भारत और बांग्लादेश के बीच हाल ही में हुई उच्च स्तरीय बैठक में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और द्विपक्षीय संबंधों को लेकर गहन चर्चा हुई। भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिश्री और उनके बांग्लादेशी समकक्ष मोहम्मद जासिम उद्दीन ने आपसी मुद्दों पर विचार-विमर्श किया।
भारत ने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और सांस्कृतिक-धार्मिक स्थलों पर हमलों पर चिंता व्यक्त की, जबकि बांग्लादेश ने इसे “भ्रामक जानकारी” करार देते हुए अपने आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने की बात कही।
क्या हैं भारत की चिंताएं ?
अल्पसंख्यकों पर हमले:
भारत ने अगस्त 2024 में मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के सत्ता में आने के बाद हिंदुओं पर बढ़े हमलों पर चिंता जताई। सांस्कृतिक और धार्मिक स्थलों को निशाना बनाए जाने की घटनाओं पर भारत ने रचनात्मक दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान किया। सीमाओं पर हिंसा:
भारत ने सीमा पर बढ़ती हिंसा और तीस्ता जल-बंटवारे जैसे लंबित मुद्दों पर बातचीत का प्रस्ताव रखा।
क्या रहीं बांग्लादेश की प्रतिक्रिया?
आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप का विरोध:
जासिम उद्दीन ने भारतीय मीडिया द्वारा फैलाई गई “गलत जानकारी” पर नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में सभी धर्मों को स्वतंत्रता से अपने अनुष्ठान करने का अधिकार है।
आर्थिक और जल प्रबंधन मुद्दे:
बांग्लादेश ने गंगा जल संधि के नवीकरण और तीस्ता जल-बंटवारे के शीघ्र समाधान की मांग की। भारत से आवश्यक वस्तुओं की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने का भी अनुरोध किया।