो चुका है। इसकी वजह से सरकार के सामने अपने कर्मियों को तनख्वाह देने का संकट भी खड़ा हो चुका है और इसके लिए भी उसे कर्जा लेना पड़ रहा है। प्रदेश की बिगड़ती आर्थिक हालत को छिपाने के लिए गठबंधन सरकार उन तमाम जनकल्याणकारी योजनाओं को बंद करने पर आमादा है, जो गरीब व कमजोर तबके के लिए कांग्रेस ने शुरू की थी। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पीपीपी से लोग इतने तंग हो चुके हैं कि उनका पूरा का पूरा परिवार परेशानियों से जूझने लगा है। वे सरकारी दफ्तरों के धक्के खा रहे हैं, अफसरों के पैर पकड़ रहे हैं, लेकिन राज्य सरकार को उनका दर्द दिखाई नहीं देता। क्योंकि, गठबंधन सरकार उन्हें मिलने वाली तमाम सरकारी स्कीमों को बंद करने के लिए ही पीपीपी, यानी परिवार परेशान पत्र लेकर आई है।