राहुल गांधी के हाल ही में लिखे गए लेख में ईस्ट इंडिया कंपनी के भारत पर ऐतिहासिक प्रभुत्व को आधुनिक एकाधिकारवादियों के वर्तमान प्रभाव से जोड़ा गया है। राहुल गांधी की इस टिप्पणी के खिलाफ भारत में तमाम शाही परिवारों ने राहुल गांधी पर तीखा पलटवार किया है।
ग्वालियर के तत्कालीन शासक सिंधिया परिवार के सदस्य और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गांधी की टिप्पणी पर पलटवार करते हुए एक्स पर लिखा, राहुल गांधी की याददाश्त सेलेक्टिव है। सिंधिया ने तर्क दिया कि गांधी का बयान आत्मनिर्भर भारत (आत्मनिर्भर भारत) के दृष्टिकोण से मेल नहीं खाता, बल्कि अधिकार और ऐतिहासिक अनदेखी की तस्वीर पेश करता है
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा जो लोग नफरत को बेचते हैं उन्हें देश के गर्व और इतिहास पर भाषण देने का कोई अधिकार नहीं है। राहुल गांधी भारत की समृद्ध विरासत को नजरअंदाज करते हैं जोकि उनकी उपनिवेशी सोच को दर्शाता है। अगर आप दावा करते हैं कि आप देश को ऊपर ले जाना चाहते हैं तो भारत माता का अपमान करना बंद कीजिए और भारत के सच्चे नायकों जैसे महाजी सिंधिया, युवराज बीर तिकेंद्रजीत, किट्टूर चेन्नमा, रानी वेलू नचियार का सम्मान कीजिए, जिन्होंने हमारी आजादी के लिए निडर होकर लड़ाई लड़ी।
राहुल गांधी ने लेख में बताया कि कैसे ये समकालीन संस्थाएं विशाल संपत्ति अर्जित करती हैं, छोटे व्यवसायों को कमजोर करती हैं और महत्वपूर्ण संस्थानों पर एकाधिकार करती हैं। उन्होंने निष्पक्षता, रोजगार सृजन, नवाचार और न्यायसंगत धन वितरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए “प्रगतिशील भारतीय व्यवसाय के लिए नए सौदे” की वकालत की। हालांकि राहुल की इस टिप्पणी क विभिन्न शाही वंशजों ने कड़ी आलोचना की।
जयपुर राजघराने से राजस्थान की उपमुख्यमंत्री दीया कुमारी और कश्मीर के अंतिम महाराजा के पोते विक्रमादित्य सिंह दोनों ने गांधी के संपादकीय की निंदा की। उन्होंने भारत के लिए अपने पूर्वजों द्वारा किए गए महत्वपूर्ण बलिदानों पर जोर दिया, गांधी द्वारा उनके पूर्वजों को औपनिवेशिक शक्तियों के साथ मात्र सहयोगी के रूप में चित्रित करने को चुनौती दी। मेवाड़ के घराने से लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ और जैसलमेर राजघराने के चैतन्य राज सिंह ने भी राहुल गांधी की आलोचना की है। राहुल गांधी के बयान पर तीखा पलटवार करते हुए दिया कुमारी ने कहा कि राहुल गांधी ने भारत के शाही परिवारों की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया है, इसकी मैं कड़ी निंदा करती हूं। एक भारत का सपना शाही परिवारों के त्याग से ही पूरा हो सका। आधी-अधूरी जानकारी, इतिहास को तोड़ मरोड़कर शाही परिवारों पर निराधार आरोप लगाए गए हैं, जिसे कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता है। देवास राजघराने के श्रीमंत गायत्री राजे पुआर और मैसूर राजघराने के यदुवीर वाडियार ने भी गांधी की आलोचना की। उन्होंने भारत की विरासत, संस्कृति और संप्रभुता को बनाए रखने में शाही परिवारों की वीरता और समर्पण की अवहेलना करने के लिए गांधी की आलोचना की।
गांधी के संपादकीय ने शुरू में ईस्ट इंडिया कंपनी की दमनकारी रणनीति और आधुनिक एकाधिकारवादियों की छाया में भारत के सामने आने वाली चुनौतियों के बीच समानताएं खींची थीं। उन्होंने ईस्ट इंडिया कंपनी के साथ जबरन अनुपालन के लिए अतीत के “दब्बू महाराजाओं” की आलोचना की, जिसके कारण देश का पतन हुआ।