उत्तर प्रदेश से बाहर अपने विस्तार में जुटी समाजवादी पार्टी ने हरियाणा विधानसभा चुनाव से अपने कदम पीछे खींच लिए हैं. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने शुक्रवार को कहा, बात दो-चार सीटों पर प्रत्याशी उतारने की नहीं है, बात जनता के दुख-दर्द को समझते हुए उनको बीजेपी की सियासत से मुक्ति दिलाने की है.
इसके लिए सपा हर त्याग के लिए तैयार है और बीजेपी को हराने के लिए हरियाणा चुनाव में इंडिया गठबंधन का साथ देंगे. ऐसे में सवाल उठता है कि अखिलेश ने हरियाणा में बड़ा दिल दिखा दिया है, क्या कांग्रेस यूपी में अपना दिल बड़ा कर पाएगी?
लोकसभा चुनाव में 37 सीटें जीतने के बाद से अखिलेश यादव राष्ट्रीय फलक पर सपा को पहचान दिलाने की रणनीति पर काम कर रहे हैं. इसके लिए वो हरियाणा विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे. हरियाणा की सपा प्रदेश इकाई ने 17 सीटों पर चुनाव लड़ने का प्लान बनाया था. सपा के प्रदेश अध्यक्ष सुरेन्द्र भाटी ने अखिलेश यादव को 17 सीटों का ब्यौरा भी भेज दिया था. जुलाना, सोहना, बावल, बेरी, चरखी-दादरी और बल्लभगढ़ जैसी सीट पर सपा की नजर थी.
अखिलेश ने हरियाणा चुनाव से कदम पीछे खींचे
सपा प्रमुख अखिलेश यादव की कोशिश हरियाणा में कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ने की है. इसके लिए कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व के साथ सीटों को लेकर उनकी बातचीत भी चल रही थी. हालांकि, कांग्रेस एक सीट से ज्यादा सपा को देने के पक्ष में नहीं थी. ऐसे में अखिलेश ने हरियाणा चुनाव लड़ने से पीछे हट गए हैं. ट्वीट करके कहा कि बात सीट की नहीं बल्कि बीजेपी को हराने की है. हम मानते हैं कि हमारे या इंडिया गठबंधन के किसी भी घटक दल के लिए, यह समय अपनी राजनीतिक संभावना तलाशने का नहीं, बल्कि त्याग और बलिदान देने का है. हरियाणा के हित में सपा बड़े दिल से हर त्याग के लिए तैयार हैं. बीजेपी को हराने में इंडिया गठबंधन के साथ अपने संगठन और समर्थकों की शक्ति को जोड़ देंगे.
कांग्रेस को सपा का पूरा समर्थन
अखिलेश ने हरियाणा चुनाव से अपने कदम पीछे खींचकर कांग्रेस को चुनाव लड़ने के लिए पूरा मैदान दे दिया है. मध्य प्रदेश के 2023 चुनाव में कांग्रेस के साथ सीट शेयरिंग पर बात न बनने के बाद सपा ने 71 सीटों पर उम्मीदवार उतार दिए थे. अब हरियाणा में समझौते से पहले ही सपा विधानसभा चुनाव लड़ने से सिर्फ पीछे ही नहीं हटी बल्कि कांग्रेस को पूरा समर्थन करने का भी भरोसा दिया है. सपा प्रमुख ने हरियाणा में जिस तरह त्याग दिखाया है, क्या कांग्रेस यूपी में बड़ा दिल दिखा पाएगी और महाराष्ट्र में सम्मानजनक सीट देगी?
यूपी उपचुनाव के लिए क्या है अखिलेश का मूड
उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष अजय राय ने कहा है कि कांग्रेस उपचुनाव में 10 में 5 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इसे लेकर जब अखिलेश यादव से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि 50-50 तो बिस्किट आता है. सपा की कोशिश अपनी पांच विधानसभा सीटों पर जीत को बरकरार रखने के साथ एनडीए पाले वाली पांच विधानसभा सीटों पर कब्जा जमाने की है. ऐसे में अखिलेश कांग्रेस को उपचुनाव में एक से दो सीटें ही देने के मूड में है.
2024 लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में छह सीटें जीतने के बाद से कांग्रेस के हौसले बुलंद है. इसके चलते ही कांग्रेस को यूपी की सियासत में दोबारा से खड़े होने की उम्मीद दिखने लगी है. इसके लिए वह 2027 के विधानसभा चुनाव में अपने लिए बड़ा अवसर तलाश रही है. राहुल गांधी लगातार यूपी के दौरे कर रहे है. ऐसे में कांग्रेस उपचुनाव में पांच सीटों पर दावा कर रही है. 2024 में 17 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने वाली कांग्रेस ने 2027 विधानसभा चुनाव में 100 से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का मंसूबा बना रखा है.
यूपी उपचुनाव में कांग्रेस दिखाएगी बड़ा दिल?
हालांकि, हरियाणा में जिस तरह से कांग्रेस मजबूत है, उसी तरह यूपी में सपा की स्थिति है. हरियाणा में सपा कमजोर है तो यूपी में कांग्रेस की स्थिति भी बहुत अच्छी नहीं है. अखिलेश यादव ने हरियाणा में कांग्रेस के साथ सीट की बार्गेनिंग करने के बजाय बीजेपी को हराने के लिए हर त्याग-परित्याग देने की बात कही है, क्या उसी तरह से यूपी उपचुनाव में भी कांग्रेस बड़ा दिल दिखा पाएगी. कांग्रेस पांच सीटों पर उपचुनाव लड़ने की जिद छोड़ेगी, क्योंकि उपचुनाव को 2027 के विधानसभा का लिटमस टेस्ट माना जा रहा है.
क्या है अखिलेश की रणनीति?
लोकसभा चुनाव में बदली रणनीति के तहत उतरी सपा ने बीजेपी को करारी मात दी थी. अखिलेश यादव अब विधानसभा उपचुनाव में सपा के मोमेंटम को बरकरार रखने की कोशिश में है. इसके जरिए वो विधानसभा चुनाव 2027 की रूपरेखा तय करने की कोशिश करते दिख रहे हैं, लेकिन कांग्रेस ने पांच सीटों की डिमांड करके चिंता बढ़ा दी है. ऐसे में अखिलेश यादव ने हरियाणा चुनाव में इंडिया गठबंधन को समर्थन करके कांग्रेस पर यूपी उपचुनाव और महराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए दबाव बना दिया है.
महाराष्ट्र चुनाव में सपा की मांग
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सपा करीब 10 सीटों पर अपना दावा ठोक रही है. अखिलेश यादव ने अपने वरिष्ठ नेता माता प्रसाद पांडेय, विधायक लकी यादव, तूफानी सरोज और इंद्रजीत सरोज को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए प्रभारी नियुक्त कर रखा. महाराष्ट्र प्रदेश अध्यक्ष अबु आसिम आजमी एक बड़ा चेहरा है. अबु आजमी पिछले दिनों सपा के सभी सांसदों का मुंबई में स्वागत समारोह कर मोमेंटम बनाने का काम कर चुके हैं. पार्टी के अभी वहां दो विधायक हैं.
सपा ने महाराष्ट्र में मुस्लिम बहुल और उत्तर भारतीय मतदाताओं वाली सीटों पर चुनाव लड़ने का प्लान बनाया है, जिसके लिए पार्टी ने उम्मीदवारों के नाम भी लगभग तय कर लिए हैं. मुंबई और उससे सटे ठाणे जिले की सीटों पर पार्टी की नजर है. मुंबई की मानकोर शिवाजी नगर, भायखला, वर्सोवा और इससे सटे ठाणे की भिवंडी ईस्ट और भिवंडी वेस्ट के अलावा महाराष्ट्र की धूलिया और औरंगाबाद जैसी मुस्लिम बहुल सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की तैयारी की है. मानकर शिवाजी नगर सीट से सपा के अबु आजमी और भिवंडी ईस्ट से रईस शेख पार्टी के मौजूदा विधायक हैं. इस बार सपा महाराष्ट्र में अपने विधायकों की संख्या में इजाफा करना चाहती है.
दलों की दोस्ती पर पड़ सकता है असर
हरियाणा में त्याग के बदले सपा यूपी उपचुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सम्मानजनक सीटें चाहती है. हरियाणा में चुनाव प्रदर्शन और जमीन के आधार पर जिस तरह राज्य में सपा को सीटें नहीं मिली हैं, उसी तरह यूपी उपचुनाव में कांग्रेस के लिए दबाव बना दिया है. कांग्रेस यहां पांच सीटों पर दावा कर रही है, लेकिन एक से अधिक सीट उसको मिलनी मुश्किल होगी. हरियाणा की तरह महाराष्ट्र में भी कांग्रेस से बात नहीं बनी, तो इसका असर उत्तर प्रदेश की सियासत में दोनों दलों की दोस्ती पर भी पड़ सकता है.