विधानसभा चुनाव के नतीजे, जिनका बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है, 23 नवंबर को सार्वजनिक किए जाएंगे। इस सबके बीच महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने दिन में पश्चिमी नागपुर में अपना वोट डालने के बाद आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मिलने के लिए नागपुर में आरएसएस मुख्यालय पहुंचे थे।
बता दें नागपुर दक्षिण-पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र देवेंद्र फडणीस लगातार छठां चुनाव लड़ रहे फडणवीस मतदान प्रक्रिया के दौरान अपने पत्नी और बेटे के साथ नजर आए थे। वहीं मताधिकार का प्रयोग करने के तुरंत बाद मोहन भागवत से मिलने पहुंचे थे। 15 से 20 मिनट तक चली इस संक्षिप्त मुलाकात में फडणवीस और भागवत के साथ पूर्व महासचिव भैयाजी जोशी भी मौजूद थे। महाराष्ट्र चुनाव में RSS ने निभाई अहम भूमिका बता दें इस बार के महाराट्र विधानसभा चुनाव में आरएसएस ने पिछले वर्षों की तुलना में अधिक सक्रिय भूमिका निभाई, जहां आरएसएस ने लोगों को विवेक के साथ मतदान करने के लिए प्रोत्साहित किया। वहीं महाराष्ट्र में भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन के लिए समर्थन जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
फडणवीस और भागवत की मुलाकात के क्या है मायने?
अब जबकि एग्जिट पोल में भाजपा को सर्वाधिक सीटें मिलने के संकेत मिल रहे हैं तो माना जा रहा है कि अगर राज्य में महायुति की सरकार बनती है तो उसमें अहम श्रेय आरएसएस के अभियान को भी जाएगा। हालांकि कहा जा रहा है कि फडणवीस वोट डालने के बाद आरएसएस प्रमुख का चुनाव में सहयोग करने के लिए आभार जताने पहुंचे थे लेकिन देवेंद्र फडणवीस जिनके मन में दोबारा मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने की प्रबल इच्छा है, ऐसे में मतदान के बाद आरएसएस प्रमुख भागवत से उनकी मुलाकात अहम मानी जा रही है।
महायुति और एमवीए की पार्टियां कितनी सीटों पर लड़ी है चुनाव?
इस बार का चुनाव मुख्य रूप से मौजूदा महायुति गठबंधन और विपक्षी एमवीए के बीच की लड़ाई है। महायुति गठबंधन एक साझेदारी है जिसमें भाजपा शामिल है, जो 149 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, शिवसेना 81 सीटों पर और अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी 59 सीटों के लिए चुनाव लड़ रही है। दूसरी ओर, विपक्षी एमवीए में कांग्रेस के 101 उम्मीदवार, शिवसेना (यूबीटी) के 95 और एनसीपी (शरद पवार) के 86 उम्मीदवार हैं।
महाराष्ट्र में सरकार बनाने में क्या छोटी पार्टियां निभाएंगी अहम भूमिका?
महाराष्ट्र में राजनीतिक मुकाबला सिर्फ़ इन बड़ी पार्टियों और गठबंधनों तक सीमित नहीं है, छोटी पार्टियां भी अपनी मौजूदगी दर्ज करा रही हैं। उदाहरण के लिए, बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) ने 237 उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) 17 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। यह चुनाव महाराष्ट्र के राजनीतिक भविष्य के लिए अहम है, जो रणनीतिक गठबंधनों की ताकत और विपक्ष की क्षमताओं का प्रमाण देगा।