नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में रविवार को केन्द्र में बनी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की तीसरी सरकार में उत्तर प्रदेश से प्रधानमंत्री समेत कुल 10 मंत्री शामिल किये गये हैं, जिसमें जातीय संतुलन साधने की कोशिश की गयी है।
मोदी सरकार- तीन में उप्र से पांच पिछड़े, दो दलित और तीन अगड़ी जाति के नेताओं को मौका मिला है।
लोकसभा चुनाव-2024 में राज्य में समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी दलों के समूह ‘इंडिया’ गठबंधन से करारी शिकस्त खाने वाले राजग ने मंत्रिमंडल गठन में सपा के ”पीडीए” फार्मूले का विशेष ध्यान रखा है। यह अलग बात है कि पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) का ”ए” यानी अल्पसंख्यक वर्ग का कोई व्यक्ति मंत्री पद हासिल नहीं कर सका है।
हालांकि भाजपा के एक कार्यकर्ता ने तर्क दिया कि मंत्रिमंडल में शामिल दिल्ली निवासी सिख समाज के हरदीप सिंह पुरी उत्तर प्रदेश से ही राज्यसभा के सदस्य हैं और उनका कार्यकाल नवंबर 2026 तक है। एक राजनीतिक विश्लेषक ने कहा कि अल्पसंख्यकों के एक खास वर्ग का मत भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर ”इंडिया गठबंधन” के उम्मीदवारों को मिला है, इसलिए राजग की ओर से ऐसी प्रतिक्रिया स्वाभाविक है।
नई सरकार में उप्र से प्रधानमंत्री मोदी समेत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय के पांच सदस्यों को शामिल किया गया है, जिसमें मोदी (तेली-वैश्य), जयंत चौधरी (जाट), पंकज चौधरी (कुर्मी), अनुप्रिया पटेल (कुर्मी) और बीएल वर्मा (लोध) जाति से आते हैं। सरकार में उप्र से दलित समाज से आने वाले कमलेश पासवान (पासी) और एसपी बघेल (धनगर) बिरादरी को भी स्थान दिया गया है।
मोदी के बाद दूसरे नंबर पर शपथ लेने वाले राजनाथ सिंह और राज्यमंत्री कीर्तिवर्धन सिंह जहां क्षत्रिय समाज से आते हैं, वहीं एक और राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ब्राह्मण समाज का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस तरह मंत्रिमंडल में अगड़ी जाति से आने वाले तीन नेताओं को अवसर दिया गया है।
हरदीप पुरी को जोड़ने के बाद सिख समाज का भी प्रतिनिधित्व बनता है और यह ध्यान रखने की बात है कि उप्र के तराई वाले जिलों लखीमपुर खीरी, शाहजहांपुर और पीलीभीत आदि में सिखों की निर्णायक आबादी है। 2024 के लोकसभा चुनावों में दलित मतदाताओं का रुझान ज्यादातर सीटों पर ‘इंडिया’ गठबंधन के उम्मीदवारों के पक्ष में रहा है।
मंत्रिमंडल गठन में राजग ने चुनाव में सफलता पाने वाले उप्र के सहयोगी दलों का ध्यान रखा है लेकिन, असफल हुए सहयोगी दलों को अवसर नहीं दिया। मोदी सरकार-तीन में शामिल मंत्रियों में राजग के नये सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के प्रमुख जयंत चौधरी जहां स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री का पद हासिल करने में सफल रहे वहीं 2014 से ही राजग में शामिल अपना दल (एस) की प्रमुख अनुप्रिया पटेल तीसरी बार राज्य मंत्री बनने में सफल रही हैं।
चुनाव में पराजय के कारण उप्र सरकार के पंचायती राज मंत्री ओमप्रकाश राजभर के नेतृत्व वाले सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) और मत्स्य मंत्री संजय निषाद के नेतृत्व वाले निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद) को मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिला।
उप्र की कुल 80 लोकसभा सीटों में भारतीय जनता पार्टी को 33, रालोद को दो और अपना दल (एस) को सिर्फ एक सीट मिली है जबकि इंडिया गठबंधन के घटक दल समाजवादी पार्टी को 37 और कांग्रेस को छह सीटों पर जीत मिली है। अकेले दम पर चुनाव मैदान में उतरे दलितों के नेता चंद्रशेखर आजाद नगीना सीट से चुनाव जीत गये।