शहर का टैगोर थियेटर रविवार शाम हिन्दी सिनेमा के तराने की मस्ती में झूमता नजर आया। दर्शकों से खचाखच भरे ऑडिटोरियम में पार्श्वगायक शब्बीर कुमार समेत अनेक सुप्रसिद्ध गायकों ने समां बाधे रखा तो, उनकी हौंसला अफजाई के लिए हरियाणा विधान सभा अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण सपत्नी मौजूद रहे। मौका था वाइब्रेशन्स म्यूजिक ग्रुप की ओर से आयोजित 14वीं सालाना संगीत संध्या का। शाम 5 बजे शुरू हुआ यह हसीन सफर रात 9 बजे के बाद तक झरने सा बहता रहा। कभी तालियों की गड़गड़ाहट तो कभी स्पंदित करने वाली मस्ती में दर्शक झूमते ही रहे। कई प्रस्तुतियां लोगों को भावुक भी कर गईं। मोहम्मद रफी, किशोर दा और मुकेश को समर्पित इस कार्यक्रम का आयोजन हरियाणा के कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग के सहयोग से किया गया।
कलाकारों की प्रतिभा से गदगद मुख्य अतिथि हरियाणा विधान सभा अध्यक्ष हरविन्द्र कल्याण ने कहा कि संगीत मनुष्य के संस्कारों को परिष्कृत करने की कला है। इन गीतों में केवल शब्द और धुन ही नहीं, बल्कि जीवन के कई पाठ छिपे हैं। ये सिर्फ मनोरंजन के साधन नहीं हैं, बल्कि यह हमारी संस्कृति, भावनाओं और समाज का जीवंत प्रतिबिंब हैं। ये गीत हमारे जीवन के हर पल के साथी हैं। खुशी के अवसरों से लेकर कठिनाइयों तक, हर भावना के गीत हमारे गीतकारों ने रचे हैं।
कल्याण ने कहा कि गुलामी के समय में जब हर तरफ अंधेरा दिखाई दे रहा था, तब हमारे देश में अनेक ऐसे गीतकार तैयार हुए, जिन्होंने अपनी लेखनी से हमारे समाज का मनोबल और आत्मबल बनाए रखा। आज हम उन्हीं यादगार और अविस्मरणीय गीतों की इस संगीत संध्या का हिस्सा बन रहे हैं।
संगीत की दुनिया में हरियाणा के योगदान का जिक्र करते हुए कल्याण ने कहा इस प्रदेश ने अनेक प्रतिभाशाली गायक, संगीतकार और कलाकार दिए हैं, जिन्होंने अपने कला कौशल से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ी है। इस अवसर पर उन्होंने सुरेश वाडकर और सोनू निगम का विशेष रूप से उल्लेख किया। कहा कि इन दोनों की सुरीली आवाज ने अनेक सदाबहार गीतों को जीवन दिया है। टैगोर थियेटर पहुंचने हरियाणा विधान सभा अध्यक्ष का संस्था के संस्थापक नरेश जैकब, जगन नाथ और विवेल शर्मा बैंस ने स्वागत किया।
प्यार की तरंगों में खो गए श्रोता
जगन नाथ बैंस ने दुनिया बनाने वाले, क्या तेरे मन में समाई। काहे को दुनिया बनाई….’ गाया तो श्रोता गदगद नजर आए। सोहन लाल गौड़ और मंजु भट्ट की जुगलबंदी ने नीलकमल फिल्म का गीत ‘आजा तुझको पुकारे मेरे गीत, ओ मेरे मितवा…’ गाया तो श्रोता प्यार की तरंगों में खोते नजर आए। इसके बाद शब्बीर कुमार ने मोर्चा संभाला। उन्होंने ‘दर्द ए दिल, दर्द ए जिगर….’, और उसके बाद हंसते जख्म फिल्म से ‘तुम जो मिल गए हो तो ये लगता है कि जहाँ मिल गया …’ गाया तो पूरा ऑडिटोरियम झूम उठा। उनसे पहले वैशाली ने दर्शकों को बांध सा दिया। इस बीच श्रोताओं को सुनील भट्ट, संजीव कालरा, विजय सिंह, दीपांशु, विपिन, दिवांकर, निशांत, गीता, सुमन, सारीदीपा की भी मधुर आवाज सुनने को मिली। कार्यक्रम का संचालन कर रहे सर्वप्रिय निर्मोही की खनकती आवाज कार्यक्रम को संजीदा बनाती रही।