निजी क्षेत्र की नौकरियों में कन्नडिगाओं के लिए 100 प्रतिशत आरक्षण के कर्नाटक सरकार के प्रस्तावित विधेयक की उद्योग जगत के नेताओं ने तीखी आलोचना की है। उन्होंने चेतावनी दी है कि इससे राज्य में प्रतिभा अधिग्रहण और निवेश बाधित होगा।
वहीं, कर्नाटक सरकार के इस फैसले को सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले का समर्थन मिला है। उन्होंने केंद्र सरकार के आगे प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण की मांग उठाई है।
केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने बुधवार को कहा कि उनकी पार्टी, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) “भारत सरकार और राज्य सरकारों से निजी क्षेत्र की नौकरियों में कोटा की मांग करती है।”
उन्होंने कहा कि ओबीसी या अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीदवारों के लिए निजी क्षेत्र की नौकरियों में कोटा प्रदान किया जाए। उठावले ने कहा, “बहुत से लोग एससी और एसटी से हैं (निजी क्षेत्र की कंपनियों में नौकरी की तलाश में हैं)… लेकिन कोई आरक्षण नहीं है। जल्द ही शायद सरकारी क्षेत्र (कंपनियां) भी निजी हो जाएंगी…”
अठावले ने कहा, “मेरी पार्टी भारत सरकार और राज्य सरकारों से निजी क्षेत्र में ओबीसी को आरक्षण देने की मांग करती है। हम सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों का विरोध नहीं कर रहे हैं।”
अठावले की यह मांग कर्नाटक में गैर-प्रबंधन निजी क्षेत्र की नौकरियों में 70 प्रतिशत और प्रबंधन स्तर पर 50 प्रतिशत नौकरियों को कन्नडिगाओं के लिए आरक्षित करने के कदम पर विवाद के बीच आई है।
इससे पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने दावा किया था कि 100 फीसदी आरक्षण होगा। मंगलवार को यह घोषणा करने वाली एक सोशल मीडिया पोस्ट आज दोपहर हटा दी गई। श्रम मंत्री संतोष एस लाड ने स्पष्ट किया कि गैर-प्रबंधन भूमिकाओं के लिए आरक्षण 70 प्रतिशत और प्रबंधन स्तर के कर्मचारियों के लिए 50 प्रतिशत होगा।
इस फैसले को लेकर मिला-जुला रिएक्शन देखने को मिला। कुछ व्यापारिक नेताओं ने इसे “भेदभावपूर्ण” कहा, जबकि बायोकॉन की किरण मजूमदार-शॉ जैसे अन्य लोगों ने कहा कि स्थानीय लोगों के लिए नौकरियां सुनिश्चित करने की आवश्यकता है, लेकिन साथ ही चेतावनी भी जोड़ी।
हाल के महीनों में अन्य राज्यों, विशेष रूप से भाजपा शासित हरियाणा, जहां इस साल विधानसभा चुनाव होंगे, में इसी तरह की पहल के बारे में सुगबुगाहट के बीच यह बात सामने आई है। पिछले दो आम चुनावों में भाजपा के प्रभुत्व वाले इस राज्य में इस बार सत्तारूढ़ पार्टी और कांग्रेस के बीच 10 सीटों का बंटवारा हुआ है।
लोकसभा चुनाव में कांटे की टक्कर को देखते हुए राज्य का चुनाव कड़ा होने की संभावना है।