कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने वायु प्रदूषण को भारत की सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र की एक प्रमुख चुनौती करार देते हुए बुधवार को कहा कि पराली जलाने पर रोक लगाना ही पर्याप्त नहीं होगा, बल्कि नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहनों और सार्वजनिक परिवहन में बड़े पैमाने पर बदलाव के साथ भारत के आर्थिक मॉडल को फिर से आकार देने की जरूरत है।
पूर्व पर्यावरण मंत्री ने “द लैंसेट काउंटडाउन ” की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए वायु प्रदूषण की स्थिति पर चिंता जताई।
उन्होंने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, “स्वास्थ्य और जलवायु परिवर्तन पर “द लैंसेट काउंटडाउन” की एक नई रिपोर्ट में भारत में वायु प्रदूषण पर कुछ परेशान करने वाले निष्कर्ष सामने आए हैं। 2021 में भारत में कुल 16 लाख मौतें वायु प्रदूषण के कारण हुईं।”
उन्होंने रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि कोयला और कुछ अन्य जीवाश्म ईंधन ने इन मौतों में 38 प्रतिशत का योगदान दिया।
उनके मुताबिक, वर्ष 2022 में भारत ने दुनिया के उपभोग-आधारित पीएम2.5 उत्सर्जन में 15.8 प्रतिशत और दुनिया के उत्पादन-आधारित पीएम 2.5 उत्सर्जन में 16.9 प्रतिशत का योगदान दिया।
रमेश ने कहा कि ये प्रदूषक कण हैं जो 2.5 माइक्रोमीटर से कम के होते हैं और सीधे फेफड़ों में प्रवेश कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि दिल्ली में पिछले कुछ सप्ताह हमारे सामने आने वाली चुनौतियों का उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली का आधे से अधिक पीएम2.5 प्रदूषण वाहनों की वजह से होता है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वायु प्रदूषण भारत की प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक है और यह सर्वाधिक महत्वपूर्ण प्रशासनिक प्राथमिकताओं में से एक होना चाहिए।
रमेश ने कहा, “पराली जलाने पर रोक लगाना पर्याप्त नहीं होगा, हमें नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रिक वाहनों और सार्वजनिक परिवहन में बड़े पैमाने पर बदलाव के साथ अपने आर्थिक मॉडल की फिर से कल्पना करने की जरूरत है।”