नई दिल्ली: वक्फ बोर्ड एक्ट में बदलाव के लिए लाया जाने वाला संशोधन बिल अभी संसद में पेश नहीं हुआ है लेकिन इस पर सियासी पशो-पेश शुरू हो गई है। एक तरफ बीजेपी इस विधेयक के जरिए अपनी सदाबहार छवि को मजबूत करने की कोशिश करने वाली है तो वहीं विपक्षी दल इस बिल का विरोध करके मुस्लिम वोटर्स पर अपनी पकड़ मजबूत करना चाह रहा है।
लेकिन सीधे तौर पर बिल का विरोध करना उसे नुकसान भी पहुंचा सकता है। इसलिए विपक्ष ने इसके विरोध के लिए एक नया तरीका सोच लिया है।
संसद में वक्फ बोर्ड कानून संसोधन विधेयक पेश होने से पहले सियासी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। विपक्ष पूरी तरह से इस बिल को रोकने के लिए लामबंद हो रहा है। लेकिन उन्हें बहुत फूंक-फूक कर कदम रखना होगा। बिल का खुला विरोध विपक्ष के कोर वोटर मुस्लिम अल्पसंख्यकों पर तो पकड़ बेहतर कर देगा लेकिन दूसरी तरफ नुकसान भी पहुंचा सकता है। खासकर बात की जाए कांग्रेस की तो सेकुलरिज्म की विचारधारा रखने वाली पार्टी अगर किसी एक धर्म के लिए आगे आएगी तो अन्य तबके के वोटर्स नाराज हो सकते हैं।
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सतर्क नज़र आ रही कांग्रेस
इन वजहों और मुद्दे की संवेदनशीलता के चलते एक तरफ समाजवादी पार्टी और अन्य वाम दलों ने भले ही इसके विरोध का इरादा जाहिर कर दिया हो लेकिन कांग्रेस कहीं ज्यादा सतर्क दिखाई दे रही है। इसके लिए उसने एक बीच का रास्ता निकाला है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस विपक्षी दलों को राजी कर इस विधेयक को संसद की प्रवर समिति यानी सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग करेगी। सेलेक्ट कमेटी में जाने के बाद बिल पर आपत्तियों के समाधान की गुंजाइश बनी रहेगी।
मसौदे के बाद बढ़ेगी गर्माहट
फिलहाल तो अभी कानून का मसौदा भी सामने नहीं आया है। ऐसे में माना ये जा रहा है कि मसौदा आने के बाद इस मुद्दे पर हलचल और बढ़ सकती है। इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों की निगाहें जेडीयू और टीडीपी पर भी लगी हुई हैं। ये दोनों ही पार्टियां एनडीए का हिस्सा है लेकिन इनकी विचारधारा और बीजेपी की आइडियोलॉजी में फर्क ज़रूर है। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि टीडीपी और जेडीयू का क्या कुछ रुख होता है। क्योंकि अभी यूपी में हुए नेम प्लेट विवाद पर जदयू के साथ एलजेपी और रालोद ने भी विरोध जताया था।