भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने गुरुवार को प्रेस कान्फ्रेंस कर कहा कि राजनीति में ‘हिंसा’ और ‘हत्या’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल बंद होना चाहिए. उन्होंने वैश्विक नेताओं पर हुए हालिया हमलों का हवाला देते हुए कांग्रेस पर निशाना साधा और कहा कि विपक्ष को प्रधानमंत्री के लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
वैश्विक नेताओं पर हमलों का दिया हवाला
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, ‘आज देश के एक प्रमुख अंग्रेजी पेपर में देश के वरिष्ठ सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी ने एक आर्टिकल लिखा है. इसमें उन्होंने वर्तमान समय में विश्व में सुरक्षा को लेकर हो रही गतिविधियों और भारत पर उसके पड़ने वाले प्रभाव का जिक्र किया है.’
उन्होंने कहा, ‘आप सभी को ज्ञात है कि एक-डेढ़ साल पहले जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो आबे की एक राजनीतिक कार्यक्रम में हत्या कर दी गई. कुछ दिन पहले अमेरिका में राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी डोनाल्ड ट्रंप पर जानलेवा हमला हुआ जिसमें वह बाल-बाल बच गए.’
‘हिंसा को उकसाते हैं बयान’
सुधांशु त्रिवेदी बोले, ‘उनका कहना है कि इस प्रकार की प्रवृत्तियां जो हिंसा और हत्या को उकसाती हैं ये कहीं न कहीं उन बयानों से प्रेरित हो जाती हैं जहां राजनीतिक दल अपने तात्कालिक स्वार्थ के लिए हिंसा और हत्या शब्द का इस्तेमाल करते हैं. चिंताजनक बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ इस प्रकार के शब्दों का प्रयोग, हिंसा के लिए उकसाने वाली भाषा लगातार इस्तेमाल की जा रही है.’
‘पीएम के लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए’
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार के दौरान पिछले साल पीएम मोदी के लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया. उन्होंने कहा कि काफिले पर कुछ फेंका गया तो कुछ भी फेंका जा सकता है. ‘मौत’ और ‘हिंसा’ जैसा शब्दों का इस्तेमाल बयानों में नहीं होना चाहिए. क्या यह सच नहीं है कि कांग्रेस के नेताओं ने पीएम मोदी के लिए ‘मौत’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल किया.
‘सबसे पहले सोनिया गांधी ने किया ‘मौत’ शब्द का इस्तेमाल’
सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, ‘किसी नेता के लिए ‘मौत’ शब्द का प्रयोग सबसे पहले 2007 में सोनिया गांधी ने ‘मौत के सौदागर’ के रूप में किया था. हमने आपातकाल में भी इंदिरा गांधी के लिए ‘मौत’ जैसे शब्द का इस्तेमाल नहीं किया.’
उन्होंने कहा कि भारत की राजनीति में राजनीति अपनी जगह है, नेताओं के साथ प्रतिस्पर्धा अपनी जगह है लेकिन पीएम मोदी के खिलाफ जो राहुल गांधी ने शब्द बोला था, ‘हिंसा, हिंसा, हिंसा’… ‘हत्या, हत्या, हत्या’, ऐसे शब्दों का प्रयोग बंद होना चाहिए. दुनिया में इसके उदाहरण दिख रहे हैं. भारत में इसके परिणाम खतरनाक हो सकते हैं. सभी राजनीतिक दलों से आग्रह करता हूं कि ‘हिंसा’ और ‘हत्या’ जैसे शब्दों का प्रयोग, किसी के प्रति ‘आक्रमण’, ‘मारना’, ‘पीटना’, ‘कब्र खुदेगी’ जैसे शब्दों का प्रयोग बंद होना चाहिए.