कांग्रेस ने यूजीसी-नेट परीक्षा को रद्द किए जाने के बाद केंद्र सरकार को आड़े हाथ लेते हुए आरोप लगाया कि मोदी सरकार “लीक और फ्रॉड” के बिना कोई परीक्षा आयोजित नहीं कर सकती।
मेडिकल में प्रवेश के लिए होने वाली राष्ट्रीय पात्रता-सह-प्रवेश परीक्षा (नीट)-स्नातक 2024 में कथित अनियमितताओं को लेकर उपजे विवाद के बीच, शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित यूजीसी-नेट परीक्षा रद्द करने का बुधवार को आदेश दिया और मामले को गहन जांच के लिए केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपा गया है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “नॉन-बायोलॉजिकल प्रधानमंत्री हर साल ‘परीक्षा पे चर्चा’ नाम से एक भव्य तमाशा करते हैं। मगर, उनकी सरकार लीक और फ्रॉड के बिना कोई भी परीक्षा आयोजित नहीं कर सकती।” उन्होंने कहा, “नीट-स्नातक 2024 परीक्षा को लेकर बेहद गंभीर सवाल खड़े हुए हैं। शिक्षा मंत्री को भी इन्हें स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। एनटीए की ईमानदारी गंभीर संदेह के घेरे में है। ”
रमेश ने कहा, “अब परसों (मंगलवार) ही आयोजित हुई यूजीसी-नेट परीक्षा को कल रात रद्द कर दिया गया। दरअसल “नॉन-बायोलॉजिकल” प्रधानमंत्री की सरकार ही भारत की शिक्षा प्रणाली के लिए विनाशकारी रही है। “उन्होंने दावा किया कि 2020 की नई शिक्षा नीति, भारत की शिक्षा प्रणाली को भविष्य के लिए तैयार करने के बजाय, केवल नागपुर शिक्षा नीति 2020 के रूप में कार्य करती है। कांग्रेस महासचिव ने तंज कसते हुए कहा, “यही, ‘एन्टायर पॉलीटिकल साइंस’ में एमए की विरासत है। क्या वह कभी ‘लीक पे चर्चा’ करेंगे?”
उधर, कांग्रेस नेता पी चिदंबरम का कहना है कि सबसे पहले, कथित लीक और NEET से जुड़े ग्रेस मार्क्स के बारे में घोटाला अब, मंगलवार को आयोजित UGC-NET परीक्षा रद्द कर दी गई है। दोनों परीक्षाएं NTA द्वारा आयोजित की गई थीं। क्या किसी को जवाबदेह नहीं ठहराया जाना चाहिए और पद छोड़ने या बदलने के लिए नहीं कहा जाना चाहिए?
चिदंबरम ने पूछा उन छात्रों और अभिभावकों की भरपाई कौन करेगा जिन्होंने अपना कीमती साल और बहुत सारा पैसा खो दिया है? हमें प्रवेश/पात्रता परीक्षा का विषय राज्य सरकारों पर छोड़ देना चाहिए। कोई राज्य NTA द्वारा आयोजित परीक्षा का विकल्प चुन सकता है, लेकिन उसे अपने नियंत्रण वाले कॉलेजों के लिए अपनी परीक्षा आयोजित करने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। यह विकल्प NTA को परखेगा। चुनने वाले राज्यों की संख्या और इससे बाहर निकलने वाले राज्यों की संख्या NTA की विश्वसनीयता और दक्षता का मापदंड होगी।
केंदीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) द्वारा आयोजित यूजीसी-नेट परीक्षा रद्द करने का बुधवार को आदेश दिया और मामले की जांच जिम्मेदारी सीबीआई को सौंपा दिया। बताया गया कि यूजीसी-नेट परीक्षा इसलिए रद्द की गई कि ऐसी जानकारी मिली थी कि परीक्षा की शुचिता से समझौता किया गया है। मंत्रालय का यह फैसला, मेडिकल प्रवेश परीक्षा ‘नीट’ (राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा) में कथित अनियमितताओं को लेकर उपजे बड़े विवाद के बीच आया है और यह मुद्दा अब उच्चतम न्यायालय में है।
परंपरा से हटकर, इस बार राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा (नेट) एक ही दिन (18 जून) में ”पेन और पेपर मोड” में आयोजित की गई थी, जिसमें 11 लाख छात्रों ने परीक्षा के लिए पंजीकरण कराया था।
शिक्षा मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फिर से यह परीक्षा आयोजित की जाएगी, जिसके लिए अलग से जानकारी साझा की जाएगी।
यूजीसी-नेट परीक्षा के माध्यम से भारतीयों को जूनियर रिसर्च फेलोशिप, सहायक प्रोफेसर के रूप में नियुक्ति और भारतीय विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में पीएचडी में प्रवेश के लिए पात्रता निर्धारित की जाती है।