Ukraine war: यूक्रेन युद्ध की वजह से अभी तक रूस से भारत को जिन हथियारों की डिलवरी हो जानी चाहिए थी, वो नहीं हो पाई हैं। जिन डिफेंस अधिग्रहणों में देरी हो रही हैं, उनमें एयर डिफेंस सिस्टम, युद्धपोत और पनडुब्बियां शामिल हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले सालों की देरी के बाद भारत को अगले एक महीने के भीतर दो मल्टी-रोल फ्रिगेट में से पहले की मिलने की उम्मीद है। जबकि, 2026-27 से पहले कई अन्य डिलीवरेबल्स आने की उम्मीद नहीं है।
यानि, रूस से हथियारों की सप्लाई में गिरावट आई है, पूरी रूसी डिफेंस इंडस्ट्री को यूक्रेन में युद्ध की जरूरतों को पूरा करने के लिए फिर से तैयार किया गया है। एक प्रसिद्ध रक्षा औद्योगिक आधार के बावजूद, रूस को उत्तर कोरिया और ईरान के साथी सत्तावादी शासनों से मिसाइलों, तोपखाने के गोला-बारूद और ड्रोन जैसे हथियार आयात करने पड़े हैं। चीन भी रूस के रक्षा विनिर्माण में मदद कर रहा है।
फाइनेंशियल टाइम्स के मुताबिक, 2022 में रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से उसके हथियारों की बिक्री में लगभग 60 प्रतिशत की गिरावट आई है।
फ्रिगेट सप्लाई में 2 साल की देरी
टीओआई के मुताबिक, भारत को इस महीने के अंत तक रूस द्वारा निर्मित दो गाइडेड-मिसाइल मल्टी-रोल फ्रिगेट में से पहला प्राप्त होने वाला है। भारत और रूस ने 2018 में अधिग्रहण समझौते पर हस्ताक्षर किए थे और उस समय हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, दोनों युद्धपोतों की डिलीवरी 2022-23 तक होनी थी।
हालांकि, अभी तक एक भी जहाज की डिलीवरी नहीं हुई है क्योंकि रूस ने भारत के साथ अनुबंध संबंधी दायित्वों पर अपनी रक्षा जरूरतों को प्राथमिकता दी है, जिससे भारत की सैन्य आधुनिकीकरण की योजना प्रभावित हुई है।
यह घटनाक्रम ऐसे समय में हुआ है, जब भारत चीन से खतरे का मुकाबला करने के लिए हिमालय से लेकर हिंद-प्रशांत तक सैन्य स्थिति में सुधार कर रहा है, जो रूस का प्रमुख सहयोगी है। रूस की देरी से चीन को विभिन्न क्षेत्रों में भारत के साथ क्षमता अंतर को बढ़ाने में मदद मिल रही है।
वायु-रक्षा प्रणालियों की डिलीवर कम से कम 2026 तक लेट
भारत ने रूस से एस-400 एयर-डिफेंस सिस्टम की पांच बैटरियां खरीदी हैं, जो तय समय से कई साल पीछे चल रही हैं। जबकि सभी पांच बैटरियों की डिलीवरी 2023 तक होनी थी, अब TOI ने बताया है कि डिलीवरी केवल 2026 तक ही पूरी हो पाएगी। अभी तक रूस ने केवल तीन बैटरियां ही डिलीवर की हैं।
एक सूत्र ने अखबार को बताया है, कि “भारत ने रूस से तेजी से डिलीवरी के लिए कहा है। लेकिन यह मुश्किल लग रहा है, क्योंकि रूस का पूरा रक्षा-औद्योगिक उत्पादन यूक्रेन युद्ध को ध्यान में रखकर बनाया गया है।”
पनडुब्बी में कम से कम 3 साल की देरी
इसके अलावा, रिपोर्ट के मुताबिक 2019 में, भारत और रूस ने एक परमाणु पनडुब्बी के पट्टे के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे 2025 तक वितरित किया जाना था। लेकिन, एक सूत्र ने TOI को बताया कि पनडुब्बी के 2028 से पहले आने की उम्मीद नहीं है।