Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र में हाल ही में हुए चुनावों में कांग्रेस और महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की हार ने पार्टी के भीतर बेचैनी बढ़ा दी है। कांग्रेस के नेतृत्व ने हार का जिम्मेदार इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) को ठहराने का रुख अपनाया है, लेकिन आंतरिक सर्वेक्षणों और चुनावी आंकड़ों ने हार के अन्य स्पष्ट कारण उजागर किए हैं।
आंतरिक सर्वेक्षण और जमीनी हकीकत दिखाते हैं कि महायुति की योजनाओं और रणनीतियों ने मतदाताओं के एक बड़े हिस्से को प्रभावित किया। कांग्रेस को अपनी चुनावी रणनीति पर आत्ममंथन करने की जरूरत है, खासतौर पर महिला और युवा मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए। आइए जानते हैं…
आंतरिक सर्वेक्षणों के प्रमुख निष्कर्ष
अक्टूबर में 103 सीटों पर हुए एक आंतरिक सर्वेक्षण ने एमवीए के लिए चिंताजनक संकेत दिए। एमवीए की बढ़त में गिरावट: लोकसभा चुनावों में 54 सीटों पर बढ़त के मुकाबले, अब एमवीए केवल 44 सीटों पर आगे चल रही थी। महायुति की बढ़त: भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति ने 49 सीटों पर बढ़त हासिल की। महिला मतदाताओं का झुकाव: राज्य सरकार की “लड़की बहन योजना” के कारण महिला मतदाताओं का झुकाव महायुति की ओर बढ़ा। सर्वेक्षण में 82% परिवारों ने योजना का लाभार्थी होने की बात कही, और 17% ने स्वीकार किया कि इस योजना ने उनकी मतदान प्राथमिकताओं को बदल दिया।
“लड़की बहन योजना” का असर
महाराष्ट्र की लड़की बहन योजना, जिसमें महिलाओं को वित्तीय सहायता दी जाती है, महायुति के लिए एक प्रमुख वोटिंग फैक्टर बन गई।
योजना के तहत 1,500 रुपये प्रति माह की राशि को बढ़ाकर 2,100 रुपये किया गया, जिसने महिला मतदाताओं के बीच सरकार के समर्थन को मजबूत किया।
एमवीए ने महिलाओं को 3,000 रुपये मासिक सहायता देने का वादा किया था, लेकिन यह योजना चुनावी प्रचार में प्रभावी नहीं रही।
मुस्लिम मतदाताओं का समर्थन
सर्वेक्षण के अनुसार, मुस्लिम मतदाता एकमात्र ऐसा वर्ग था, जहां एमवीए ने एनडीए पर स्पष्ट बढ़त बनाए रखी। अन्य सभी वर्गों, जैसे ओबीसी, एससी, एसटी, और सामान्य वर्ग में, महायुति ने एमवीए को पीछे छोड़ दिया।
ईवीएम पर बहस: हार का कारण या बचाव?
चेहरा बचाने की कोशिश: कुछ नेताओं का मानना है कि हार का दोष ईवीएम पर मढ़ना राष्ट्रीय और राज्य नेतृत्व के लिए “चेहरा बचाने” का प्रयास है।
बैलेट पेपर की मांग: कांग्रेस कार्यसमिति ने ईवीएम के खिलाफ अभियान तेज करने और बैलेट पेपर की वापसी के लिए प्रस्ताव पारित करने की योजना बनाई है।
घोषणापत्र का संतुलन: कांग्रेस ने 2024 के घोषणापत्र में ईवीएम और वीवीपीएटी के तालमेल का सुझाव दिया था, लेकिन अब पार्टी पूरी तरह बैलेट पेपर की वापसी पर जोर दे रही है।
लोकसभा में कांग्रेस की स्थिति
पिछले लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में एमवीए ने 48 में से 30 सीटें जीती थीं। इनमें से…
कांग्रेस: 13 सीटें शिवसेना (यूबीटी): 9 सीटें एनसीपी (शरद पवार गुट): 8 सीटें हालांकि, हाल के चुनावों में कांग्रेस और एमवीए अपनी बढ़त बनाए रखने में असफल रहे।
क्या गलत हुआ?
कांग्रेस के नेताओं का कहना है किपार्टी को पहले से ही हार का अनुमान था, लेकिन हार का पैमाना चौंकाने वाला रहा।
महिला मतदाताओं के बीच महायुति के समर्थन का तेजी से बढ़ना एमवीए की कमजोर रणनीति को उजागर करता है। युवाओं और अन्य वर्गों में भी महायुति ने बढ़त बनाई।