3 सालों से एक यूनिवर्सिटी के छात्र और शिक्षक एक मिशन में जुटे हुए थे, जो अब पूरा होने जा रहा है. छात्रों ने एक लूनर रोवर बनाया है जिसे जल्द ही चांद पर भेजा जाएगा. इस रोवर का नाम है आइरिस रोवर (Iris rover), जिसे CLPS प्रोग्राम के हिस्से के तौर पर चांद पर ले जाया जा रहा है.
लूनर एक्सप्लोरेशन के 65 सालों के बाद, अमेरिका चांद पर अपना पहला रोवर (Lunar rover) लगाने जा रहा है. लेकिन खास बात ये है कि नासा के इंजीनियर इस मिशन पर काम नहीं कर रहे, बल्कि कॉलेज के स्टूडेंट्स का एक ग्रुप इस काम में बड़ी शिद्दत से जुटा हुआ है.
पिछले 3 सालों में पेन्सिलवेनिया में कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी के छात्रों, शिक्षकों और पूर्व छात्रों ने मिलकर आइरिस रोवर (Iris rover) को बनाया है. इसे नासा के कमर्शियल लूनर पेलोड सर्विसेज (CLPS) प्रोग्राम के हिस्से के तौर पर चांद पर ले जाया जा रहा है.
यह प्रोग्राम कमर्शियल स्पेस इंडस्ट्री के साथ पार्टनरशिप में की गई एक शुरुआत है. पहले यह 2021 के आखिर या 2022 की शुरुआत में लॉन्च होने वाला था, लेकिन नासा के मून एजेंडे में मिली असफलता की वजह से यह लॉन्च देर से हो रहा है.
यह अमेरिका का पहला मून रोवर है. साथ ही, यूनिवर्सिटी के छात्रों द्वारा बनाया गया पहला रोवर भी है. जबकि नासा के वाइपर रोवर को अगले साल लॉन्च किया जाएगा. इस रोवर का वज़न 2 किलो है जिसमें एक जूते के डब्बे जितना बड़ा चेसिस लगा है और इसके कार्बन-फाइबर पहिए बोतल के ढक्कन जैसे दिखाई देते हैं.
यह मिशन 60 घंटे का मिशन होगा, जिसका मकसद होगा भौगोलिक अध्ययन के लिए चांद की सतह की तस्वीरें खींचना. यह नई लोकलाइज़ेशन तकनीकों की भी जांच करेगा, क्योंकि यह अपनी पोज़ीशन से जुड़ा डेटा पृथ्वी पर वापस भेजता है.
आइरिस के अलावा, चांद पर मूनआर्क नाम का एक छोटा सा टाइम कैप्सूल भी भेजे जाने की योजना है, जिसमें कविताएं, संगीत, तस्वीरें और छोटी-छोटी चीजें भरी हैं.
मूनआर्क और उसके पिंट के आकार का रोवर यूनाइटेड लॉन्च एलायंस के वल्कन सेंटॉर रॉकेट पर सवार होकर अंतरिक्ष में जाएंगे और पिट्सबर्ग की स्पेस कंपनी एस्ट्रोबायोटिक के पेरेग्रीन लैंडर से चांद की सतह पर पहुंचाए जाएंगे. यह लॉन्च 4 मई को फ्लोरिडा में केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से किया जाएगा.
कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी के एक रिसर्च एसोसिएट और मिशन के कमांडर रेविन डुवैल का कहना है कि सैकड़ों छात्रों ने आईरिस को हजारों घंटे दिए हैं. इस मिशन के लिए हमने सालों काम किया है और अब जब हमें लॉन्च की तारीख मिल गई है तो हम बहुत उत्साहित हैं.