नायब सिंह सैनी ने कहा कि धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन वर्ष 2016 से किया जा रहा है। दिव्य श्रीमद्भगवद्गीता को अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले जाने की प्रेरणा हमें प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से मिली। उन्होंने अमेरिका की अपनी पहली यात्रा के दौरान अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा को “दी गीता अर्कोडिंग टू गांधी” भेंट की। उसी समय हमने गीता के पावन संदेश को मानवमात्र तक पहुंचाने के लिए गीता जयंती समारोह को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने की पहल की।
मानवता को जिंदा रखने के लिए गीता का मनन करना जरूरी
गीता को भारतीय दर्शन की आधारशिला और समस्त मानवता के लिए मार्गदर्शक बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें गर्व है कि पवित्र ग्रंथ गीता भारत का विचार है। इसे पवित्र धर्म ग्रंथ ही नहीं, बल्कि सम्पूर्ण मानवता की आस्था और जीवन ग्रंथ भी माना जाता है, इसलिए मानवता को जिंदा रखने के लिए आज गीता का मनन करना बहुत जरूरी है।
उन्होंने कहा कि गीता के संदेश के प्रसार के लिए राज्य सरकार के प्रयासों में गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज और गीता ज्ञान संस्थान ने बड़ा सहयोग किया है। इनके सहयोग से पहली बार वर्ष 2019 में यह महोत्सव देश से बाहर मॉरीशस तथा लंदन में मनाया गया। इसके बाद सितम्बर, 2022 में यह कनाडा में आयोजित किया गया। अप्रैल, 2023 में यह आस्ट्रेलिया में आयोजित किया गया। इस वर्ष तो दो देशों में अन्तर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का आयोजन किया गया। गत फरवरी-मार्च माह में श्रीलंका में और अगस्त में यू.के. के मैनचेस्टर में भव्य आयोजन किये गये।
श्रीमद्भगवद गीता की शिक्षाओं के माध्यम से विश्व शांति को बढ़ावा देना चाहिए
मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि आधुनिक जीवन के तनावों और चुनौतियों का समाधान करने में श्रीमद्भगवद गीता की शिक्षाएं महत्वपूर्ण हैं। आज के तनावपूर्ण और निरंतर संघर्षों से जूझते हुए मानव समाज को गीता के सन्देश का अनुसरण करना होगा। इसी में राष्ट्र का हित निहित है और इसी से विश्व शान्ति का सपना साकार होगा।