पटना. बिहार राज्य में फल का औसतन 5059 हजार मेट्रिक टन उत्पादन सालाना होता है, जो भारतवर्ष में फलोत्पादन में आठवां स्थान है. इसी प्रकार बिहार में सब्जी का औसतन 18021 हजार मेट्रिक टन उत्पादन सालाना होता है, जो भारतवर्ष में चौथा स्थान एवं आलू का उत्पादन लगभग 9075 हजार मेट्रिक टन सालाना होता है, जिसका भारतवर्ष में तीसरा स्थान है.
जाहिर है ये जानकारी बिहार जैसे कृषि प्रधान राज्य के लिए बेहद सुखद है, लेकिन इसके बाद की जानकारी हैरान करने वाली है. दरअसल, इतनी ज्यादा मात्रा में फल, सब्जी एवं आलू के उत्पादन के पश्चात इन्हें संरक्षित रखने के लिए बड़े पैमाने पर शीतगृह एवं कोल्ड चेन की आवश्यकता होती है, लेकिन बिहार में अबतक कुल 204 शीतगृह यानी कोल्ड स्टोरेज कार्यरत हैं, जिसकी कुल भंडारण क्षमता लगभग 12,30,176 मेट्रिक टन है. खास बात यह है कि बिहार राज्य में 12 जिले ऐसे हैं, जहां कोल्ड स्टोरेज की सुविधा किसानों को प्राप्त नहीं है. इस कारण फल एव सब्जी को सुरक्षित रखने में समस्या आ रही है.
बता दें कि बुधवार को कृषि विभाग द्वारा कोल्ड स्टोरेज मालिकों के साथ एक दिवसीय बैठक का आयोजन किया गया था, जिसमें ये जानकारी आई कि बिहार के कृषि मंत्री को जानकारी दी गई कि उन जिलों को चिन्हित किया गया जहां ये समस्या है. इनमें 12 जिलों- मधुबनी, नवादा, औरंगाबाद, बांका, सहरसा, जमुई. मुंगेर, जहानाबाद, लखीसराय, शेखपुरा, अरवल तथा शिवहर का नाम है. कृषि मंत्री को अधिकारियों ने जानकारी दी कि इन जिलो में नये कोल्ड स्टोरेज निर्माण कराने हेतु राज्य सरकार द्वारा तीन वर्षों के लिए योजना स्वीकृत है. इस योजनान्तर्गत नये कोल्ड स्टोरेज टाईप 1 एवं टाईप-2 की स्थापना पर 50 प्रतिशत सहायतानुदान का प्रावधान है.
राज्य में कार्यरत्त कोल्ड स्टोरेजों में सौर ऊर्जा की संस्थापना की योजना भी स्वीकृत है, जिसके अन्तर्गत राज्य के वर्तमान में मौजूद कोल्ड स्टोरेजों में से 50 इकाई को सौर ऊर्जा के माध्यम से संचालन कराया जाएगा, ताकि विद्युत ऊर्जा पर निर्भरता कम की जा सके और किसानों को सस्ते दर पर भंडारण की सुविधा प्राप्त करायी जा सके. जिस पर 50 प्रतिशत अधिकतम 17.50 लाख रूपये प्रति कोल्ड स्टोरेज सहायतानुदान दिया जाएगा.
इसके अतिरिक्त राज्य के सुदूर क्षेत्रों में फल एवं सब्जियों के भंडारण की सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण फल एवं सब्जियों बहुतायत मात्रा में खराब हो जाते हैं. इसके लिए सौर ऊर्जा आधारित सोलर पैनल माइक्रो कूल चैम्बर, जिसकी भंडारण क्षमता 10 मेट्रिक टन है, इससे संबंधित योजना स्वीकृत है, जिससे कि फल एवं सब्जियों की बर्बादी को कम की जा सके. इस अवयव (Component) अन्तर्गत इकाई लागत 25.00 लाख (पच्चीस लाख) रूपये का 50 प्रतिशत अधिकतम 12.50 लाख (बारह लाख पचास हजार) रूपये अनुदान दिया जायेगा.
बता दें कि केन्द्र प्रायोजित योजना राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत पुराने कोल्ड स्टोरेजों के आधुनिकीकरण, भंडारण क्षमता का विस्तार, कोल्ड चेन के माध्यम से फल एवं सब्जियों के परिवहन के लिए रीफर भान, फलों को पकाने हेतु राईपेनिंग चैम्बर की स्थापना पर 35 प्रतिशत का अनुदान का प्रावधान है. इसके अतिरिक्त ताजे फलों एवं सब्जियों के पैकिंग हेतु ऑन फार्म पैक हाउस की स्थापना पर 50 प्रतिशत अधिकतम दो लाख रूपये अनुदान का प्रावधान है.