चंडीगढ़ : पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रमुख अमेरिकी नशा चिकित्सक और सलाहकार के लोगों तक पहुंच कार सहायता की क्रिया आरंभ करने के मॉडल का अध्ययन करने के बाद राज्य में नशों से प्रभावित व्यक्तियों का नशा छुड़ाने और पुनर्वास के लिये एक व्यापक योजना तैयार करने के लिए दो सदस्यीय कमेटी का गठन किया है।
राज्य में से नशों का पूरी तरह सफाया करने और इससे प्रभावित व्यक्तियों के पुनर्वास संबंधी अपनी वचनबद्धता को दोहराते हुये मुख्यमंत्री ने डॉ. कंवर अजीत सिंह सिद्धू की सिफारिशों पर तुरंत कार्रवाई करते हुये एक दो सदस्यीय कमेटी के गठन की घोषणा की है जोकि यूएस-आधारित विशेषज्ञ द्वारा प्रस्तावित किये गये आउट पेशेंट ओपियोड असिस्टेड ट्रीटमेंट (ओओएटी) प्रोग्राम का अध्ययन करेगी और इसको लागू करने की संभावनाओं को विचारेगी।
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रधान सचिव चिकित्सा शिक्षा और प्रधान सचिव, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण आधारित दो सदस्यीय कमेटी को पीजीआई के विशेषज्ञों के साथ मिलकर काम करने के बाद एक उचित रणनीति तैयार करने के लिये कहा है ताकि राज्य में नशा छुडाओं और पुनर्वास केन्द्रों के नेटवर्क को मजबूती प्रदान की जा सके।
यह निर्णय डॉ. सिद्धू द्वारा मुख्यमंत्री के सम्मुख की गई एक प्रस्तुति के बाद लिया गया, जिन्होंन बताया कि प्रस्तावित ओओएटी मॉडल करुणा के माध्यम से इलाज करने पर केंद्रित है, जोकि पूरी तरह सुरक्षित है। यह इस ढंग से तैयार किया गया है कि पीडि़ति व्यक्ति को भविष्य में पुन: इसका शिकार होने से रोका जा सके। यह मॉडल इस ढंग से अमल में लाया जाता है कि विशेष तौर पर शिक्षित डियूटी चिकित्सा अधिकारी प्रत्येक नशा छुड़ाओं और पूर्नावास केंद्र पर 5-स्तरीय ओओएटी उपचार प्रक्रिया पर निगरानी रखता है जिसमें आगमन, स्थिरता, रखरखाव, समापन और उसके बाद भी उस पर नजर रखना शामिल है।
मुख्यमंत्री ने स्वयं करूणा के माध्यम से नशा छुड़ाओं और पुनर्वास के पूरी तरह पक्ष में हैं। उन्होंने डॉ. सिद्धू की टिप्पणियों के साथ सहमत होते हुए कहा कि नशे से पीडि़तों व्यक्तियों का उपचार करूणा के माध्यम से किये जाने की जरूरत है। इसके साथ ही उनको समाज की मुख्यधारा में वापिस लाया जा सक ता है ताकि वह गरिमा भरपूर जीवन जीने के योग्य हो सके।
एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि डॉ. सिद्धू ने कम लागत वाले मॉडल का प्रस्ताव किया है। यह कार्यक्रम चलाने के लिये एक अलग डिवीजन की जरूरत है। जिसमें लगभग 200 सलाहकारों की सेवाओं के अतिरिक्त आशा कार्यकर्ताओं, एमपीडब्ल्यू / एएनएम और स्वयंसेवकों द्वारा लोगों तक पहुंच कर सहायता मुहैया करवाने की सेवाएं शामिल हैं। डॉ. सिद्धू ने मुख्यमंत्री को बताया कि कार्यकत्र्ताओं के लिए प्रशिक्षण, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली द्वारा प्रदान किया जाएगा।
इस समय पंजाब में 33 सरकारी प्रायोजित नशा मुक्ति केंद्र और 5 टर्जरी देखभाल केंद्र हैं, जिनकी कुल 600 बिस्तरों की क्षमता है। इसके अतिरिक्त पूनर्वास केंद्रों में भी 1100 बेड हैं।
इन केंद्रों में प्राथमिक रूप में उपलब्ध उपचार संयमी मॉडल के आधार पर मुहैया करवाया जाता है जोकि उपचार रणनीति के अधीन नशें में फंसे व्यक्ति के चिकित्सा उपचार से आरंभ किया जाता है। औपिओड रसायन से ईलाज बहुत कम और जिला मुख्यालयों पर केवल मनोरोग विशेषज्ञों की देख रेख में किया जाता है। इसके अतिरिक्त राज्य में लगभग 70 निजी नशा छुड़ाओं केंद्र हैं जहां दोनो प्रकार का उपचार उपलब्ध है परंतु राज्य में यह सुविधांए बहुत कम हैं। डा. सिद्धू अनुसार इस दरार को औऔएटी पूरा करेगी।
डॉ. सिद्धू ने अपनी प्रस्तुति के दौरान बताया कि राज्य में नशे छुड़ाने के लिये लोगों तक पहुंच कर व्यापक कार्यक्रम चलाये जाने की आवश्यकता है इसके सीमित चयनित केंद्रों की जगह रोगियों तक सरलता से पहुंच की भी जरूरत है क्योंकि चयनित केंद्रों तक कुछ ही लोगों की सीमित रहती है। यह रोग लंबे समय से होने के कारण स्थायी नशा छुड़ाओं सेवांए स्थापित करने की जरूरत है ताकि कोई नशा छोडऩे वाला व्यक्ति पुन: नशों में ना फंसे। यह उपचार रोगियों को स्वीकार योग्य होना चाहिए और इसमें नशों संबंधी शिक्षा, ईलाज और इसमें पुन: ना फंसने जैसी समस्याओं को संबोधित होगा।
बैठक में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री ब्रहम महिंदरा, मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार श्री रवीन ठुकराल, मुख्य सचिव करन अवतार सिंह, मुख्यमंत्री के मुख्य सचिव तेज वीर सिंह, एडीजीपी और नशों संबंधी टॉस्क फोर्स के चीफ डॉ. हरप्रीत सिंह सिद्धू, प्रधान सचिव चिकित्सा शिक्षा विकास प्रताप, विशेष सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विकास गर्ग और निदेशक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण डॉ. एच.एस बाली उपस्थित थे।