Jammu Kashmir Assembly Election 2024: चार दशकों के लंबे अंतराल के बाद पहली बार जम्मू कश्मीर में सैकड़ों निर्दलीय उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. चुनाव विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदेश में सरकार बनाने में इन निर्दलीय उम्मीदवारों की बड़ी भूमिका होगी.
चुनाव विशेषज्ञ राशिद राहिल कहते हैं कि चुनावी मैदान में इस बार दर्जनों निर्दलीय उम्मीदवार हैं. दशकों के बाद ऐसा नजारा देखने को मिल रहा है. 1986 के बाद इतने सारे निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ने जा रहे हैं. यह लोकतंत्र का एक बड़ा संकेत है, जब वोट बंटेंगे तो जम्मू कश्मीर में अगली सरकार बनाने में इन निर्दलीय उम्मीदवारों की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होगी.
कुल उम्मीदवारों में 44 प्रतिशत निर्दलीय
आंकड़ों के अनुसार, इस बार चुनाव लड़ रहे कुल उम्मीदवारों में से 44% निर्दलीय हैं, जो चुनाव के बाद के परिदृश्य में संभावित किंगमेकर के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं. हालांकि ‘अपनी पार्टी’ के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी का कहना है कि यहां कोई भी निर्दलीय नहीं है, हर कोई किसी से जुड़ा हुआ है.
अल्ताफ बुखारी के मुताबिक, ‘हमने कहा है कि हम निर्दलीय उम्मीदवारों को एकजुट कर रहे हैं. हम जिसका भी समर्थन करेंगे, उसका खुले तौर पर ऐलान करेंगे. लोग अब राजशाही नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक शासन और पार्टी चाहते हैं.
214 निर्दलीयों के हाथ में सत्ता की चाभी?
चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक इस बार चुनाव लड़ने वाले कुल 214 स्वतंत्र उम्मीदवारों ने जम्मू-कश्मीर के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों से चरण-1 और चरण-2 में चुनाव लड़ने का विकल्प चुना है. निर्दलीय उम्मीदवारों में जेल में बंद सांसद इंजीनियर अब्दुल रशीद शेख के नेतृत्व वाली अवामी इत्तेहाद पार्टी (AIP) से जुड़े उम्मीदवार भी शामिल हैं. AIP ने जम्मू-कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में असेंबली चुनाव के पहले दो चरणों में 26 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं.
चुनाव के पहले दो चरणों में कम से कम 50 विधानसभा क्षेत्रों में मतदान होना है, जबकि 214 उम्मीदवार निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं. यह संख्या पिछले चार दशकों में सबसे अधिक है. इतनी बड़ी तादाद में निर्दलीय उम्मीदवारों के मैदान में उतरने से पीडीपी और एनसी डरी हुई हैं. दोनों पार्टियों का आरोप है कि जेल में बंद शेख रशीद की एआईपी पार्टी के उम्मीदवारों सहित सभी निर्दलीय उम्मीदवार, बीजेपी के प्रतिनिधि हैं. उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने लोगों को निर्दलीयों के झांसे में न आने की अपील की है.
किस बात से डर गए महबूबा और मुफ्ती?
उमर अब्दुल्ला को भी निर्दलीय उम्मीदवारों पर संदेह है और गंदेरबल में जेल में बंद एक अन्य व्यक्ति द्वारा उनके खिलाफ नामांकन दाखिल करने के बाद उन्होंने कहा, ‘मुझे हमेशा संदेह था कि दिल्ली मुझे चुप कराने की कोशिश करेगी, लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि वे इस हद तक चले जाएंगे. उन्होंने कहा कि राशिद सलाखों के पीछे से अभियान चलाने में सक्षम थे, यह इस बात को दर्शाता है कि वे किस हद तक जा सकते हैं.’
पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि संसदीय चुनावों में भाजपा के प्रॉक्सी विफल रहे और अब केंद्र ने जेल में बंद राशिद की पार्टी एआईपी को निर्दलीय उम्मीदवारों के साथ आगे रखा है. उन्होंने लोगों को चेतावनी दी कि वे जाल में न फंसें और अगर वे जम्मू कश्मीर को बचाना चाहते हैं तो केवल पीडीपी, एनसी और कांग्रेस को वोट दें.
‘वे JK के मुद्दों को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं’
मुफ्ती ने कहा, “केवल एनसी, पीडीपी और कांग्रेस ही यहां प्रामाणिक पार्टियां हैं, बाकी जो यहां घूम रहे हैं, उनमें से ज्यादातर एआईपी समर्थित हैं, इसलिए उनसे सावधान रहें, वे जम्मू कश्मीर के मुद्दों को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं.”
ये निर्दलीय हारें या जीतें लेकिन उन्होंने चुनाव मैदान में उतरकर ठहरे हुए पानी में लहर जरूर पैदा कर दी है. फिलहाल देखना दिलचस्प होगा कि ये निर्दलीय उम्मीदवार आगामी विधानसभा चुनावों में कैसा प्रदर्शन करते हैं, क्या वे जमीन पर प्रभाव डाल पाएंगे और जम्मू कश्मीर में असली किंगमेकर बन पाएंगे.
जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव जिसके लिए क्षेत्रीय दलों ने वर्षों तक लड़ाई लड़ी, अब उन्हें चिंता में डाल रहा है क्योंकि पिछले चार दशकों में यह पहली बार है कि इतनी बड़ी संख्या में निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव में हैं. चुनाव के बाद वे निश्चित रूप से असली किंगमेकर हो सकते हैं.