कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए जन-धन बैंक खाते को लेकर सवाल उठाया है। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि, मोदी सरकार ने बैंकों को बनाया जन-धन की लूट का साधन…इसके साथ ही उन्होंने तीन सवाल भी पूछे हैं।
उन्होंने लिखा, “1.क्या ये सच नहीं कि 10 करोड़ से ज़्यादा जन-धन बैंक खाते बंद हो चुके हैं, जिनमें क़रीब 50% बैंक खाते महिलाओं के हैं? इनमें दिसंबर 2023 तक ₹12,779 करोड़ जमा थे ! कुल जन-धन खातों में से 20% खाते बंद होने का ज़िम्मेदार कौन है?
2.क्या ये सही नहीं है कि पिछले 9 वर्षों में जनधन खातों में औसत बैलेंस 5000 रुपये से कम यानी सिर्फ 4,352 रुपये है? इतने से पैसों में, भाजपाई कमरतोड़ महंगाई के बीच, एक गरीब व्यक्ति कैसे अपना जीवन यापन कर सकता है?
3.ये सच नहीं है कि आम खातों और जन-धन खातों को जोड़कर, मोदी सरकार ने 2018 से 2024 तक कम से कम ₹43,500 करोड़ केवल Minimum Balance न होने पर, अतिरिक्त ATM Transactions, SMS Charges पर वसूली करने से लूटे हैं? (संसद में दिए उत्तरों के अनुसार) ”
उन्होंने आगे कहा, “आज कांग्रेस-UPA की No frills accounts योजना जिसके तहत मार्च 2014 तक 24.3 करोड़ ग़रीबों के लिए बैंक खाते खोले गए थे, उसके नाम बदलने की 10वीं वर्षगांठ है।
मोदी सरकार जिसका ढिंढ़ोरा आज पीट रही है, उसकी असलियत समझें –
2005 में, कांग्रेस-UPA सरकार ने बैंकों को “No Frills Accounts” खोलने का निर्देश दिया।
2010 में, RBI ने बैंकों को 2010 से 2013 तक Financial Inclusion Plan तैयार करने और लागू करने के लिए कहा।
2011 में कांग्रेस-UPA सरकार ने Major Financial Inclusion Initiative ‘Swabhimaan’ (स्वाभिमान) लाँच की।
2012 में, “No Frills Accounts” को सरकारी नाम मिला – Basic Savings Bank Deposit Account (BSBDA)
2013 में, बैंकों को Financial Inclusion Plan को 2016 तक बढ़ाने का निर्देश दिया गया था। इसी का नाम बदलकर मोदी सरकार ने जन-धन योजना रखा।
उन्होंने आगे कहा कि 2013 में ही कांग्रेस-UPA ने Direct Benefit Transfer (DBT) scheme और इसे 291 ज़िलों में LPG सब्सिडी देने के लिए AADHAAR से जोड़ा। उस वक्त विपक्ष में रही बीजेपी शासित राज्यों ने इस “पहल” योजना का विरोध किया। मोदी जी ने AADHAAR का भी विरोध किया था। आज उन्हीं योजनाओं का इस्तेमाल कर के मोदी जी विज्ञापनबाज़ी में लीन हैं।”