*भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर जी की 101वीं जयंती के अवसर पर बिहार में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान जी के उद्बोधन के मुख्य बिन्दु:*
अपने लिए तो कीट-पतंगे और पशु पक्षी भी जीते हैं। अगर अपने लिए जीये तो क्या जीये? जीता वही है जो देश, जनता और दूसरों के लिए जीता है।
कर्पूरी ठाकुर जी का जीवन भी अपने लिये नहीं था, जनता के लिये था, गरीबों, दीन-दुखियों, किसानों के लिये था।
है समय नदी की धार, जिसमें सब बह जाया करते हैं, लेकिन कुछ ऐसे होते हैं, जो इतिहास बनाया करते हैं।
कर्पूरी जी ने गरीब और पिछड़ों की सेवा में नया इतिहास रचा।
मैं कर्पूरीग्राम की धरती को प्रणाम करता हूँ, जिसने कर्पूरी जी को जन्म दिया।
उनका नारा था- 100 में 90 शोषित हैं, शोषितों ने ललकारा है, धन-धरती और राजपाठ पर 90 भाग हमारा है।
अधिकार चाहो तो लड़ना सीखो, पग पग पर अड़ना सीखो, जीना है तो मरना सीखो।
पिछड़ों को आरक्षण कर्पूरी जी ने दिया था, मैं उनको प्रणाम करता हूँ।
शिक्षा के मामले में गरीबों को बराबर अधिकार देने के लिये मेट्रिक तक फ्री शिक्षा देने का फैसला कर्पूरी बाबू ने लिया था।
वो अपनी भाषा में शिक्षा देने के पक्षधर थे। मैं अंग्रेजी का विरोधी नहीं हूँ, लेकिन गाँव में बच्चे अपनी मातृभाषा में अच्छे से शिक्षा प्राप्त करते हैं। कर्पूरी जी ने अंग्रेजी की बाध्यता मेट्रिक में खत्म की।
कई प्रेरक प्रसंग हैं उनके जीवन के। कर्पूरी बाबू जब मुख्यमंत्री थे, तब जयप्रकाश नारायण जी के जन्मदिन पर कार्यक्रम में उनका कुर्ता फटा था, तब चंद्रशेखर जी ने कुर्ते के लिये दान देने का सभी से आग्रह किया।
उन्होंने वो राशि भी सीएम राहत कोष में दान कर दी थी।
मैं उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करता हूँ। आओ, उनके दिखाये मार्ग पर चलें।