नई दिल्ली : शोधकर्ताओं को राजस्थान के थार मरुस्थल में हजारों वर्ष पहले विलुप्त हो चुकी एक नदी के अवशेष मिले हैं। शोधकर्ताओं के पास बीकानेर के नजदीक मिले साक्ष्य बताते हैं कि वहां से 172 हजार साल पहले नदी गुजरती थी, जो कि क्षेत्र की मानवीय आबादी के लिए लाइफ-लाइन की तरह रही हो सकती है। यह शोध क्वाटर्नेरी साइंस रिव्यूज जर्नल में प्रकाशित हुआ है। यह शोध जर्मनी के द मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट फॉर द साइंस ऑफ ह्यूमन हिस्ट्री, तमिलनाडु के अन्ना यूनिवर्सिटी और कोलकाता के आईआईएसईआर जैसे संस्थानों के शोधकर्ताओं ने मिलकर किए हैं, जिसमें इस बात के संकेत मिलते हैं पाषाण युग में उस क्षेत्र में आबादी रहती होगी, जो अब थार मरुस्थल बन चुका है।
थार मरुस्थल में मिले साक्ष्य इस बात के संकेत देते हैं कि राजस्थान के बीकानेर के नजदीक से करीब 1 लाख 72 हजार साल पहले जो नदी बहती थी, वह मौजूदा नदी से 200 किलोमीटर से कुछ ज्यादा दूरी पर थी। शोधकर्ताओं के मुताबिक उनका रिसर्च मौजूदा नदी और हजारों साल पहले सूख चुकी घग्गर-हकरा नदी के रास्ते के बारे में कई साक्ष्य सामने रखते हैं। उनके मुताबिक केंद्रीय थार मरुस्थल से होकर बहने वाली नदी की मौजूदगी पुरापाषण युग के लोगों के लिए एक जीवन-रेखा की तरह रही होगी। शोधकर्ताओं ने बताया है कि थार रेगिस्तान के पहले के निवासियों को लेकर विलुप्त हो चुकी नदियों के महत्त्व की अनदेखी की गई है।
मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर द साइंस ऑफ ह्यूमैन हिस्ट्री के जिम्बोब ब्लिंकहॉर्न का कहना है कि थार मरुस्थल का एक समृद्ध प्रागितिहास रहा है और सबूतों की एक पूरी कड़ी के जरिए हम यह बता रहे हैं कि पाषाण युग में लोग वहां कैसे रहे और कैसे उन्होंने अपना पूरा लैंडस्केप विकसित किया। उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि इस क्षेत्र में रहने के लिए नदियां कितनी अहम हो सकती हैं, लेकिन प्रागितिहास काल में इन नदियों का सिस्टम कैसा था, इसके बारे में अभी हमारे पास बहुत कम जानकारी है। अनुसंधानकर्ताओं का कहना है कि सैटेलाइट तस्वीरों से यह पता चलता है कि थार मरुस्थल में नदियों का घना जाल रहा होगा, लेकिन वह ये नहीं बता सकते कि ऐसा कब रहा होगा।
अन्ना यूनिवर्सिटी की हेमा अच्युतन का कहना है कि नदियों के ऐसे चैनल कितने पुराने हैं, इसके सबूत खोजने के लिए हमें रेगिस्तान के बीच में उसकी गतिविधियों के बारे में जानकारी जुटानी होगी। बहरहाल शोधकर्ताओं ने नाल गांव के पास नदी की रेत और बजरी का अध्ययन किया है, जिसके आधार पर नदी की गतिविधि से जुड़े विभिन्न चरणों को दस्तावेज का शक्ल दे पाए हैं।
शोध में अबतक जो पाया गया है, उसके अनुसार नाल में नदी की सबसे ज्यादा गतिविधि करीब 172 हजार साल से लेकर 140 हजार साल के बीच का होने के संकेत हैं। इसके बाद 95 से 78 हजार साल पूर्व भी नदियों की गतिविधि के साक्ष्य मिले हैं, लेकिन उसके बाद के बहुत कम सबूत उपलब्ध हैं। हालांकि, 26 हजार साल पहले यह चैनल कुछ समय के लिए फिर से सक्रिय पाया गया है। गौरतलब है कि रेगिस्तान के मरुस्थल को लेकर पहले भी कई खोज हो चुके हैं, जिसमें युगों पुराने जीवाश्म भी पाए जा चुके हैं।