नई दिल्ली/टीम डिजिटल। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पाकिस्तानी आतंकवादी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक की दया याचिका खारिज कर दी है, जिसने दिल्ली के लाल किले पर हमला किया था।
बता दें राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने कार्यकाल में दूसरी बार दया याचिका खारिज की है।
सुप्रीम कोर्ट ने तीन नवंबर 2022 को आरिफ की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी थी और मामले में उसे दी गई मौत की सजा को बरकरार रखा था।
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि मौत की सजा पाया दोषी अब भी संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत लंबे समय तक हुई देरी के आधार पर अपनी सजा में कमी के लिए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा बरकरार रखा अधिकारियों ने राष्ट्रपति सचिवालय के 29 मई के आदेश हवाला देते हुए कहा कि 15 मई को आरिफ की दया याचिका प्राप्त हुई थी, जिसे 27 मई को खारिज कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा बरकरार रखते हुए कहा कि आरिफ के पक्ष में कोई भी ऐसा साक्ष्य नहीं था जिस वजह उसके अपराध की गंभीरत कम हो। शीर्ष अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि लाल किले पर हमला देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए काफी गंभीर खतरे की श्रेणी में आता है।
साल 2000 में लाल किला पर हमाला किया था आंतकवादियों ने 22 दिसंबर 2000 को लाल किला परिसर में तैनात 7 राजपूताना राइफल्स की यूनिट पर गोलीबार की थी। इस हमले में सेना के तीन जवान मारे गए थे। पाकिस्तानी नागरिक औऱ प्रतिबंधित लश्कर-ए-तैयबा के सदस्य आरिफ को हमले के चार दिन बाद दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में आदेश में कहा था कि अपलीकर्ता- आरोपी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक एक पाकिस्तानी नागरिक था और उसने अवैध रूप से भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किया था।
आरिफ को अन्य आंतवादियों के साथ मिलकर हमले की साजिश रचने के लिए 2005 अधीनस्थ अदालत ने मौत की सजा सुनाई।