पीएम मोदी की एजुकेशनल डिग्री को लेकर विवादित टिप्पणी करने के चलते मानहानि का आरोप झेल रहे अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. शीर्ष अदालत ने उनकी याचिका को खारिज कर दी है.
गुजरात विश्वविद्यालय की तरफ से दर्ज मानहानि केस में ट्रायल कोर्ट ने केजरीवाल को समन जारी किया था. गुजरात यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार पीयूष पटेल ने अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह की टिप्पणियों के खिलाफ ट्रायल में मानहानि का मामला दर्ज किया था.
केजरीवाल ने इसको रद्द कराने के लिए पहले हाई कोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के समन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. इसके बाद केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. इससे पहले संजय सिंह ने भी इस केस में राहत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था लेकिन शीर्ष अदालत ने इसी साल अप्रैल में उनकी अर्जी खारिज कर दी थी. वहीं अब केजरीवाल की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है. अगर यहां से उन्हें राहत नहीं मिलती को केजरीवाल को ट्रायल कोर्ट में पेश होना होगा.
सुनवाई के दौरान क्या हुआ?
सुनवाई के दौरान एसजी तुषार मेहता ने कहा कि अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह किसी के बारे में कुछ भी बोल देते हैं. दिवंगत अरुण जेटली के खिलाफ भी उलटा बोले थे. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह सब राजनीति है. जब तक यह जोर देकर ना कहा जाए. जस्टिस एसवीएन भट्टी और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की बेंच ने कहा कि हमने पहले भी ऐसे मामलों पर विचार किया है. संजय सिंह ने इसी तरह की याचिका दायर की थी लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने उसे खारिज कर दिया था. इस पर सिंघवी ने कहा कि मुझे चार्ट (बयानों का) पेश करने दें. सिंह का बयान अलग था. यह एक आपराधिक मामला है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम इस याचिका पर विचार नहीं कर सकते.
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश में क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने सभी पक्षों के वरिष्ठ वकीलों को सुना. हालांकि डॉ. सिंघवी सीआरपीसी और संवैधानिक प्रावधानों और उदाहरणों के संदर्भ में अलग-अलग तर्क दिए हैं, लेकिन यह देखा गया है कि गुजरात विश्वविद्यालय द्वारा दायर शिकायत ना केवल मौजूदा याचिकाकर्ता केजरीवाल, बल्कि संजय सिंह से भी संबंधित है, जिनकी याचिका इस अदालत ने 8 अप्रैल में खारिज कर दी थी. हमें उस दृष्टिकोण के अनुरूप रहना चाहिए. उस दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए, हम मौजूदा याचिका पर विचार नहीं कर सकते. इसके मद्देनजर याचिका को खारिज किया जाता है. हमने मामले के गुण-दोष के आधार पर कुछ भी व्यक्त नहीं किया है और विवाद को खुला छोड़ दिया गया है.