भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को कहा कि किसी भी देश का आंकलन, किसी भी सभ्यता का आंकलन उसकी न्याय व्यवस्था से होता है. उन्होंने कहा कि हमारी न्याय प्रणाली के सबसे महत्वपूर्ण अंग को हम subordinate क्यों कहते हैं?
दोनों शब्दों में बदलाव होना चाहिए और ऐसा ही बदलाव सोच में भी होना चाहिए, कोई भी अदालत subordinate नहीं है.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि जब एक मजिस्ट्रेट या जिला जज कोई फैसला लिखते हैं, तो उनके मन में यह शंका होती है कि उनके फैसले पर क्या टिप्पणी होगी. वह फैसला उनके भविष्य को भी प्रभावित करता है, और हमें उनके प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए.
जिला अदालतें न्याय व्यवस्था की बुनियाद
जिला अदालतें हमारी न्याय व्यवस्था की बुनियाद हैं. मेरा आग्रह रहेगा कि यदि हमें न्याय को सुलभ और किफायती बनाना है तो हमें जिला अदालतों, हमारे मजिस्ट्रेट्स, जिला जजों और युवा वकीलों पर विशेष ध्यान देना होगा.
हमारी न्याय प्रणाली के सबसे महत्वपूर्ण अंग को हम “subordinate” क्यों कहते हैं? दोनों शब्दों में बदलाव होना चाहिए, और ऐसा ही बदलाव सोच में भी होना चाहिए — कोई भी अदालत “subordinate” नहीं है।
जब एक मजिस्ट्रेट या जिला जज कोई फैसला लिखते हैं, तो उनके मन में यह शंका होती है कि उनके… pic.twitter.com/oSqYqgY3K3
— Vice-President of India (@VPIndia) October 27, 2024
उन्होंने कहा कि ऐसे पेशेवर जो कठिन परिस्थितियों में काम कर रहे हैं, उनके लिए बेहतर संसाधन और समर्थन सुनिश्चित करना हमारा दायित्व है.
उपराष्ट्रपति ने कहा कि सरकार ने इन बदलावों में काफी समय और गहराई से काम किया है, हर प्रावधान की पृष्ठभूमि का बारीकी से अध्ययन किया गया है और इसमें तकनीक का समावेश करके वैज्ञानिक जांच को एक नया आयाम दिया गया है.
बार और बेंच-ये दो शब्द हैं, लेकिन इनकी आत्मा एक
उन्होंने कहा कि बार और बेंच-ये दो शब्द हैं, लेकिन इनकी आत्मा एक है. इनमें कभी कोई विभाजन नहीं होना चाहिए. मतभेद और चुनौतियां हमेशा रहेंगी, लेकिन मैं वकील समुदाय से आग्रह करता हूं कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट अपनी पूरी कोशिश करते हैं, पर सब कुछ उनके नियंत्रण में नहीं होता. मैं आपके समर्थन में खड़ा हूँ और इस उद्देश्य के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित हूं.