Rajyasabha Chairman Jagdeep Dhankhar: राज्यसभा में आज शुक्रवार को सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को लेकर जोरदार हंगामा हुआ। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सभापति पर आरोप लगाया कि वह सदन को नियमों के तहत नहीं चला रहे हैं। इसके जवाब में उपराष्ट्रपति और सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा, “आपको पीड़ा होती है कि इस कुर्सी पर एक किसान का बेटा कैसे बैठा है।”
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान राज्यसभा में विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई। विपक्षी दलों ने सभापति पर पक्षपाती रवैया अपनाने का आरोप लगाया, खासकर जब वह बीजेपी के सांसदों को बोलने का अधिक अवसर दे रहे थे।
किसान का बेटा बनाम मजदूर का बेटा
राज्यसभा में विपक्ष द्वारा लगातार हंगामा किए जाने के बाद सभापति जगदीप धनखड़ भड़क उठे। उन्होंने कहा, “मैं किसान का बेटा हूं, मैंने बहुत बर्दाश्त किया है। आपने क्या किया, आपने संविधान की धज्जियां उड़ा कर रख दीं। आप मुझे समय बता दीजिए, मैं चर्चा के लिए तैयार हूं।” हंगामे के बीच सभापति धनखड़ ने विपक्षी नेताओं से कहा, “आप मुझे समय बताइए, मैं चर्चा के लिए तैयार हूं। मैं किसान का बेटा हूं, तो आपको यह सहन नहीं हो रहा है। आप क्या रहे हैं? आपने संविधान की धज्जियां उड़ाईं।” इसके बाद उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से कहा, “आप मुझसे मिलने का समय निकालिए, आप 12 बजे मुझसे मिल सकते हैं।”
खड़गे ने इस पर प्रतिक्रिया दी और कहा, “आप किसान के बेटे हैं, तो मैं भी मजदूर का बेटा हूं। मेरे पिता मेहनत करके लाते थे। आप सदन को परंपरा से चलाइए।”
कांग्रेस सांसद कपिल सिब्बल ने उठाया महाभियोग प्रस्ताव का मुद्दा
राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने भी एक बड़ा बयान दिया और कहा कि कांग्रेस ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायाधीश, न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव दिया है। सिब्बल ने कहा, “हमने 9 दिसंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट में दिए गए भड़काऊ बयान के लिए न्यायाधीश शेखर कुमार यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पेश किया है। हम मानते हैं कि न्यायाधीश को इस पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है और उन्हें हटा दिया जाना चाहिए।”
कपिल सिब्बल ने यह भी कहा, “यह राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यह संविधान की रक्षा और न्यायपालिका की स्वतंत्रता का मामला है। हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और सत्तारूढ़ पार्टी के नेताओं से अपील करते हैं कि वे हमारे साथ संविधान की रक्षा के लिए खड़े हों।” सिब्बल ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में आदेश देना चाहिए और न्यायाधीश को उस समय तक कोई कार्य नहीं सौंपा जाना चाहिए, जब तक महाभियोग प्रस्ताव पर फैसला नहीं लिया जाता। उन्होंने बताया कि इस प्रस्ताव पर 55 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं।