आजकल राजनीतिक गलियारों में हरियाणा विधानसभा चुनाव की ख़ूब चर्चा है. राज्य की प्रमुख राजनीतिक पार्टियां अपनी-अपनी रणनीति बनाने में व्यस्त हैं.
एक तरफ़ कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में गठबंधन की चर्चा है.
तो दूसरी ओर बीजेपी अकेले विधानसभा चुनाव लड़ेगी, क्योंकि दुष्यंत चौटाला की जेजेपी यानी जन नायक जनता पार्टी बीजेपी का साथ छोड़ चुकी है. जेजेपी ने अब चंद्रशेखर आज़ाद की आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) के साथ गठबंधन किया है.
विधानसभा चुनाव में जेजेपी 70 सीटों पर जबकि आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) 20 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इस बीच बीजेपी ने विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है. इसमें 67 उम्मीदवारों के नाम हैं.
लेकिन टिकट बंटवारे के बाद से ही बीजेपी के कुछ नेता नाराज़गी जता रहे हैं तो कुछ ने इस्तीफ़ा भी दे दिया है. चुनाव से ठीक पहले बीजेपी के लिए ये आंतरिक संकट कितनी बड़ी मुसीबत बन सकता है?
बीजेपी ने इस बार किसका टिकट काटा?
बीजेपी की सूची के मुताबिक़ राज्य के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी लाडवा से चुनाव लड़ेंगे, जो कुरुक्षेत्र लोकसभा क्षेत्र में आता है. जबकि राज्य में बीजेपी के वरिष्ठ नेता अनिल विज को अंबाला कैंट से टिकट मिला है.
इसी सूची में बीजेपी ने मौजूदा 9 विधायकों को टिकट नहीं दिया है.
इनमें पलवल से दीपक मंगला, फरीदाबाद से नरेंद्र गुप्ता, गुरुग्राम से सुधीर सिंगला, बवानी खेड़ा से विशम्भर वाल्मीकि, रनिया से रणजीत चौटाला, अटेली से सीताराम यादव, पेहोवा से संदीप सिंह, सोहना से संजय सिंह और रतिया से लक्ष्मण नापा के नाम शामिल हैं.
हरियाणा की रनिया विधानसभा से बीजेपी ने हरियाणा सरकार के कैबिनेट मंत्री रणजीत सिंह चौटाला की जगह शीशपाल कंबोज को टिकट दिया है.
इस बात से नाराज़ होकर कैबिनेट मंत्री रणजीत सिंह चौटाला ने इस्तीफ़ा दे दिया है.
विधायक लक्ष्मण नापा ने भी बीजेपी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे दिया है. इसकी वजह रतिया विधानसभा से सुनीता दुग्गल को टिकट देना बताया जा रहा है.
उनके अलावा, हरियाणा बीजेपी किसान मोर्चा के अध्यक्ष सुखवीर श्योराण, सोनीपत से बीजेपी युवा कार्यकारिणी सदस्य एवं विधानसभा चुनाव प्रभारी अमित जैन, वरिष्ठ नेता शमशेर गिल और हरियाणा में ओबीसी मोर्चा के प्रमुख रहे करणदेव कंबोज ने भी पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया.
उन्होंने कहा, “मैं और मेरा परिवार जनसंघ के ज़माने से बीजेपी में रहे हैं. अब यहां कांग्रेस की संस्कृति हावी हो रही है. मैंने पाँच साल तक ओबीसी समुदाय को बीजेपी से जोड़ने की कोशिश की, लेकिन मेरी जगह किसी और को टिकट दिया गया. यह बाक़ी पार्टी वर्करों के साथ धोखा है. हम इसका विरोध करेंगे. कांग्रेस यहां सरकार बनाएगी और बीजेपी का सपना, सपना ही रहेगा.”