गुवाहाटी के लोक सेवा भवन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा कि अब तक राज्य में आठ लोगों ने सीएए के तहत आवेदन किया है और केवल दो लोग ही संबंधित अधिकारी के पास साक्षात्कार के लिए आए हैं।
इस दौरान उन्होंने कहा कि जो भी व्यक्ति साल 2015 से पहले भारत आया है, उसे नागरिकता के लिए आवेदन करने का पहला अधिकार है। अगर वे सीएए के तहत आवेदन नहीं करते हैं, तो उनके खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा।
संसद से पारित होने के चार साल बाद लागू हुआ सीएए
बता दें कि संसद से पारित होने के चार साल बाद इस साल 11 मार्च को केंद्र सरकार ने नियमों को सूचित करके नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 (सीएए) को लागू किया। जिसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से बिना दस्तावेज के आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता के लिए आवेदन करना होगा, जो 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए थे और पांच साल तक यहां रहे।
‘सीएए के लिए आवेदन न करने वालों पर दर्ज करेंगे केस‘
वहीं इस मामले में मुख्यमंत्री सरमा ने बताया कि हमने बराक घाटी में कार्यक्रम आयोजित किए और कई-हिंदू बंगाली परिवारों से संपर्क किया और उन्हें सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने के लिए कहा भी था। हालांकि, उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया कि वे विदेशी ट्रिब्यूनल में अपने मामलों से लड़ना पसंद करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि 2015 से पहले भारत आए किसी भी व्यक्ति को सीएए के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने का पहला अधिकार है। अगर वो आवेदन नहीं करते हैं, तो हम उनके खिलाफ केस दर्ज करेंगे और 2015 के बाद आए लोगों को राज्य से निर्वासित करेंगे।
सभी विदेशियों का पता लगाया जाएगा- असम अकॉर्ड
असम अकॉर्ड के अनुसार, 25 मार्च, 1971 को या उसके बाद राज्य में आने वाले सभी विदेशियों के नामों का पता लगाया जाएगा और चुनावी नामांकन से हटा दिया जाएगा और उन्हें निर्वासित करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। वहीं अंतिम एनआरसी 31 अगस्त, 2019 को 19 लाख 6 हजार 657 लोगों को छोड़कर जारी किया गया था। जबकि कुल 3 करोड़ 30 लाख 27 हजार 661 आवेदकों में से 3 करोड़ 11 लाख 21 हजार 4 नामों को शामिल किया गया था।