चंडीगढ़ : हिसार से इनेलो सांसद दुष्यंत चौटाला ने आरोप लगाया है कि प्रदेश सरकार सरकारी स्कूलों के निजीकरण की योजना बना रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि स्कूलों में कर्मचारियों की नियमित भर्ती के स्थान पर अब निजी कंपनियों की मार्फत से भर्ती करने की योजना बनाई गई है। यह खुलासा रविवार को इनेलो संसदीय दल के नेता व हिसार से सांसद दुष्यंत चौटाला ने इनेलो पार्टी के प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस कान्फ्रेंस में किया। उन्होंने कहा कि निजीकरण की पहल करते हुए एक कंपनी द्वारा प्राथमिक स्कूल में जेबीटी शिक्षकों की रिक्त पोस्ट के अगेंस्ट जारी किया गया है।
इनेलो सांसद ने यह भी कहा कि सरकार के इस निर्णय का असर प्राथमिक, उच्च, सेकंडरी विद्यालयों के अलावा आरोही स्कूल व कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों पर भी पड़ेगा। उनके अनुसार जन और शिक्षा विरोधी यह निर्णय मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा ही लिया गया है और इस फैसले पर स्वयं भी मोहर लगाई जा चुकी है।
मनोहर लाल खट्टर सरकार ने प्रदेश के सरकारी स्कूलों का निजीकरण करने का पूरा बंदोबस्त कर लिया है। सरकार अब स्कूलों में कर्मचारियों की नियमित भर्ती करने की बजाय निजी कंपनियों की मार्फत भर्ती करेगी। सरकार के इस निर्णय के दायरे में प्रदेश के सभी प्राथमिक, उच्च, सेकंडरी विद्यालयों के अलावा आरोही स्कूल व कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय भी आ गए हैं। कर्मचारियों की भर्ती से शुरू किए गए निजीकरण के इस निर्णय पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने स्वयं मुहर लगाई है। शिक्षा के निजीकरण की दिशा में उठाए गए सरकार के इस कदम के प्रथम चरण में इन विद्यालयों में ग्रुप सी व डी कर्मचारियों की भर्ती का जिम्मा निजी कंपनियों को दिया जा रहा है।
इनेलो सांसद ने कहा कि इस प्रकार शिक्षा विभाग में भर्ती करने के लिए चुनी गई कंपनियों के साथ 7 वर्ष का अनुबंध किया गया है। इस अनुबंध के तहत कंपनियों को कर्मचारी भर्ती करने का अधिकार होगा और इसके बदले में कंपनियों को 2.01 प्रतिशत कमीशन मिलेगा। निजी कंपनियों के माध्यम से भर्ती होने वाले कर्मचारियों को एकमुश्त वेतन दिया जाएगा। सांसद ने कहा कि ये कंपनियां जल्द ही प्राथमिक स्कूलों में खाली पड़े तीन हजार पदों पर भर्ती करने जा रही हैं।
इनेलो सांसद ने यह भी कहा कि सरकार के इस प्रकार के जनविरोधी निर्णय से न केवल रोजगार पाने के समानता के अधिकारों का हनन हुआ है बल्कि कानून द्वारा दी गई आरक्षण के प्रावधानों की भी अनदेखी की गई है। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त गुजरात के माडल पर खट्टर सरकार द्वारा अपनाई जा रही यह आउटसोर्सिंग की नीति हरियाणा स्टाफ सलेक्शन कमीशन व रोजगार कार्यालय जैसी संवैधानिक संस्थाओं का अस्तित्व भी खतरें में पड़ गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में ग्रुप सी व डी की भर्ती के लिए विभिन्न विभागों के लिए हरियाणा स्टाफ सलेक्शन कमीशन है तो फिर इन फर्मों को करोड़ों रूपये का कमीशन देने का क्या औचित्य है? जिस प्रकार मुख्यमंत्री के अनुमोदन से कर्मचारियों की भर्ती करने वाली निजी फर्मों की सूची तैयार की गई है उससे स्पष्ट है मुख्यमंत्री महोदय ने यह कदम अपने चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए ही किया है। उन्होंने मांग की कि सरकार शिक्षा विभाग में निजीकरण के इस फैसले तुरंत वापस ले अन्यथा मजबूर होकर न्यायालय का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा।
सांसद दुष्यंत चौटाला ने मुख्यमंत्री की ‘महत्वकांक्षी सक्षम योजना’ की पोल आरटीआई से मिली जानकारी के आधार पर भी खोली। उस जानकारी के अनुसार 12 जिलों में कुल 2,62,768 युवाओं का पंजीकरण रोजगार कार्यालयों में है जिसमें से केवल 290 युवाओं को रोजगार मिल पाया है। यह संख्या दर्ज की गई संख्या का महज .1 प्रतिशत है। जो उसकी असफलता स्वयं बयान करता है। वहीं बेरोजगारों को 100 घण्टे रोजगार देने के नाम पर चलाई गई सक्षम योजना के तहत मात्र 9,948 युवकों को ही रोजगार मिल पाया है जो दर्ज संख्या का महज तीन प्रतिशत ही है। उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री बेरोजगारी के नाम पर युवाओं की भावनाओं के साथ खिलवाड़ न करे और सरकार की इस नीति की असफलता को देखते हुए इनेलो बहुत शीघ्र युवाओं व बेरोजगारों के हकों के लिए ‘रोजगार मेरा अधिकार’ मुहिम चलाएगी।