बिहार से अलग होकर 15 नवंबर 2000 को अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आए झारखंड में अगली सरकार चुनने के लिए विधानसभा चुनाव का बिगुल बजने वाला है. झारखंड में हेमंत सोरेन की अगुवाई वाली झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम), कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) की सरकार है.
चुनाव आयोग की टीम ने हाल ही में झारखंड का दौरा कर विधानसभा चुनाव के लिए तैयारियों का जायजा लिया था. चुनाव आयोग आज सूबे में विधानसभा चुनाव के लिए तारीखों का ऐलान करने वाला है.
झारखंड में कितनी सीटों की फाइट
छोटा नागपुर के पठार पर जंगलों से आच्छादित झारखंड में विधानसभा की कुल 81 सीटों के लिए चुनाव होने हैं. विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने के लिए जादुई आंकड़ा 42 सीटों का है. पिछले यानि 2019 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो 30 सीटें जीतकर जेएमएम सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी. जेएमएम के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का नंबर था जिसे 25 सीटों पर जीत मिली थी.
कांग्रेस 16 सीटों के साथ तीसरे, तीन सीटों के साथ झारखंड विकास मोर्चा (प्रजातांत्रिक) चौथे नंबर की पार्टी बनी थी. ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) को दो, आरजेडी, सीपीआई (एमएल) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को एक-एक सीटें मिली थीं. पिछले चुनाव में दो निर्दलीय भी विधानसभा पहुंचने में सफल रहे थे. पिछली बार सूबे की 81 सीटों के लिए पांच चरणों में मतदान हुआ था और चुनाव नतीजे 23 दिसंबर को आए थे.
5 साल में कितना बदला सीन
झारखंड चुनाव में पिछली बार बीजेपी की अगुवाई वाला गठबंधन सत्ताधारी दल के रूप में चुनाव मैदान में उतरा था. इस बार के चुनाव से पहले सूबे में सत्ता की बागडोर जेएमएम की अगुवाई वाले इंडिया ब्लॉक के हाथों में है. एंटी इनकम्बेंसी तब बीजेपी को लेकर थी जो इस बार हेमंत सरकार के खिलाफ होगी. दूसरा बड़ा सियासी बदलाव ये है कि इस बार के चुनाव में पिछली बार की चौथे नंबर वाली पार्टी झाविमो का नाम-निशान नदारद होगा.
बाबू लाल मरांडी ने अपनी पार्टी झाविमो का बीजेपी में विलय कर दिया था. बाबू लाल मरांडी फिलहाल झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष भी हैं. 2019 के चुनाव में बीजेपी का चेहरा रहे रघुवर दास फिलहाल एक्टिव पॉलिटिक्स से दूर हैं. पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ओडिशा के राज्यपाल हैं. कोल्हान रीजन में भी समीकरण बदले हैं जहां से मुख्यमंत्री रहते रघुवर दास को शिकस्त का सामना करना पड़ा था.
शिबू सोरेन के जमाने से ही सोरेन परिवार के खासमखास रहे कोल्हान टाइगर चंपाई सोरेन अब बीजेपी में जा चुके हैं. सोरेन परिवार में भी फूट पड़ चुकी है. हेमंत सोरेन के बड़े भाई दुर्गा सोरेन की पत्नी सीता सोरेन 2019 में जेएमएम से विधायक निर्वाचित हुई थीं. सीता सोरेन भी अब बीजेपी में हैं.
किसका क्या है दांव पर
झारखंड के चुनाव एनडीए बनाम इंडिया ब्लॉक या जेएमएम बनाम बीजेपी से अधिक सोरेन परिवार के अंदर की फाइट है. इन चुनावों में सीएम हेमंत सोरेन के सामने यह साबित करने की चुनौती होगी कि शिबू सोरेन की सियासी विरासत के वारिस वही हैं. विरासत की इस जंग में उन्हें अपनी ही भाभी सीता सोरेन की चुनौती का सामना करना होगा.
यह चुनाव झारखंड बीजेपी के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के लिए भी अहम माने जा रहे हैं. सूबे में बीजेपी सरकार की अगुवाई कर चुके पहले मुख्यमंत्री रहे बाबूलाल मरांडी ने बीजेपी छोड़ अपनी पार्टी बना ली थी. अब मरांडी बीजेपी में लौट चुके हैं, पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं तो उनके सामने भी अपनी रणनीतिक कुशलता साबित करने की चुनौती होगी.