पश्चिम बंगाल के बर्दवान विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश परीक्षा में प्रथम स्थान पाने वाले माओवादी नेता अर्नब दाम के जल्द ही दाखिला लेने की संभावना है। क्योंकि राज्य की तृणमूल सरकार ने कुछ प्रशासनिक मुद्दों को सुलझाने के लिए हस्तक्षेप किया है, जिसके कारण उनका दाखिला रुका हुआ था।
हुगली से बर्दवान सुधार गृह में किया जा रहा स्थानांतरित
मामले में राज्य के सुधार प्रशासन मंत्री अखिल गिरि ने कहा कि कई हमलों और हत्याओं के मामलों में आरोपी अर्नब दाम को हुगली जिले के सुधार गृह से बर्धमान स्थानांतरित किया जा रहा है और शहर में विश्वविद्यालय परिसर में उनके दौरे के लिए सुरक्षा प्रदान की जाएगी। मंत्री ने बताया, कि हमने उन्हें हुगली से बर्दवान सुधार गृह में स्थानांतरित करने का फैसला किया है।
कई हमलों और हत्याओं में आरोपी हैं अर्नब दाम
अर्नब दाम साल 2010 में झारग्राम जिले के सिलदाह में ईस्टर्न फ्रंटियर राइफल्स कैंप पर हमले में अपनी भूमिका के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। वहीं 2011 में मुठभेड़ में मारे गए माओवादी नेता किशनजी के कथित करीबी सहयोगी होने के साथ उन पर 2010 तक दक्षिण बंगाल के जंगल महल क्षेत्र में कई हमले और हत्या के मामले दर्ज हैं। अर्नब दाम 2012 में गिरफ्तार किया गया था।
टीएमसी नेता कुणाल घोष ने किया समर्थन
वहीं माओवादी हिंसा पीड़ित की मां की तरफ से विश्वविद्यालय में शोधकर्ता के रूप में अर्नब दाम के नामांकन की सुविधा की मांग का टीएमसी नेता कुणाल घोष ने समर्थन किया और कहा कि उन्हें विश्वविद्यालय में पीएचडी के लिए नामांकित होने की अनुमति दी जाए, इसके साथ ही स्पष्ट किया कि आपराधिक मामलों में कानून के अनुसार उनके खिलाफ मुकदमा जारी रहना चाहिए। कुणाल घोष एक्स पर एक पोस्ट में लिखा- हम हत्या की राजनीति के खिलाफ हैं। हम अर्नब दाम की रिहाई की मांग नहीं कर रहे हैं। लेकिन अगर कोई जेल में बंद होने के बावजूद उच्च शिक्षा पाना चाहता है, तो क्या यह समाज में उम्मीद की किरण नहीं है?
पीएचडी प्रवेश परीक्षा में हासिल किए 75% अंक
हुगली जिले के एक सुधार गृह में बंद अर्नब दाम ने 26 जून को कड़ी सुरक्षा के बीच परिसर में आयोजित इतिहास में पीएचडी प्रवेश परीक्षा में 75 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए थे। वहीं विश्वविद्यालय के अंतरिम कुलपति गौतम चंद्र ने कहा- हम अर्नब को पीएचडी स्कॉलर के रूप में अपने विश्वविद्यालय में दाखिला दिलाना चाहते हैं, क्योंकि वह प्रवेश परीक्षा में प्रथम स्थान पर आया था। लेकिन हमें यूजीसी के कुछ दिशा-निर्देशों का पालन करना होगा। उन्होंने बताया, हमने सुधार गृह के अधिकारियों को एक मेल भेजा था। जैसे ही हमें उनकी सकारात्मक स्वीकृति मिल जाएगी, हम उसे पीएचडी स्कॉलर के रूप में दाखिला दे देंगे।
बता दें कि हुगली के एक जेल में बंद माओवादी नेता अर्नब दाम ने सुधार गृह में ही रहकर स्नातक और स्नातकोत्तर की परीक्षा उत्तीर्ण की थी।