US-India trade relations: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चुनाव प्रचार (US election) के दौरान और बाद में दी गई चेतावनियों का भारत में असर नजर आने लगा है। भारत (India) का वाणिज्य मंत्रालय अब अमेरिका-भारत व्यापार संबंधों ( Trade Relations) की समीक्षा कर रहा है। मंत्रालय डोनाल्ड ट्रंप ( Donald Trump) के बयानों पर खास ध्यान दे रहा है, जिसमें उन्होंने भारत को आयात शुल्क का ‘दुरुपयोग’ करने वाला बताया था।
ट्रंप की चेतावनी और भारत का मंथन
भारत के वाणिज्य मंत्रालय ने ट्रंप के बयानों की समीक्षा करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच कोई ऐसा पहलू नहीं है जिससे भारत पर भेदभावपूर्ण शुल्क लागू किया जा सके। हालांकि, मंत्रालय चिंतित है कि ट्रंप के बयानों का भारत-अमेरिका व्यापार पर असर पड़ सकता है, और भारत यह जानने की कोशिश कर रहा है कि आगे व्यापार कैसे चलेगा।
ट्रंप के चुनावी बयान का प्रभाव
ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान भारत को ‘टैरिफ किंग’ कहा था और आयात शुल्क का ‘दुरुपयोग’ करने का आरोप लगाया था। उनका यह बयान अक्टूबर 2020 में आया था। इसके अलावा, ट्रंप ने ब्रिक्स देशों को अमेरिकी डॉलर के विकल्प तलाश करने की भी चेतावनी दी थी, जिसमें भारत भी एक महत्वपूर्ण सदस्य है।
भारत और अमेरिका के व्यापार संबंध
भारत और अमेरिका के बीच मजबूत व्यापारिक रिश्ते हैं। इधर 2023-24 के वित्तीय वर्ष में अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा। पिछले वित्तीय वर्ष में भारत का निर्यात 77.51 अरब डॉलर रहा, जबकि आयात 42.2 अरब डॉलर था। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ‘भारत के मित्र’ हैं और भारत-अमेरिका मित्रता आगे भी बढ़ती रहेगी।
अमेरिका में ऊंचे आयात शुल्क की स्थिति
अमेरिका में कई उत्पादों पर सीमा शुल्क बहुत ज्यादा है, जैसे डेयरी उत्पादों पर 188 फीसदी, फल और सब्जियों पर 132 फीसदी, और अन्य खाद्य वस्तुओं पर 193 फीसदी। इस प्रकार, कई विशेषज्ञों का कहना है कि भारत को भी घरेलू उत्पादों को अधिक बाजार पहुंच देने के लिए शुल्क में कटौती की मांग करनी चाहिए।
अर्थशास्त्रियों का दृष्टिकोण
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह दावा कि भारत आयात शुल्क का ‘दुरुपयोग’ करता है, पूरी तरह से अनुचित है। वे बताते हैं कि कई देश, विशेषकर अमेरिका, अपने घरेलू उद्योगों की रक्षा के लिए आयात पर ऊंचे शुल्क लगाते हैं।
भारत और अमेरिका में व्यापारिक संबंधों की समीक्षा
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों की समीक्षा और मंथन जारी है। भारत यह सुनिश्चित करना चाहता है कि अमेरिका के साथ व्यापार सुचारु रूप से चलता रहे, और कोई भी भेदभावपूर्ण शुल्क भारत के खिलाफ लागू न हो।
भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर
वित्त वर्ष 2023-24 में अमेरिका भारत का सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर था। पिछले वित्त वर्ष में भारत का निर्यात 77.51 अरब डॉलर रहा। वहीं, आयात कुल 42.2 अरब डॉलर रहा। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में कहा है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ‘भारत के मित्र’ हैं और भारत-अमेरिका मित्रता आगे भी बढ़ती रहेगी। अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बावजूद भारत के व्यापारिक संबंध और प्रगाढ़ होते रहेंगे।
क्या कर रहे हैं एक्सपर्ट्स?
एक्सपर्ट्स ने बार-बार कहा है कि ट्रंप का यह दावा कतई अनुचित है कि भारत आयात शुल्क का ‘दुरुपयोग’ करता है। वजह यह है कि अमेरिका सहित कई देश कुछ उत्पादों पर ज्यादा सीमा शुल्क लगाकर अपने घरेलू उद्योगों की रक्षा करते हैं।
कई वस्तुओं पर ज्यादा शुल्क लगाता
डब्ल्यूटीओ के वर्ल्ड टैरिफ ‘प्रोफाइल’-2023 के अनुसार, अमेरिका भी डेयरी उत्पादों (188 फीसदी), फलों और सब्जियों (132 फीसदी), कॉफी, चाय, कोको और मसालों (53 फीसदी), अनाज और खाद्य पदार्थ (193 फीसदी), तिलहन, वसा और तेल (164 फीसदी), पेय पदार्थ और तंबाकू (150 फीसदी), मछली और मछली उत्पाद (35 फीसदी), खनिज और धातु (187 फीसदी), और रसायन (56 फीसदी) जैसी वस्तुओं पर ज्यादा शुल्क लगाता है। एक एक्सपर्ट ने कहा कि अगर अमेरिका अपने कुछ उत्पादों के लिए सीमा शुल्क में कटौती की मांग करता है तो भारत को भी घरेलू वस्तुओं को अधिक बाजार पहुंच प्रदान करने के लिए इसी तरह की कटौती की मांग करनी चाहिए।