Sheikh Hasina 1st public address: भारत से लगातार खराब होते संबंध और अल्पसंख्यकों से होने वाली हिंसा के बीच बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने देश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस पर तीखा हमला करते हुए, उन पर “नरसंहार” करने और हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की रक्षा करने में नाकाम रहने का आरोप लगाया है।
अगस्त में पद छोड़ने और देश से भागने के बाद अपने पहले सार्वजनिक भाषण में उन्होंने यह बात कही है। उनका ये बयान उस वक्त आया है, जब दोनों देशों के लोग एक दूसरे के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं और इस्कॉन के संत की गिरफ्तारियों ने भारतीय हिंदुओं में गुस्सा भर दिया है।
शेख हसीना को इस साल 5 अगस्त को छात्रों के भारी विरोध प्रदर्शन के बाद देश छोड़ना पड़ा था और उन्होंने भारत में शरण ले रखी है, जिसपर बांग्लादेश लगातार आपत्तियां जता रहा है। वहीं, शेख हसीना ने देश छोड़ने के बाद पहली बार वर्चुअल संबोधन के जरिए रविवार को अपने समर्थकों को संबोधित किया है। शेख हसीना का यह संबोधन रविवार को न्यूयॉर्क में “बिजॉय डिबोस” यानि विजय दिवस मनाने के लिए आयोजित एक स्मरणोत्सव कार्यक्रम का हिस्सा था, जो बांग्लादेश के 1971 के मुक्ति संग्राम में पाकिस्तानी सेना की हार का प्रतीक है।
शेख हसीना के संबोधन की बड़ी बातें
उन्होंने कहा, कि “आज, मुझ पर नरसंहार का आरोप लगाया जा रहा है। वास्तव में, यूनुस एक सुनियोजित तरीके से नरसंहार में शामिल रहा है। मास्टरमाइंड, स्टूडेंट कॉर्डिनेटर और यूनुस – इस नरसंहार के पीछे हैं।” उन्होंने दावा किया, कि उनकी और उनकी बहन शेख रेहाना की हत्या की योजना बनाई जा रही थी, ठीक उसी तरह जैसे 1975 में उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान की हत्या कर दी गई थी। उन्होंने 5 अगस्त को ढाका में अपने आधिकारिक आवास पर हुए हमले का जिक्र करते हुए कहा, “हथियारबंद प्रदर्शनकारियों को गणभवन की ओर भेजा गया। अगर सुरक्षा गार्डों ने गोली चलाई होती, तो कई लोगों की जान जा सकती थी। यह 25-30 मिनट का मामला था, और मुझे वहां से जाने के लिए मजबूर होना पड़ा।”
उन्होंने आगे कहा, कि “मैंने उनसे (गार्डों से) कहा, कि चाहे कुछ भी हो जाए, गोली न चलाएं।” शेख हसीना और मोहम्मद यूनुस के बीच हमेशा से विवादास्पद संबंध रहे हैं और मोहम्मद यूनुस को अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी का मोहरा माना जाता है। शेख हसीना ने अपने संबोधन के दौरान यूनुस को ‘सत्ता का भूखा’ करार दिया है। शेख हसीना ने एक बार फिर से दोहराया, कि मोहम्मद यूनुस ग्रामीण बैंक के संचालन में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल रहे हैं, जिसकी स्थापना उन्होंने माइक्रोफाइनेंस योजनाओं को शुरू करने के लिए की थी। शेख हसीना ने अपने संबोधन के दौरान इस्कॉन संत चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी का भी अप्रत्यक्ष संदर्भ देते हुए हवाला दिया। उन्होंने कहा, कि “हिंदू, बौद्ध, ईसाई, किसी को भी नहीं बख्शा गया है। ग्यारह चर्चों को नष्ट कर दिया गया है, मंदिरों और बौद्ध तीर्थस्थलों को तोड़ दिया गया है। जब हिंदुओं ने विरोध किया, तो इस्कॉन नेता को गिरफ्तार कर लिया गया।”
हिंदुओं को बेरहमी से क्यों सताया जा रहा?
अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्र शेख हसीना ने कहा, कि “अल्पसंख्यकों पर यह अत्याचार क्यों हो रहा है? उन्हें बेरहमी से क्यों सताया जा रहा है और उन पर हमला क्यों किया जा रहा है?” बंगाली में बोलते हुए शेख हसीना ने कहा, “लोगों को अब न्याय का अधिकार नहीं है… मुझे इस्तीफा देने का भी समय नहीं मिला।” अगस्त महीने में शेख हसीना को अराजक तरीके से सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद, धार्मिक अल्पसंख्यकों सहित उनके कई समर्थकों को निशाना बनाया गया है। अक्टूबर में इस्कॉन संत दास की गिरफ्तारी के बाद तनाव फिर से बढ़ गया है। चटगांव में विरोध प्रदर्शन करने और कथित तौर पर हिंदू धर्म से जुड़े बांग्लादेशी राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा झंडा फहराने के लिए उन पर देशद्रोह का आरोप लगाया गया था। पिछले हफ्ते चटगांव की एक अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया, जिसके कारण झड़पें शुरू हुईं और एक मुस्लिम वकील की मौत हो गई। हिंसा के सिलसिले में दर्जनों लोगों को गिरफ्तार किया गया है। वहीं, मंगलवार को इस्कॉन संत की जमानत याचिका पर कोर्ट में सुनवाई होने वाली थी, लेकिन मुस्लिम वकीलों ने उनकी पैरवी के लिए किसी भी वकील को कोर्ट में घुसने नहीं दिया। जिसके बाद जज ने जनवरी तक के लिए मामले को आगे बढ़ा दिया है।
मोहम्मद यूनुस की धरती क्यों डोल गई होगी?
एक्सपर्ट्स का मानना है, कि शेख हसीना का संबोधन ऐसे ही नहीं हुआ होगा, बल्कि इसे एक राजनीतिक संदेश के तौर पर देखा जाना चाहिए, क्योंकि बांग्लादेश की हालात में फिलहाल कोई सुधार होता नहीं दिख रहा है और अगले महीने व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी हो रही है, जो मोहम्मद यूनुस के लिए बड़ा झटका है। यानि, शेख हसीना एक बार फिर से अपनी शक्ति को संभाल रही हैं और नई राजनीति के लिए तैयार हो रही हैं। और इससे इनकार नहीं किया जा सकता है, कि जनवरी महीने के बाद बांग्लादेश में तेजी से हालात बदलेंगे और मोहम्मद यूनुस के लिए सरकार चलाना बिल्कुल आसान नहीं होने वाला है। एक्सपर्ट्स ये भी मानते हैं, कि शेख हसीना का भारत में रहना मोहम्मद यूनुस के लिए माथे पर तलवार के लटके रहने जैसा है और वो असहज नहीं हो सकते हैं, और उनका ये संबोधन, मोहम्मद यूनुस को परेशान करेगा।