Maharashtra Assembly Election Result 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए वोटों की गिनती से पहले राजनीति दलों के नेताओं की बेचैनी बढ़ गई है। महाराष्ट्र के हाईवोल्टेज के माहौल के बीच “रिसॉर्ट पॉलिटिक्स” शुरू हो चुकी है। विधानसभा सदस्यों (विधायकों) की संभावित खरीद-फरोख्त की चिंता महायुति और महाविकास अघाड़ी दोनों ही गठबंधनों की पार्टियों को सता रही है। महायुति ने जहां होटल और हेलिकॉप्टर बुक कर लिए हैं, वहीं महाविकास अघाड़ी ने अपने जीते हुए विधायकों को होटल में रखने का फैसला किया है।
शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के सांसद संजय राउत ने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया कि इस महत्वपूर्ण समय के दौरान विधायकों पर दबाव पड़ सकता है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए वोटों गिनती शुरू होने से पहले संजय राउत ने कहा “हमारे विधायकों पर दबाव होगा, इसलिए हम उन्हें एक होटल में रखेंगे। संजय राउत ने कहा “हम बहुमत लाएंगे।
संजय राउत ने कहा महाराष्ट्र बड़ा राज्य है, विधायक मुंबई आएंगे लेकिन उनके रहने की जगह नहीं है। उन पर महायुति का दबाव होगा। उनके ऊपर खोखे वालों का भी प्रेशर होगा, इसलिए सभी को होटल में एक ही जगह रखेंगे। इसके साथ ही संजय राउत ने यूपी उपचुनाव में हिंसा पर पूछे सवाल के जवाब में कहा ये महाराष्ट्र है ये यूपी नहीं है। सबने देखा है कि यूपी में पुलिसवालों ने महिलाओं को पिस्तौल दिखाकर वोट डालने से रोका था। उन्होंने कहा महाराष्ट्र में महिलाओं से ज्यादा वोट डाला है इसलिए हम बहुत खुश हैं।
29 साल बाद हुआ सबसे अधिक मतदान
बता दें महाराष्ट्र में चुनावी जंग अपने चरम पर पहुंच गई है, महायुति और महाविकास अघाड़ी (एमवीए) दोनों गठबंधन अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं। 288 विधानसभा सीटों के भाग्य के अधर में लटके होने के बीच, राज्य में 20 नवंबर को 65.02 प्रतिशत मतदान हुआ, जो 1995 के चुनावों के बाद सबसे अधिक है। वहीं 2019 के विधानसभा चुनावों में 61.4 प्रतिशत मतदाता हुआ था वहीं इस बार के चुनाव में 65.02 फीसदी मतदान हुआ है।
2019 के चुनाव के बाद दो महाराष्ट्र में दो बार सरकार बनी और दो मुख्यमंत्री
2019 के चुनावों में, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 105 सीटें हासिल कीं, जिसके बाद शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) और कांग्रेस ने क्रमशः 56, 54 और 44 सीटें हासिल कीं। हालांकि, चुनाव के बाद महत्वपूर्ण बदलाव हुआ, जिसमें शिवसेना ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) से अलग होकर एनसीपी और कांग्रेस के साथ सरकार बनाई। उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री पद पर आसीन होने से महाराष्ट्र की राजनीतिक गाथा में एक नया अध्याय जुड़ गया। फिर भी, यह शांति अल्पकालिक थी क्योंकि आंतरिक कलह के कारण एकनाथ शिंदे 40 विधायकों के साथ पार्टी से चले गए, बाद में भाजपा के समर्थन से सरकार बनाई। शिवसेना के भीतर यह फूट, साथ ही राकांपा के भीतर विभाजन, राज्य की राजनीति की तरल और गतिशील प्रकृति का प्रतीक है।