नई दिल्लीः निशा बांगरे मध्य प्रदेश के छतरपुर में बतौर डिप्टी कलेक्टर कई सालों से काम कर रही हैं. उन्होंने 2016 में मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) परीक्षा पास की थी. इसके बाद से ही पद पर काम कर रही हैं.
निशा बांगरे ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है, जो कि सुर्खियों में बना हुआ है. इस्तीफा देते हुए उन्होंने प्रशासन विभाग को लेटर लिखा, जो कि सार्वजनिक हो चुका है. निशा बांगरे 2016 में MPPSC परीक्षा में पास कर डिप्टी एसपी बनीं थी. 2017 में फिर से एमपीपीएससी परीक्षा कर डिप्टी कलेक्टर पद पाया था.
जारी लेटर में निशा बांगरे ने लिखा, मैं अपने घर के उद्घाटन में उपस्थित न होने से आहत हूं. उद्घाटन कार्यक्रम में विश्व शांतिदूत तथागत बुध्द की अस्थियों के भी दर्शन लाभ की अनुमति न देने से मेरी धार्मिक भावनाओं को अपूर्णनीय क्षति पहुंची है. अतः मैं अपने मौलिक अधिकार धार्मिक, आस्था एवं संवैधानिक मूल्यों से समझौता करके अपने डिप्टी कलेक्टर पद पर बने रहता उचित नहीं समझती हूं. इसलिए अपने डिप्टी कलेक्टर पद से 22 जून 2023 को तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देती हूं.”
मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा है कि निशा बांगरे मध्यप्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में बैतूल की आमला विधानसभा से चुनाव लड़ सकती हैं. उन्होंने मीडिया के सामने भी इस बात स्वीकारा था. निशा बांगरे की एजुकेशन की बात करें तो उन्होंने विदिशा के सम्राट अशोक प्रौद्योगिकी संस्थान से 2014 में इंजीनियरिंग की. इंजीनियरिंग के बाद प्राइवेट नौकरी की. फिर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी की. 2016 में MPPSC परीक्षा में पास कर डिप्टी एसपी बनीं. 2017 में फिर से एमपीपीएससी परीक्षा कर डिप्टी कलेक्टर बनीं.
2017 से ही राज्य प्रशासनिक सेवा की अधिकारी अलग अलग जिलों में कार्यरत हैं. इस्तीफा देने के अलावा निशा बांगरे से जुड़ी सरकारी आवास पर कब्जा रखने की खबर भी चर्चा में है. मीडिया रिपोर्ट्स में दी गई जानकारी के मुताबिक, जब निशा बांगरे भोपाल डिप्टी कलेक्टर के पद पर थीं, तब उन्हें चार इमली इलाके में शासकीय बंगला नंबर F-5/20 मिला था. इस बंगले को उन्होंने F-5/27 से बदला था. छतरपुर में डिप्टी कलेक्टर पद पर ज्वाइन करने के बाद भी निशा ने भोपाल में मिला F-5/27 बंगला खाली नहीं किया है. सरकारी आवास से कब्जा हटाने को लेकर निशा को नोटिस भेजा गया है. बता दें कि एसडीएम का फुल फॉर्म सब डिविजनल मजिस्ट्रेट है.
कब्जे की सूचना पर उन्होंने कहा, ट्रांसफर के बाद छतरपुर में तुरंत सरकारी आवास नहीं मिला था. जिसकी वजह से भोपाल के आवास में सामान रखा था. खबरों में निशा के अलावा कहा जा रहा है जब तक वे सेवा में थी, उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया. इस्तीफा देने के बाद आवास से जुड़ा नोटिस मिला. उन्होंने कहा, इस्तीफे के बाद नोटिस भेजने से साफ है कि षड्यंत्र रचा जा रहा है.